बंद कमरे में मिले सोरेन-अडानी,उठी सियासी हवा,मीटिंग में दोनों के बीच क्या बात हुई?
- रांची में मुख्यमंत्री आवास पर उद्योगपति गौतम अडानी और हेमंत सोरेन की हालिया मुलाकात ने राज्य के राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज कर दी हैं। विपक्षी भाजपा को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधने के लिए हथियार भी मिल गया है।

रांची में मुख्यमंत्री आवास पर उद्योगपति गौतम अडानी और हेमंत सोरेन की हालिया मुलाकात ने राज्य के राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज कर दी हैं। विपक्षी भाजपा को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर निशाना साधने के लिए हथियार भी मिल गया है। सूत्रों ने बताया कि शनिवार को लगभग दो घंटे यह बैठक चली। पिछले साल सोरेन के मुख्यमंत्री के रूप में ऐतिहासिक रूप से लगातार दूसरी बार पदभार संभालने के बाद पहली मीटिंग थी। बंद दरवाजे के पीछे हुई इस बैठक के बारे में जानने को लेकर लोग उत्सुक हैं।
बंद कमरे के पीछे क्या हुआ?
एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया बैठक में गोड्डा परियोजना,राज्य के सबसे बड़े अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट और हजारीबाग जिले में गोंदलपुरा कोयला ब्लॉक पर चर्चा हुई, जिसे 2020 में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) को नीलाम किया गया था। अडानी-सोरेन की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब झारखंड के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से 1.36 लाख करोड़ रुपये के लंबित खनन बकाया को लेकर विवाद में हैं। इस मुलाकात ने इस बात की चर्चा को जन्म दिया है कि क्या सोरेन केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) पर निर्भरता कम करने और वैकल्पिक निवेश की तलाश कर रहे हैं।
अडानी-सोरेन की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब झारखंड के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से 1.36 लाख करोड़ रुपये के लंबित खनन बकाया को लेकर विवाद में हैं। इस मुलाकात ने इस बात की चर्चा को जन्म दिया है कि क्या सोरेन केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) पर निर्भरता कम करने और वैकल्पिक निवेश की तलाश कर रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में खूब उठा था अडानी का मुद्दा
पिछले साल के लोकसभा चुनावों और उसके बाद के विधानसभा चुनावों के दौरान,झामुमो और कांग्रेस दोनों विपक्षी इंडिया गठबंधन का हिस्सा ने बार-बार भाजपा पर अडानी जैसे उद्योगपतियों के साथ करीबी संबंध रखने का आरोप लगाया था,जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सबसे आगे थे। अपने इस दावे पर जोर देने और उद्योगपति से अपनी दूरी दिखाने के लिए,तेलंगाना में रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पिछले साल नवंबर में अडानी से प्रस्तावित यंग इंडिया स्किल यूनिवर्सिटी को 100 करोड़ रुपये का दान लेने से भी इनकार कर दिया था।