पाकिस्तान और आतंक के खिलाफ जंग में शहीद हुए थे टंडवा के माइकल और राजेश दास
पाकिस्तान और आतंक के खिलाफ जंग में शहीद हुए थे टंडवा के माइकल और राजेश दासपाकिस्तान और आतंक के खिलाफ जंग में शहीद हुए थे टंडवा के माइकल और राजेश दासपा

टंडवा निज प्रतिनिधि मातृ भूमि की रक्षा करते हुए टंडवा के दो लाल अपना सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हुए । 54 साल पहले1971 में भारत और पाकिस्तान के खिलाफ जंग करते टंडवा प्रखंड के माइकल मिंज और 2002 में पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों के खिलाफ जंग करते सोपारम गांव के राजेश दास शहीद हुए थे। आज जब भारत के करारा जबाब से पाकिस्तान हिल रहा है तो सहसा दोनो शहीदों की बलिदान को सैल्यूट दे रहे है। 1971 के जंग में भले हीं बांग्लादेश का जन्म हुआ था पर माइकल मिंज सदा के लिये दुनियां से अलविदा कर गये। जानकारी के अनुसार माइकल मिंज चतरा जिले के टंडवा प्रखंड अंतर्गत बहेरा पंचायत के खंधार निवासी स्व चरवा उरांव के इकलौते पुत्र थे।
जो पाकिस्तान के खिलाफ जंग करते करते शहीद हुए थे। थल सेना के जवान माइकल मिंज 35 साल के थे। शहीद माइकल के भी एक पुत्र अजय मिंज जो आज नहीं है पर इनके पुत्रवधु पुष्पा एक्का का कहना है कि उस बटालियन में एलबर्ट एक्का भी थे जो पाकिस्तान सेनाओं को छक्के छुडाया था और देश के लिये बलिदानी दे दी। इनके पुत्रवधु पुष्पा ने हिन्दुस्तान संवाददाता से बातचीत करते सरकार से टंडवा प्रखंड के कल्याणपुर चौक में स्मारक स्थल बनाने की मांग की है। गरीबी और बेबसी भले हीं इनके परिवार को बेरंग कर दिया पर श्वसुर के धरोहर को आज भी संजो कर पुत्रवधु ने रखा है। इस घटना के 31 साल बाद दो दिस्म्बर 2002 को पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों से कश्मीर के डोडा में हुई जंग में दो आतंकवादियों को मारकर स्व नरेश दास के पुत्र 23 वर्षीय राजेश दास शहीद हो गये। बताया गया कि वे आर्मी के एजी रेजीमेंट के जवान थे जो मात्र दो साल हीं देश को सेवा दे पाये। शहीद के भाई जो 14 साल आर्मी को सेवा देने के बाद रिटायर होने वाले बिनय दास कहते हैं कि 2002 में संघर्ष के दौरान टंडवा के लाल राजेश ने अपनी जिन्दगी बलिदान देने से पूर्व पाकिस्तान के दो खुंखार आतंकवादियों को मार डाला था। शहीद राजेश की शादी मात्र एक साल पूर्व हीं हुई थी। बताया गया कि इनके बलिदान को नमन् करते हुए सिमरिया के पूर्व विधायक योगेन्द्र नाथ बैठा ने गाड़ीलौंग में स्मारक बनवाया तो भाजपा के पूर्व विधायक किसुन कुमार दास ने अपने मद से स्मारक स्थल को सजाया संवारा। जो शहीद चौक के नाम से जाना जाता है। शहीद के भाई बिनय दास कहते हैं कि हिन्दुस्तान के करारा जबाब से पाकिस्तान पूरी तरह हिला हुआ है। जरूरत पड़ी तो टंडवा का हर युवा देश की सेवा देने को सज है। बहरहाल दोनों की शहादत और बलिदान की गौरव गाथा गांव से लेकर शहर के हर जूबां पर हो रही है।
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