टंडवा केरेडारी के सड़कों पर हाइवा का आतंक, राहगीर परेशान
झारखंड के टंडवा और केरेडारी में कोल ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों की वजह से सड़कें बेहद खतरनाक हो गई हैं। सांसद कालीचरण सिंह ने बताया कि लगभग 1000 राहगीरों की मौत हो चुकी है। हाइवा की संख्या 2500 प्रतिदिन...

टंडवा, निज प्रतिनिधि। झारखंड राज्य के टंडवा और केरेडारी एक अंचल ऐसा है जहां के सड़कों पर चलना मौत और जिन्दगी के बीच चलने के बराबर है। इन सड़कों पर कोल ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों का पूरी तरह कब्जा हो गया है। दिन रात कोयला और ऐश पौंड की ढूलाई से लोगों का चलना दुश्वार हो गया है। सुबह का निकला शाम को घर आपस आ जाय तो परिजन भगवान को शुक्रिया दे रहे हैं। जब से सीसीएल के आम्रपाली और एनटीपीसी के केरेडारी और पांडू प्रोजेक्ट से कोयले की ढूलाई टंडवा, सिमरिया, केरेडारी और पिपरवार के सड़कों से हो रही है दूर्घटनाओ के कारण काली सड़कें इंसान के खून से लाल हो गयी है। सांसद कालीचरण सिंह ने तो लोकसभा में यह मामला उठाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। सांसद की मानें तो कोल ट्रांसपोर्टिंग से एक हजार राहगीरों की मौत हो चुकी है। दरअसल उक्त सड़कों पर फोरलेन नहीं होने या कोल ट्रांसपोर्टिंग के लिए अलग से सड़के नहीं होने से हर घर आतंकित हैं। जानकारी के अनुसार हर रोज लगभग 2500 हाइवा दिन रात कोयले की ढूलाई कर रहा है। भाजपा नेता विकास मालाकार कहते हैं कि हर दिन औसतन एक राहगीर की मौत हो रही है या तो जख्मी हो रहे हैं।
इन दूर्घटनाओ से जाम लगने की कहानी अलग है। लोगों का कहना है कि आम्रपाली से कोयले की ढूलाई हो रही है तो डीएमएफटी फंड में चतरा जिले के विकास के लिए पैसा सीसीएल जमा कर रही है पर एनटीपीसी के केरेडारी से दो खनन प्रोजेक्ट से जो कोयला टंडवा के सड़कों से ढूलाई हो रही है उसका विकास का पैसा हजारीबाग को जा रहा है और राहगीरो की मौतें टंडवा सिमरिया और पिपरवार के सड़कों पर हो रही है। एटक नेता बिनोद बिहारी पासवान का कहना है एनटीपीसी सरकार और जिला प्रशासन मुकदर्शक बना हुआ है। व्यवसायी बबलू गुप्ता कहते हैं कि हाइवा की आतंक एक ऐसी समस्या है जो टंडवा केरेडारी के लोगों का ज़िन्दगी बर्बाद कर रहा है। इधर एनटीपीसी के प्लांट से ऐश पौंड की ढूलाई राहगीरों के लिए नरक बना कर रखा है। कोयला और जहरीले ऐश पौंड के उड़ते धूल गंभीर बिमारियों की सौगात बांट रही है।कोयला उत्पादन और बिजली उत्पादन देश के लिए वरदान जरूर बना है पर टंडवा सिमरिया और केरेडारी के लिए अभिशाप साबित हो रहा है। लोग आज रोटी के लिए नहीं तरस रहे हैं बल्कि सुबह का निकला शाम को सुरक्षित घर वापस लौट जायें इसके लिए परिजन मंदिर और मस्जिदों में दुआ कर रहे हैं। बहरहाल प्रबंधन, प्रशासन और सरकार इस मामले में पूरी तरह मौन साधे हुए हैं।
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