मगध आम्रपाली में सात हजार वाहनों के पहिए थमे,कोल डिस्पैच ठप
ट्रासपोर्टिंग कंपनियों पर बकाया भाड़ा बीस करोड भुगतान समेत अन्य मांगों को पूरा न होने से क्षुब्ध ट्रक और हाइवा मालिकों ने कोल ट्रांसपोटिंग कंपनी और सीसीएल के खिलाफ एसोसिएशन ने सोमवार से मोर्चा खोल...
ट्रासपोर्टिंग कंपनियों पर बकाया भाड़ा बीस करोड भुगतान समेत अन्य मांगों को पूरा न होने से क्षुब्ध ट्रक और हाइवा मालिकों ने कोल ट्रांसपोटिंग कंपनी और सीसीएल के खिलाफ एसोसिएशन ने सोमवार से मोर्चा खोल दिया है। इस दौरान मगध और आम्रपाली में कोयला ढ़ोने से साफ इंकार करने से कंपनियां सकते में है। इससे मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में 12 बजे रात से कोयले की ढूलाई पूरी तरह ठप हो गयी। इस दौरान सात हजार से अधिक ट्रक और हाइवा से कोयले की ढूलाई नहीं हो पायी। जानकारी के अनुसार आम्रपाली में हर रोज लगभग 40 से 45 हजार टन कोयले की डिस्पैच होती है। इसमें शिवपुर साइडिंग के लिए 20 हजार टन शामिल है। बताया गया कि शिवपुर साइडिंग में कोयले की ढूलाई तो हुई पर अन्य के लिए नहीं हो पायी। जबकि मगध परियोजना में भी लगभग 20 हजार टन कोयला ढूलाई होती है जो नहीं हो पायी। इससे सीसीएल को करोड़ो का नूकसान उठाना पड़ा है। दोनों परियोजनाओं के कांटा घरों में सन्नाटा पसरा हुआ है। सबसे चौकाने वाली बातें यह है कि ट्रक हाइवा एसोसिएशन के आहावान पर यह हड़ताल जरूर है पर वाहन मालिक स्वेच्छा से अपने-अपने गाड़ियों को घरों का शोभा बना लिये। इधर जिला ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद कुमार का दावा है कि मगध और आम्रपाली में एक भी ट्रक या हाइवा से कोयले की ढूलाई नहीं हुई। बहरहाल ट्रक हाइवा मालिकों के इस रूख से कोल कंपनियां और सीसीएल के बीच हड़कंप तो मचा हुआ है पर तोड फोड़ की राजनीति शुरू हो गयी। चर्चा है कि पिछले डेढ साल से एसोसिएशन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तो करता है पर आजतक एक भी मांग पूरी नहीं हुई,इससे ट्रक मालिकों का विश्वास एसोसिएशन के प्रति धीरे-धीरे घटता जा रहा है। चर्चा है कि एसोसिएशन को गाड़ी मालिकों के दिल में विश्वास बढाने का यह अंतिम मौका है। बहरहाल ट्रक और हाइवा के पांच एसोसिएशन मिलकर आंदोलन का शंखनाद तो किया पर कितने दिनों तक एकजूटता रहेगी यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।
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