बोले देवघर: सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ी परेशान
देवघर का केकेएन स्टेडियम जर्जर स्थिति में है। यहां साफ-सफाई की कमी, घास का अभाव, नशेड़ियों का जमावड़ा, खराब शौचालय और सुरक्षा की कमी जैसी समस्याएं खिलाड़ियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। खिलाड़ियों...
देवघर का एकमात्र आउटडोर स्टेडियम केकेएन स्टेडियम बदहाली का शिकार हो चुका है। इस ऐतिहासिक स्टेडियम की स्थिति इतनी जर्जर हो गई है कि यहां प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्टेडियम में साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था नहीं होने के कारण हर तरफ गंदगी फैली रहती है। मैदान में घास न होने की वजह से खिलाड़ी अक्सर गिरकर चोटिल हो जाते हैं। इसके अलावा, मैदान में नशेड़ियों का जमावड़ा, शौचालयों की बदहाल स्थिति, पानी की अनुपलब्धता, खराब हाईमास्ट लाइटें और सुरक्षा की कमी जैसे कई मुद्दे हैं, जो खिलाड़ियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर हिन्दुस्तान से संवाद के दौरान देवघर के खिलाड़ियों, खेल शिक्षकों व खेल प्रेमियों ने अपनी समस्याओं व उसके समाधान को लेकर अपनी-अपनी बात रखी।
खेल प्रेमियों और खिलाड़ियों से गुलजार रहने वाला केकेएन स्टेडियम आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। रखरखाव के अभाव में यह स्टेडियम अब बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। चारों ओर फैली गंदगी, खराब हो चुके यूरिनल और शौचालय, मैदान में घास की अनुपस्थिति, सुरक्षा व्यवस्था का अभाव और नशेड़ियों का जमावड़ा, इन सबने इस स्टेडियम की पहचान ही बदल दी है। प्रशासन और जिला खेल संघ की अनदेखी के कारण स्टेडियम की हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। स्टेडियम की सबसे बड़ी समस्या साफ-सफाई की व्यवस्था का न होना है। यहां नियमित रूप से साफ-सफाई नहीं की जाती है, जिससे मैदान के चारों ओर कचरा पसरा रहता है। खिलाड़ियों ने प्रशासन से मांग की है कि एक स्थायी सफाईकर्मी की प्रतिनियुक्ति की जाए, जिससे स्टेडियम की स्वच्छता बनी रहे और खिलाड़ी साफ-सुथरे वातावरण में खेल सकें।
प्रशासन और खेल संघ की लापरवाही: बातचीत के दौरान खेल शिक्षक श्याम कुमार झा ने कहा कि जिला प्रशासन और डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स एसोसिएशन (डीएसए) की ओर से स्टेडियम की स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। रखरखाव के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं दिख रहा। खेल प्रेमियों का कहना है कि अगर स्टेडियम की स्थिति में जल्द सुधार नहीं किया गया, तो यह पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा और जिले के खेल प्रेमियों व प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए यह बड़ा झटका होगा।
मैदान में घास का अभाव, खिलाड़ी होते हैं चोटिल: स्टेडियम के मैदान में घास पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। इसकी वजह से जब खिलाड़ी क्रिकेट, फुटबॉल या कराटे का अभ्यास करते हैं, तो वे अक्सर गिरकर चोटिल हो जाते हैं। खासकर फुटबॉल और कराटे खिलाड़ियों के लिए यह समस्या और भी गंभीर है क्योंकि ये खेल शारीरिक संपर्क पर आधारित होते हैं। घास की अनुपस्थिति से मैदान की सतह सख्त हो गई है, जिससे गिरने पर गंभीर चोटें लगने की संभावना बनी रहती है।
