सालाना 35 एमटी उत्पादन के विस्तारीकरण को लेकर आम्रपाली में हुआ लोक जनसुनवाई
सालाना 35 एमटी उत्पादन के विस्तारीकरण को लेकर आम्रपाली में हुआ लोक जनसुनवाई सालाना 35 एमटी उत्पादन के विस्तारीकरण को लेकर आम्रपाली में हुआ लोक जनसुनवा

टंडवा निज प्रतिनिधि। आम्रपाली कोल परियोजना के विस्तारीकरण को लेकर शुक्रवार को परियोजना क्षेत्र से विस्थापित गांव उड़सू में लोक जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण परिषद पदाधिकारी आशुतोष कुमार व हजारीबाग प्रमंडल के क्षेत्रीय पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण परिषद के पदाधिकारी जितेंद्र प्रसाद सिंह शामिल थे। वहीं प्रशासन की ओर से अपर समाहर्ता अरविंद कुमार व सीओ विजय दास शामिल हुए। जबकि सीसीएल से आम्रपाली परियोजना के महाप्रबंधक अमरेश कुमार सिंह, परियोजना पदाधिकारी मोहम्मद अकरम शामिल थे। कार्यक्रम में परियोजना से विस्थापित पांच गांव के अधिकांश रैयत भी शामिल हुए। कार्यक्रम में आम्रपाली परियोजना के फेज-थ्री के उत्पादन क्षमता 25 मिलियन टन से बढ़ाकर 35 मिलियन टन करने को लेकर ग्रामीणों से पर्यावरणीय स्वीकृति करने को लेकर सहमति मांगी गई। कार्यक्रम में आरोप प्रत्यारोप की पीड़ा भी छलका। मौजूद कुछ ग्रामीण ने कहा कि परियोजना क्षेत्र के खुलने के एक दशक से अधिक समय के बाद भी प्रदूषण से रोकथाम को लेकर कोई उपाय नहीं किया गया है और ना ही मूलभूत सुविधाएं बहाल की गई है। कार्यक्रम में कुमडांगखूर्द गांव के गणेश प्रसाद ने सवाल उठाया कि कोयला निकालने वाली कम्पनी व सीसीएल नौकरी दे सकती है तो कोयला ढुलाई करने वाली कम्पनी क्यों नहीं दे सकती? उन्होंने कहा कि आम्रपाली कोल परियोजना में कार्यरत मजदूरों से आठ घंटे के बजाय बारह घंटे तक की ड्यूटी ली जाती है। इस दौरान प्रबंधन से कोयला ढुलाई में लगी कंपनियों में युवाओ को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ आठ घंटे ड्यूटी कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोयले के सैम्पलिंग और सिविल का काम व कोयले की ढुलाई कार्य अब तक बाहरी लोगों के द्वारा किया जा रहा है, पर अब पांच गांव के रैयतों से कराने की मांग उठी। इस दौरान सत्यापन के अभाव में परियोजना से जुड़े दो सौ रैयतों के लंबित पड़े नौकरी को भी जल्द सत्यापन पर समाधान करने की मांग की गई। वहीं दूसरी ओर इसी गांव के आशुतोष मिश्रा ने कहा कि कोयले की ढुलाई के कारण क्षेत्र में व्याप्त तौर पर प्रदूषण बढ़ रहा है साथ ही क्षेत्र के लोगों को जान-माल का नुक़सान भी उठाना पड़ रहा है। उन्होंने ओडिशा राज्य के तर्ज पर परिवहन निति बनाने की मांग की। उन्होंने कोल परियोजना में 1957 से चली आ रही बेयरिंग एक्ट को बदलने की भी मांग रखी। इस दौरान उन्होंने कोल वाहनों से बढ़ते सड़क दुर्घटना को लेकर अलग कोल ट्रांसपोर्टिंग सड़क बनाने एवं नियमित मुआवजा निति बनाने की मांग की। वहीं गांव के संदीप सिंह ने सीसीएल से जमीन के मुआवजा राशि को बढ़ाने एवं कोयले की ढुलाई में लगे वाहनों से प्रदूषण के रोकथाम के लिए परियोजना के चेकपोस्ट पर वाहनों के ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन लगाने की मांग की।
प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सीसीएल गंभीर: जीएम
आयोजित कार्यक्रम में परियोजना के जीएम अमरेश कुमार सिंह ने उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि परियोजना के कोल स्टॉक यार्ड से शिवपुर साइडिंग तक कोल परिवहन के लिए पक्की सड़क का निर्माण के साथ प्रदूषण के रोकथाम के लिए होन्हे गांव से शिवपुर साइडिंग के सड़क पर 60 नॉजल के माध्यम से पानी का छिड़काव किया जा रहा है। शिवपुर साइडिंग एवं आम्रपाली परियोजना के विभिन्न स्थानों पर दस निश्चितस फॉग तोप लगाए गये हैं। इस दौरान उन्होंने आम सड़क से कोल परिवहन के कारण लगातार हो रहे सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम के लिए फोरलेन अथवा सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव को सीसीएल मुख्यालय को भेजें जाने की बात कही।
रैयत विकास विरोधी नहीं: अपर समाहर्ता
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिले के अपर समाहर्ता अरविंद कुमार ने कहा कि हमने टंडवा के मूलवासियों को देखने और समझने के बाद यह समझा है कि यहां के मूलवासी अथवा रैयत विकास विरोधी नहीं हैं। बल्कि उनका दु:ख सिर्फ इस बात का है कि यहां पर कार्यरत परियोजनाएं अथवा कंपनियां अपने किए वादे पर खरा नहीं उतरती। जिसका ही परिणाम है कि सकारात्मक कार्यो में भी सीसीएल अथवा अन्य कम्पनियों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है।
प्रदूषण के रोकथाम के दावे झूठे: ग्रामीण
कार्यक्रम में ग्रामीणों की एक टोली ने परियोजना प्रबंधन द्वारा प्रदूषण के रोकथाम को लेकर किए जा रहे वादों को पूरी तरह से झूठ बताया। ग्रामीणों ने कहा कि हम सभी सड़क से कोयले की ढुलाई से उड़ते प्रदूषण को सांसों से लेकर फेफड़ों तक निगल रहा है। फोटो6- सभा को संबोधित करते जीएम
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