विशेष प्रार्थना सभा में उमड़े श्रद्धालु, अमन व शांति का बांटा पैगाम
पालोजोरी में क्रिसमस का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। गिरजाघरों को सजाया गया और विशेष प्रार्थना सभाओं का आयोजन किया गया। पादरी ने प्रभु यीशु का संदेश दिया कि वह उद्धारकर्ता हैं। श्रद्धालुओं ने आनंद...
पालोजोरी प्रतिनिधि प्रभु यीशु के जन्मदिवस पर मनाया जाने वाला त्योहार क्रिसमस पालोजोरी व आसपास के इलाके में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर गिरजाघरों को आकर्षक ढंग से सजाया गया। पालोजोरी के ठेंगाडीह स्थित चर्च के अलावे अंगवाली गांव स्थित चर्च सहित ग्रामीण इलाकों के चर्च में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। विशेष प्रार्थना सभा में पादरी ने प्रभु यीशु का संदेश देते हुए कहा कि यीशु मसीह उद्धारकर्ता हैं और परमेश्वर ने संसार में मानवता व प्रेम का संदेश दिया। कहा कि पश्चाताप करो यानी अपने पापों से तौबा करो और परमेश्वर पर विश्वास करो, तभी उद्धार पा सकते हो। उसने दुश्मनों के लिए भी प्रार्थना करने व प्रेम करने का संदेश दिया। लोगों ने झूमते-नाचते प्रभु यीशु के आगमन पर आनंद मनाया। पादरी ने कहा कि यीशु के भक्त दुनिया में अमन-शांति और भाईचारगी कायम रहने के लिए हमेशा प्रार्थना करते हैं। क्रिसमस को लेकर गिरजाघर परिसर में आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी थी। साथ ही आकर्षक चरनी, गौशाला का निर्माण कर प्रभु यीशु की प्रतिमा स्थापित कर आकर्षक ढंग से सजाया गया। क्रिसमस की विशेष प्रार्थना सभा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही।
ईसाई समुदाय में 25 दिसंबर का विशेष महत्व, 12 दिनों तक चलता है त्योहार : ईसाई धर्म मानने वाले लोगों के लिए 25 दिसंबर को बड़ा दिन कहा जाता है। यानि प्रभू यीशू का जन्मदिन, ईश्वर पुत्र के अवतार का पवित्र दिन। इस दिन ईसाई समेत अन्य समुदाय के लोग खुशियां बांटते हैं। गिरिजा घरों को सजाया जाता है। प्रार्थना की जाती है। क्रिसमस के दिन एक-दूसरे को बधाई संदेश देते हैं। मिठाईयां बांटी जाती है। प्रभू यीशू को सूली चढ़ाने के दिन यह घोषणा की थी कि नौवें महीने में 25 दिसंबर को प्रभू यीशू इस धरती पर पुनः जन्म लेंगे। इस दिन के लिए लोग प्रार्थना कर रहे थे। आप इस धरती पर जन्म लें और मनुष्य जीवन का कल्याण करें। मौके पर सभी गिरिजाघरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता है। प्रभू यीशू का जन्मदिन संसार भर में त्योहार के रूप में मनाया जाता है। प्रभू यीशू के जन्म दिन 25 दिसंबर से 12 दिनों तक चलता है। पहला दिन प्रभू यीशू के जन्मदिन के रूप में, दूसरा बाक्सिंग डे, तीसरा दिन सेंट जॉन को समर्पित, चौथा दिन किंग हिरोद ने प्रभू यीशू को खोजने में कई मासूम बच्चों को कत्ल कर दिया था, पांचवा दिन संत थॉमस को समर्पित, छठा दिन सेंट इगविन ऑफ वसेंस्टर को समर्पित, सातवां दिन पॉप सिलवेस्टर ने इस दिन को मनाया, आठवां दिन 1 जनवरी को प्रभू ईशा मसीह की मां मदर मैरी को समर्पित, नौवां दिन चौथी सदी के सबसे पहले ईसाई सेंट बलिस द ग्रेट और सेंट ग्रेगरी माजियाजेन को समर्पित, 10वें दिन ईशामसीह का नामकरण किया गया, 11वें दिन 18वीं 19वीं सदी के सेंट एलिजाबेथ को समर्पित और 12वें दिन अमेरिका के पहले विशप सेंट न्यूमन को समर्पित है।
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