Hindi Newsझारखंड न्यूज़धनबादAajab-Gajab: When someone reached 54 feet in length, someone reached his son in the dolly.

अजब-गजब: कोई 54 फीट लम्बा कांवर लेकर पहुंचा तो कोई अपने बेटों को डोली में डालकर पहुंचा

देवघर के बाबाधाम में पूजा अर्चना के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की बात ही निराली है। किसी का पहनावा अलग है तो कोई मन्नत मांगने बाबा नगरी आया है। वहीं कोई मन्नत पूरी होने पर शीष झुकाने। यहां आने वाले...

सतीश कुमार सिंह देवघरWed, 1 Aug 2018 06:37 PM
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देवघर के बाबाधाम में पूजा अर्चना के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की बात ही निराली है। किसी का पहनावा अलग है तो कोई मन्नत मांगने बाबा नगरी आया है। वहीं कोई मन्नत पूरी होने पर शीष झुकाने। यहां आने वाले हर एक भक्त की अपनी अलग कहानी है। श्रद्धा ऐसी कि दोनों हाथ न होने के बावजूद भी पिछले कई सालों से मंदिर में जल चढ़ाने के लिए कोई लगातार आ रहा है। इस श्रावणी मेले के खास मौके पर हम लेकर आए हैं मेले के अजब गजब नजारों व उसके पीछे छिपी कहानी पर। श्रद्धा की इस कहानी को पेश करती खास रिपोर्ट।

54 फीट लम्बा कांवर लेकर पहुंचे सौ श्रद्धालु

पश्चिम बंगाल कोलकाता के भूतनाथ से करीब 100 की संख्या में श्रद्धालु बाबाधाम में भगवान शिव के दर्शन को पहुंचे हैं। श्रद्धालुओं ने करीब 54 फीट लम्बे कांवर को थामे रखा है। गेरुवा रंग में रंगे इस कांवर को फूलों से सजाया है। उसे अपने कंधों पर थाम कर सुल्तानगंज से बाबाधाम तक का सफर तय कर रहे हैं। यही नहीं देवघर के पुरोहित बताते हैं कि हर साल यहां पर करीब 154 फीट तो कोई 100 फीट लम्बा कांवर लेकर टोली पहुंचती है। उन्ही में से एक टोली बिहार के पटना सिटी से भी आती है। जिसमें वो बैंड बाजे की धुन पर बोल बम, बोल बम पुकारते हुए बाबाधाम तक का सफर तय करते हैं।

बचपन से नहीं है दोनों हाथ फिर भी पहुंचे बाबाधाम

गया के शेरघाटी इलाके के मुकदुमपुर इलाके से आया शंकर भक्ति से सराबोर है। दोनों हाथ न होने के बावजूद शंकर पिछले पांच सालों से लगातार बाबाधाम जलार्पण के पहुंच रहा है। शंकर के दोनों हाथ नहीं हुए तो क्या हुआ वो अपने पांव से ही भोजन करता है, दवाई खाता है वहीं रोजमर्रा के सारे काम करता है। यही वजह भी है कि वो अपने गांव में सबका चहेता है। गांव वाले उसकी भक्तिभावना की मिसाल देते नहीं थकते हैं।

श्रवण की तरह डोली में दोनों बेटों को लेकर पहुंचे बाबाधाम

जिस प्रकार श्रवण ने अपने माता पिता को डोली में लेकर उनकी इच्छाओं की पूर्ति की थी। उन्हे तीर्थस्थलों का भ्रमण कराया था। कुछ ऐसा ही नजारा बुधवार को बाबाधाम में देखने को मिला। बिहार से आए एक श्रद्धालु ने अपने दोनों बेटों को डोली में लेकर बाबाधाम पूजा अर्चना के लिए पहुंचे। बातचीत में श्रद्धालु ने बताया कि मैंने मन्नत मांग रखी थी। यही वजह है कि मैं अपने बेटों को डोली में लेकर मंदिर प्रांगण में जल चढ़ाने के लिए पहुंचा हूं।

मंदिर तक का सफर लेटकर कर रहे तय

भक्ति में शक्ति होती है। इस बात का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाबाधाम तक का सफर लेट-लेटकर बिहार का एक श्रद्धालु तय कर रहे हैं। वे पिछले दो महीनों से अपनी इस यात्रा में जुटे हैं। रेलवे ब्रिज हो या फिर दुर्गम रास्ते, पत्थर हो या कंकण। लेट लेटकर सफर तय करते जा रहे हैं।

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