टंडवा: उपासना, आस्था और भक्ति का अनुठा संगम है टंडवा का सूर्य मंदिर
टंडवा का भगवान सूर्य मंदिर आस्था और भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां अस्ताचलगामी और उदियमान सूर्य को अघ्र्य अर्पित करते हैं। महापर्व महाछठ के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या बढ़...
टंडवा, निज प्रतिनिधि। हजारीबाग और चतरा जिले के सीमा में स्थित औद्योगिक नगरी टंडवा का भगवान सूर्य मंदिर उपासना, आस्था और भक्ति का अनुठा संगम है। टंडवा और केरेडारी के सरहद पर चुंदरू धाम में स्थित है सूर्य मंदिर। जहां हर साल हजारों की संख्या में श्रद्वालु अस्ताचलगामी और उदियमान भगवन भाष्कर को अघ्र्य अर्पित करते है। चैती हो या कार्तिक का महाछठ में दो नदियों के संगम इन दिनों उपासना का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। टंडवा का सुप्रसिद्व सूर्य मंदिर में झारखंड बिहार और छतीशगढ़ के छठव्रती अघ्र्य अर्पित करते है। बताया गया कि इस परिसर में स्थित आवासीय परिसर एक माह पूर्व हीं छठव्रतियों के लिये बुक हो जाता है। लगभग दो दशक पूर्व बने सूर्य मंदिर औद्योगिक नगरी का सबसे बड़ा धर्म स्थल है। श्रद्वालुओ की मानें तो यहां हर की मनोकामनायें पूर्ण होती है। फिलहाल, टंडवा, केरेडारी, बालूमाथ, बड़कागांव और सिमरिया प्रखंड समेत कई गांवों के श्रद्वालू उपासना में लीन है। देखा जा रहा है कि गांव हो शहर हर ओर चार दिवसीय अनुष्ठांन महापर्व महाछठ में लोग भक्ति में गोते लगा रहे है। वैसे तेलयाडीह, मिसरौल,खधैया, सेरनदाग, बड़गांव, सराढू, राहम सिसई, धनगड़ा समेत अन्य गांवों में बड़ी संख्या में श्रद्वालुओं ने महाप्रसाद का ग्रहण किया। टंडवा में बुधवार को 100 क्विंटल दूध की खपत हुई। 60 रू प्रति लीटर दूध की बिक्री की गयी। वहीं टंडवा के बाजारों में 500 से 600 रू प्रति कांधी केला, सेव 100 से लेकर 120 रूपए किलो बिक्री हुई।
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