शाम होते ही नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है स्टेडियम: स्टेडियम में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। अराजक तत्वों का यहां जमावड़ा लगा रहता है। शाम होते ही नशेड़ी और शराबी स्टेडियम को अड्डा बना लेते हैं। चारों ओर शराब की खाली बोतलें और अन्य मादक पदार्थों के अवशेष बिखरे पड़े रहते हैं। ऐसे माहौल में खिलाड़ियों और आम जनता का यहां आना सुरक्षित नहीं रह गया है। स्टेडियम में सुरक्षा व्यवस्था की कमी का फायदा उठाकर शाम होते ही यहां नशेड़ियों का जमावड़ा लगने लगता है। इससे खिलाड़ियों और आम नागरिकों को काफी असुविधा होती है। कई बार नशे में धुत्त लोगों के बीच मारपीट और झगड़े की घटनाएं भी सामने आई हैं। स्थानीय खिलाड़ियों और नागरिकों ने मांग की है कि स्टेडियम में पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए ताकि असामाजिक तत्वों को यहां से हटाया जा सके।
शौचालयों की दुर्दशा, खिलाड़ियों को भारी परेशानी: स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए बनाए गए शौचालय पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। यहां चार शौचालय मौजूद थे, लेकिन अब सिर्फ एक ही इस्तेमाल के लायक बचा है। बाकी तीन शौचालय पूरी तरह से टूट गए हैं, साथ ही शौचालय गंदगी से पटे पड़े हैं और उनकी मरम्मत की कोई पहल नहीं की जा रही है। सभी शौचालय सिर्फ नाम मात्र के रह गए हैं। महिलाओं और लड़कियों के लिए यह स्थिति और भी दयनीय है, क्योंकि उनके लिए अलग से कोई सुविधा नहीं है।
यूरिनल न होने से खुले में पेशाब करने को मजबूर लोग: बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि स्टेडियम में यूरिनल की कोई सुविधा नहीं है, जिससे कई लोग खुले में ही पेशाब कर देते हैं। इससे गंदगी और बदबू फैलती है, जिससे वहां प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को काफी परेशानी होती है। खिलाड़ियों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि स्टेडियम में उचित सैनिटेशन की व्यवस्था की जाए।
रात में खेलना असंभव, हाईमास्ट लाइटें खराब: रात में खिलाड़ियों के अभ्यास करने के लिए वर्षों पूर्व स्टेडियम में हाईमास्ट लाइटें लगाई गई थीं। लेकिन रखरखाव के अभाव में वे सभी खराब हो चुकी हैं। इससे खिलाड़ियों को रात्रि अभ्यास में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। खिलाड़ियों ने प्रशासन से जल्द से जल्द इन लाइटों को ठीक कराने व नए लाइट लगाने की मांग की है ताकि वे रात में भी अभ्यास कर सकें।
सुझाव
1. नियमित सफाई व्यवस्था: स्टेडियम में स्थायी सफाईकर्मी की नियुक्ति की जाए ताकि स्वच्छता बनी रहे।
2. मैदान में घास उगाने की व्यवस्था: घास उगाई जाए और उसकी नियमित देखभाल हो ताकि खिलाड़ी सुरक्षित अभ्यास कर सकें।
3. सुरक्षा के उपाय: स्टेडियम में सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं ताकि नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण रखा जा सके।
4. उचित प्रकाश व्यवस्था: हाईमास्ट लाइटों की मरम्मत कराई जाए और आवश्यकता हो तो नई लाइटें लगाई जाएं ताकि खिलाड़ी रात में भी अभ्यास कर सकें।
5. शुद्ध पानी की व्यवस्था: स्टेडियम में पीने के पानी के लिए सप्लाई वाटर का कनेक्शन लगाया जाए।
शिकायतें
1. साफ-सफाई की कमी: स्टेडियम में नियमित सफाई न होने से चारों ओर गंदगी फैली रहती है।
2. मैदान में घास का अभाव: मैदान में घास न होने के कारण खिलाड़ी गिरकर चोटिल हो जाते हैं।
3. नशेड़ियों का जमावड़ा: शाम होते ही स्टेडियम में नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है, जिससे खिलाड़ी असुरक्षित महसूस करते हैं।
4. शौचालयों की बदहाल स्थिति: स्टेडियम में अधिकांश शौचालय खराब हो चुके हैं, जिससे खिलाड़ियों को भारी परेशानी होती है।
5. पानी की किल्लत: स्टेडियम में पानी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे खिलाड़ियों को अभ्यास के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
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