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बोले देवघर: डढ़वा नदी का अस्तित्व अब खत्म होने के कगार पर

देवघर की डढ़वा नदी, जो कभी जीवनदायिनी मानी जाती थी, अब सूख चुकी है। अवैध बालू खनन और प्रशासन की अनदेखी के कारण नदी का अस्तित्व समाप्त हो गया है। आसपास के गांवों में जल संकट बढ़ गया है और लोग पानी के...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवघरThu, 6 March 2025 08:57 PM
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बोले देवघर: डढ़वा नदी का अस्तित्व अब खत्म होने के कगार पर

देवघर की शान मानी जाने वाली डढ़वा नदी अब अपने अस्तित्व को पूरी तरह खो चुकी है। अवैध बालू खनन, कचरा डंपिंग और प्रशासन की अनदेखी के कारण यह कभी जीवनदायिनी नदी अब सिर्फ एक सूखी ज़मीन में तब्दील हो गई है। इस नदी के सूखने का असर आसपास के इलाकों पर गंभीर रूप से पड़ा है। पहले इस नदी से देवघर शहर और आसपास के गांवों के लोग सिंचाई, पीने के पानी और दैनिक जरूरतों के लिए पानी प्राप्त करते थे। लेकिन अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि हैंडपंप और कुएं तक सूख चुके हैं। जलस्तर लगातार नीचे गिर रहा है, जिससे लोगों को पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। अभी गर्मी के मौसम की शुरुआत भी नहीं हुई है और आसपास के इलाके के हैंडपंप और कुआं सूखने लगा है। गर्मी के दिनों में जल संकट एक विकराल रूप ले लेती है जिससे लोगों को पानी के लिए काफी दूर-दूर तक भटकना पड़ता है।

एक समय देवघर के लोगों के लिए डढ़वा नदी एक प्रमुख जलस्रोत हुआ करती थी। लेकिन वर्तमान में प्रशासन की अनदेखी और बालू माफियाओं द्वारा डढ़वा नदी से अवैध रूप से बालू का खनन कर पूरे नदी को ही समाप्त कर दिया गया है। डढ़वा नदी अब बस नाम के तौर पर जाना जाता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि डढ़वा नदी अब मैदान की तरह बन गई है। जिसमें अब न ही पानी बचा है और न ही बालू, यह नदी अब पूरी तरह से अपना अस्तित्व खो चुकी है। पहले दर्जनों गांव के लोग डढ़वा नदी के पानी के ऊपर निर्भर रहते थे। लेकिन अब नदी में पानी नहीं होने की वजह से आसपास के क्षेत्र में काफी जल संकट गहरा गया है। इस मुद्दे पर हिन्दुस्तान से संवाद के दौरान नदी के किनारे बसे चांदपुर मुहल्ले के अजय यादव, बासुकी यादव, बैकुंठ यादव, संदीप कुमार यादव, मिलवरीया देवी, सुकुमारी देवी, सियावती देवी, मंगल कुमार यादव, भीम यादव, युगल यादव, शंकर यादव, विजय कुमार यादव सहित अन्य लोगों ने अपनी समस्याओं व उसके समाधान को लेकर अपनी-अपनी बात रखी।

सिंचाई व दैनिक कार्यों के उपयोग के लिए डढ़वा नदी के पानी का किया जाता था इस्तेमाल : कभी देवघर की शान माने जाने वाले डढ़वा नदी अब अपना ही अस्तित्व खो चुकी है। पूरे देवघर शहर सहित आसपास के कई गांव की प्यास बुझाने वाली नदी अब खुद ही सूखी हुई है। देवघर शहर में मौजूद एकमात्र नदी डढ़वा नदी में अब एक बूंद पानी भी मौजूद नहीं है। एक समय डढ़वा नदी देवघर शहर की एकमात्र नदी हुआ करती थी, जिससे आसपास के क्षेत्र के लोग सिंचाई के साथ दैनिक उपयोग के लिए नदी के पानी का इस्तेमाल करते थे। लेकिन बालू उठाव व नदी में कचड़ा फेंकने के कारण अब नदी में ना तो बालू बचा है और ना ही पानी। वर्तमान में डढ़वा नदी अपना अस्तित्व पूरी तरह से खो चुका है।

सुझाव

1. नदी पुनर्जीवन परियोजना: सरकार और प्रशासन को मिलकर डढ़वा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जल संरक्षण, वृक्षारोपण और जल संचयन जैसी योजनाओं पर कार्य करना चाहिए।

2. नदी की सफाई व संरक्षण: नदी में कचरा फेंकने से रोकना चाहिए और इसके सफाई अभियान में सक्रिय भाग लेना चाहिए।

3. भूजल स्तर बढ़ाने के उपाय : जल संकट को कम करने के लिए वर्षा जल संचयन और पानी बचाने के अन्य उपायों को अपनाया जाना चाहिए।

4. रिवर फ्रंट परियोजना : प्रस्तावित रिवर फ्रंट योजना को जल्द से जल्द क्रियान्वित किया जाए ताकि नदी का सौंदर्यकरण हो और पर्यटन को बढ़ावा मिले।

5. स्थानीय सहभागिता : प्रशासन व स्थानीय लोग भी प्रयास कर नदी पुनर्जीवन में सहयोग करें, जल स्रोतों के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाएं।

शिकायतें

1. प्रशासन की अनदेखी : डढ़वा नदी की दुर्दशा के लिए प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार है, जिसने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए।

2. जल संकट का बढ़ना: नदी सूखने के कारण आसपास के गांवों में हैंडपंप और कुएं भी सूख गए हैं, जिससे जल संकट विकराल रूप ले रहा है।

3. छठ पूजा के लिए टैंकरों का उपयोग : अब छठ पूजा के लिए टैंकरों से पानी भरना पड़ता है, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।

4. मवेशियों के लिए पानी की कमी: इंसानों के साथ् मवेशियों को भी पीने के पानी के लिए भटकना पड़ता है।

5. विकास कार्यों में देरी : सांसद निशिकांत दुबे ने कई बार डढ़वा नदी को पुनर्जीवित करने की बात की है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है।

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