संतालपरगना : झामुमो का अभेद्य किला नहीं भेद सकी भाजपा
झारखंड विधानसभा आम चुनाव 2024 में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। संतालपरगना प्रमंडल में भाजपा की रणनीति विफल रही, जहां 18 में से केवल एक सीट पर जीत मिली। झामुमो की प्रभावी योजनाएं और स्थानीय मुद्दों पर...
देवघर राकेश कर्म्हे झारखंड विधानसभा आम चुनाव 2024 के परिणाम ने झारखंड भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। विधानसभा चुनाव की घोषणा के पूर्व से ही झारखंड फतह के लिए बनायी गयी भाजपा की रणनीति पूरी तरह फेल हो गयी। खासकर संतालपरगना प्रमंडल अंतर्गत 18 में 17 सीटों पर तो रणनीति कुछ काम आ ही नहीं सकी। जिस इकलौते सीट पर भाजपा की जीत हुई है, वहां भाजपा की जीत से अधिक दस वर्षों से कांग्रेस विधायक रहे तीसरी बार प्रत्याशी की नाकामी हार की वजह मानी जा रही है। संतालपरगना से बांग्लादेशी घुसपैठ के जिस मामले को भाजपा ने प्रमुखता से उठाते हुए अपना मुद्दा बनाया उसपर झामुमो की रणनीति भारी रही। बात चाहे सीमा सुरक्षा केंद्र के हाथों होने के बावजूद घुसपैठ के नाम पर भाजपा को ही घेरने की हो या फिर अबुआ राज, आदिवासी कार्ड, मंईयां सम्मान योजना जैसी महिलाओं को जोड़ने वाली प्रभावी योजना सब जनता से जोड़ने वाली रही। झामुमो जनता को भरोसा दिलाने में सफल रही। आदिवासी मतदाताओं व अधिकांश सीटों वाले संतालपरगना प्रमंडल में भाजपा का रोटी, बेटी, माटी का नारा पूरी तरह फेल रहा। जिस शिबू सोरेन व हेमंत सोरेन के परिवार को भाजपा ने रडार पर रखने का काम किया उनके परिवार के तीन-तीन सदस्य निर्वाचित घोषित हुए हैं, जिसमें स्वयं हेमंत सोरेन संतालपरगना के बरहेट व दुमका से उनके छोटे भाई बसंत सोरेन शामिल हैं। वहीं सीमावर्ती इलाके से हेमंत को जेल भेजे जाने के बाद बड़ी नेत्री के रूप में उभरने वाली हेमंत की धर्मपत्नी कल्पना सोरेन ने भी जीत दर्ज की है। इसी प्रकार जिस सोरेन परिवार को तोड़कर सीता सोरेन को भाजपा में ले जाया गया, वहां लोकसभा चुनाव के समान विधानसभा चुनाव में भी उन्हें बड़ी हार का ही सामना करना पड़ा। उल्टा उनकी पारंपरिक सीट पर भाजपा से झामुमो में आने वाली लुईस मरांडी ने जीत दर्ज ली है। एससी, एसटी सीटों की बात छोड़ भी दें तो सामान्य सीटों पर भी झामुमो का ही बोलबाला रहा। बताते चलें कि संतालपरना में भाजपा को वर्ष- 2014 के आम चुनाव में 7 सीटें मिली थीं। वहीं वर्ष- 2019 के विधानसभा चुनाव यह सीटें घटकर 4 पर पहुंच गई थी। वर्ष- 2024 के चुनाव में भाजपा जहां प्रमंडल में 10 से 12 सीटें जीतने का दंभ भर रही थी, वहां भाजपा महज एक सीट पर पहुंच गई।
फेल रहा बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा : चुनाव में भाजपा ने डेमोग्राफी चेंज का मुद्दा जोरशोर से उठाया। बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा मुख्य रूप से संतालपरगना के लिए ही था। लगातार दावा किया जाता रहा संतालपरगना का डेमोग्राफी चेंज हो रहा है। झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ हो रहा है। एक ही दिन में गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के दो जिला देवघर व गोड्डा में जनसभा को संबोधित करने के क्रम में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने कहा कि घुसपैठिए झारखंड की बेटियों को फुसलाकर शादी करते हैं और उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं। झारखंड में यह मुद्दा पूरी तरह ना फेल रहा बल्कि इसका उल्टा असर भी देखने को मिला। भाजपा के एक सीट पर सिमटने के पीछे पार्टी का अंतर्कलह और झारखंड में सत्ता परिवर्तन को लेकर खासकर बड़े दूसरे प्रांतों से आए नेताओं के बड़े दावे को भी माना जा रहा है।
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