Hindi NewsJharkhand NewsDeogarh NewsGrand Procession Marks Inauguration of 22nd International Maithili Conference in Deoghar

शोभा यात्रा के साथ 22 वां अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन शुरु

देवघर में रविवार को 22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की भव्य शोभा यात्रा शुरू हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन बाबा मंदिर के सरदार पंडा और कई अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। सम्मेलन ने मिथिला...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवघरMon, 23 Dec 2024 01:15 AM
share Share
Follow Us on

देवघर,प्रतिनिधि। बाबा नगरी में रविवार को भव्य शोभा यात्रा के साथ 22 वें अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन की शुरुआत हुई। कार्यक्रम स्थल मैरेज गार्डन से पारंपरिक शोभायात्रा देवघर के मुख्य मार्गों से होते हुए बाबा वैद्यनाथ मंदिर परिसर में आकर समाप्त हुई। उद्घाटन सत्र का विधिवत शुभारंभ बाबा मंदिर के सरदार पंडा, झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री राज पलिवार, बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. दिलीप कुमार चौधरी, श्रीवैद्यनाथ पंडा कीर्तन मंडली के महामंत्री पं. विनोद दत्त द्वारी, ईसीएल के पूर्व महाप्रबंधक नारायण झा, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक कपिल देव प्रसाद सिंह, ई.ओमप्रकाश मिश्र, अशोक मिश्र, नेपाल के प्रतिनिधि राजीव कुमार झा व अन्य अतिथियों द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मौके पर झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री राज पलिवार ने कहा कि राम जन्म भूमि पर विशाल मंदिर का निर्माण होना निश्चित रूप से गर्व की बात है। लेकिन यह गौरव तब तक पूर्णता हासिल नहीं कर सकता, जब तक कि मैया सीता की जन्म भूमि का उद्धार नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी के पुनौराधाम स्थित माता सीता के जन्म भूमि के दर्शन के बिना रामलला का दर्शन अधूरा है। क्योंकि बिना सिया के राम स्वयं अधूरे हैं। उन्होंने मां सीता के मातृलिपि मिथिलाक्षर की चर्चा करते हुए उपस्थित जनों से अपने घर का नाम अनिवार्य रूप से मिथिलाक्षर लिपि में लिखने का संकल्प लेने का आह्वान करते कहा कि बिना दैनिक प्रयोग में लाए इस धरोहर लिपि को जीवंत बनाए नहीं रखा जा सकता। उन्होंने मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए अलग मिथिला राज्य के गठन को अपरिहार्य बताया। मुख्य अतिथि के रूप में अपना विचार रखते हुए बैद्यनाथ मंदिर के सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने कहा कि जगत जननी मां पार्वती का चरित्र मिथिला एवं बाबाधाम के सांस्कृतिक चेतना की केंद्रीय भावना में सन्निहित है। पूरी दुनिया में अगर हमारी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ संस्कृति के रूप में स्थापित है तो यह भगवान श्रीराम और माता जानकी के साथ ही बाबा वैद्यनाथ एवं माता पार्वती द्वारा प्रस्तुत आदर्श उदाहरण के कारण ही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पं विनोद दत्त द्वारी ने कहा कि माता जानकी के बगैर राम और माता पार्वती के बिना बाबा वैद्यनाथ की कल्पना नहीं की जा सकती। क्योंकि दोनों ने ही अपने जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए जिस मर्यादा को स्थापित किया वह मिथिला की बेटी सीता और पार्वती के सहयोग के बिना संभव नहीं था।

सीता के जन्म भूमि पर भी विशाल मंदिर निर्माण में सहभागी बनने का किया आह्वान

अतिथियों का स्वागत करते हुए अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के प्रधान महासचिव डॉ.बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि बाबा नगरी देवघर और मिथिला आपस में अत्यंत गहराई से जुड़े हैं। हमारे संबंध अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ स्वर्णिम परंपरा के साक्षी रहे हैं। उन्होंने उपस्थित पंडा समाज एवं विद्वत जनों से रामलला के साथ माता सीता के जन्म भूमि पर भी विशाल मंदिर निर्माण में सहभागी बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को सुदृढ़ करने के साथ ही मिथिला और देवघर के जन-जन को एक बार फिर से सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधने में मील का पत्थर साबित होगा। मौके पर प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने जनक नंदिनी सीता की जन्मभूमि मिथिला को निराकार ब्रह्म को साकार करने वाली धरती बताते हुए इसे कुशल व्यवहार के माध्यम से सभ्यता एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का केंद्र बिंदु बताया। बेनीपुर के विधायक प्रो. विनय कुमार चौधरी ने अपने उद्बोधन में मिथिला भूमि को ज्ञान व प्रेम के समन्वय का जीता जागता प्रमाण बताया।

दर्जनों लोगों को मिथिला रत्न सम्मान उपाधि से किया गया सम्मानित

कार्यक्रम में पंडा समाज की अद्भुत जुटान के बीच गौरवशाली परंपरा के तहत मिथिला एवं बाबाधाम के बीच सांस्कृतिक सेतु का निर्माण करने वाले करीब दर्जनों लोगों को मिथिला रत्न सम्मान उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ.महेंद्र नारायण राम, मणिकांत झा, नीलम झा, पुरूषोत्तम वत्स, नवल किशोर झा, सुषमा झा, सोनी चौधरी, शंभू नाथ मिश्र, डॉ.दिलीप कुमार झा, डॉ.महानंद ठाकुर, हरि किशोर चौधरी आदि की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में आकर्षक विद्यापति संगीत समारोह का भी आयोजन किया गया। इसमें पं कुंजबिहारी मिश्र, रामबाबू झा, केदारनाथ कुंवर, डॉ.सुषमा झा, सोनी चौधरी, विभा झा, नीतू कुमारी आदि ने भावपूर्ण प्रस्तुति देकर उपस्थित दर्शकों का दिल जीत ली। मौके पर सम्मेलन का स्मारिका बैद्यनाथम् एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त पीजी हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.रमाकांत झा के कथा काव्य दूसरी धरती का विमोचन भी किया गया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें