प्रकृति ने किया श्रृंगार, सेमल के वृक्षों में आई बहार
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रवि भूषण सिंह,सिमरिया, प्रतिनिधि प्रकृति के आंगन में इन दिनों फागुन की मादकता छाई हुई है। सेमल के वृक्षों ने लाल सिदुरिया रंग के फूलों से अपने को सजा लिया है। लग रहा है कि फागुन के इस मौसम में प्रकृति ने सेमल वृक्ष का श्रृंगार कर दिया है। लाल सिदूर या रंग के फूलों से सेमल वृक्ष की टहनियां झुकी हुई है। यही लाल सिदूरी पुष्प फागुन की शोभा बढ़ा रही है। इस मौसम में जब वृक्ष के सारे पत्ते झड़ जाते हैं और फूल लग जाते हैं तब इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। सेमल का वृक्ष लंबा, घना और छायादार होता है। इसकी लकड़ियां कठोर और मजबूत होती है जो पानी में भी नहीं गलता है। यही कारण है कि इन लकड़ियों से नाव का निर्माण किया जाता है। सेमल की लकड़ियों में बंदूक की गोलियां आर पार नहीं होती है जिससे इसका उपयोग बुलेट प्रूफ वाहन बनाने में होता है। सेमल के फूल पांच दलों में होता है। इसके बीच में गुद्दा की जगह मुलायम रेशमी रुई भरा होता है। जिससे गद्दा तकिया आदि बनाया जाता है। लोग इसे कॉटन ट्री के नाम से भी जानते हैं। ग्रामीण इसे सिमर का वृक्ष भी कहते हैं। सेमल का वृक्ष औषधीय गुणों से भरा पूरा है। आयुर्वेद में इसे उपकारी वृक्ष की संज्ञा दी गई है । इस वृक्ष के फूल, पत्ती, छाल, जड़ ,सभी उपयोगी है। इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इससे बनी औषधियां वात, पित्त ,कफ, नाशक तथा जख्म और नपुंसकता को हरण करने वाला होता है। इसका स्वाद मधुर कसैला होता है। यह रक्त विकार को भी दूर करता है। गांव में यह वृक्ष गरीबों के लिए धन उपार्जन का साधन भी है। फूल से फल हो जाने के बाद लोग इसके फल को तोड़कर उससे रूई निकालकर 300 रुपए से 400 रुपए किलो बेचकर अच्छी कमाई कर लेते हैं।
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