शीघ्र ही शास्त्रीय भाषा का दर्जा हासिल करेगी मैथिली : डॉ.गोपाल
22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन में दरभंगा के सांसद डॉ. गोपाल ठाकुर ने मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मिथिला की लोक कला बेरोजगारी दूर कर सकती है और...
देवघर,प्रतिनिधि। 22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के दूसरे दिन सोमवार को कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए दरभंगा के सांसद डॉ.गोपाल ठाकुर ने कहा कि मिथिला विद्यापति के कारण भारत की सांस्कृतिक विरासत और मानवीय मूल्यों के संवाहक के रूप में कार्य कर रही है। भारत के उत्ष्कृटता में भी मिथिला का अहम योगदान है। मैथिलीवासी अभी भी अपनी भाषा को जिंदा रखे हुए हैं, यह उनकी विशेषता है। मैथिली भाषा का उड़िया और बंगला के अस्तित्व बनाए रखने में भी खूब योगदान है। मैथिली शीघ्र शास्त्रीय भाषा का दर्जा हासिल करेगी। आज राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का खमियाजा भले ही मिथिला झेल रही हो, मिथिला क्षेत्र सबसे गरीबी का दंश झेल रहा हो। लेकिन केवल मखाना में एक करोड़ लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मिथिला को जोड़ने का कार्य किया है। इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री को नमन करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मिथिला के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने मिथिला की धरोहर लिपि मिथिलाक्षर को दैनिक उपयोग लाने का आह्वान किया। बिहार और खासकर मिथिला क्षेत्र का तेजी से विकास हो रहा है। केन्द्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार में मिथिला लगातार प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। मूलभूत जरूरतें पूरी हो रही हैं। देश-दुनिया में प्रदेश की छवि बेहतर हुई है। विशेषकर सड़क व बिजली के क्षेत्र में काफी उन्नति हुआ है। लेकिन अभी भी समग्र विकास के लिए काफी काम किया जाना शेष है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मिथिला सकारात्मक बदलाव के पथ पर अग्रसर है। सामाजिक चेतना का समुन्नत विकास हुआ है। लोगों की सोच बदली है। पिछड़ेपन की मानसिकता से लोग बाहर निकल चुके हैं। लोगों में आत्मविश्वास का जागरण हुआ है। यह सबसे बड़ी उपलब्धि है। किसी क्षेत्र की प्रगति के लिए शिक्षा, चिकित्सा व रोजगार के अवसर के विकास का महत्वपूर्ण स्थान होता है। अभी तक इन क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार काम नहीं हो सका था। देश व प्रदेश का नेतृत्व कुशल, दृष्टिवान व विकास के प्रति समर्पित व्यक्तित्व के हाथों में है। इसलिए उम्मीद है कि इन क्षेत्रों में सुखद परिणाम जल्द ही सामने होगी। उन्होंने कहा कि बदलते मिथिला का चतुर्दिक विकास कैसे हो, आजादी के बाद हमने क्या खोया? क्या पाया? इस विषय पर गंभीर परिचर्चा के आयोजन की जरूरत पर बल दिया।
मिथिला क्षेत्र में उद्योग लगाने की उपलब्ध हैं अपार संभावनाएं: अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की विचार गोष्ठी में सकारात्मक चिंतन हुआ। बाजारवाद के इस युग में मिथिला की लोक कला से जुड़े उत्पाद बेरोजगारों का जहां रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। वहीं इस कला को देश व दुनिया में स्थान मिल सकता है। इसके लिए सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रयास जारी है। यह विचार सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के दूसरे दिन मिथिला में उद्योग की संभावना विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि मिथिला की भूमि हिन्दू, बौद्ध, इस्लाम धर्म, लोक वेद परंपरा और लोक कथाओं से मिथिला की सभ्यता और संस्कृति सदा से प्रभावित रही है। मिथिला चित्रकला की सिद्धहस्त कलाकार पद्मश्री बउआ देवी, पद्मश्री दुलारी देवी आदि ने जिस प्रकार मिथिला की इस धरोहर कला को यूरोपीय देशों तक पहुंचाया है, यह विश्व स्तर पर मिथिला के लोककला की महत्ता को दर्शाता है। मणिकांत झा के संचालन में आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ.महेंद्र नारायण राम ने की। वक्ता के रूप में डॉ.प्रभात नारायण झा, प्रभाष कुमार दत्त, ई. ओमप्रकाश मिश्र, गजेन्द्र झा एवं शंकर नाथ ठाकुर आदि मौजूद थे। गोष्ठी में अपना विचार रखते हुए दरभंगा के सांसद डॉ.गोपाल ठाकुर ने कहा कि मिथिला में उद्योग व व्यवसाय की अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं। उद्योग के लिए जो आवश्यक जरूरतें हैं, वह भी यहां उपलब्ध है। उन्होंने उद्योगपतियों एवं व्यवसायियों से मिथिला क्षेत्र में उद्योग लगाने का आह्वान किया। ताकि इस क्षेत्र का चौतरफा विकास हो सके।
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