बारंग क्षीति लिपि से ही आविासियों की भाषा संस्कृतिक की है पहचान
चक्रधरपुर मानकी मुंडा सभागार में टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा यहां के गरीब आदिवासी बच्चों को हो भाषा बारंग क्षतिलिपि की पढ़ाई कराई जाती हैं। सप्ताह में त
चक्रधरपुर, संवाददाता । चक्रधरपुर मानकी मुंडा सभागार में टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा यहां के गरीब आदिवासी बच्चों को हो भाषा बारंग क्षतिलिपि की पढ़ाई कराई जाती है। सप्ताह में तीन दिन यहां क्लास चलाया जाता है। जहां क्षेत्र के आदिवासी बच्चे हो भाषा बारंग क्षीति लिपि की पढ़ाई करते हैं। इस संबंध में शिक्षक जीवन बांकिरा ने बताया कि वर्तमान में बच्चों की उपस्थिति काफी कम है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे हो भाषा बारंग क्षीति लिपि की पढ़ाई में शामिल हो। उन्होंने कहा कि बारंग क्षीति लिपि से ही आदिवासियों की भाषा संस्कृति की पहचान होती हैं। यहां बच्चों के साथ-साथ बड़े बुजुर्गों को भी हो भाषा बारंग क्षीति लिपि की पढ़ाई कराई जाती है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सप्ताह में शनिवार, रविवार और सोमवार को शहर में बसे आदिवासी समुदाय के लोग अपने बच्चों को यहां भेजकर शिक्षा ग्रहण करवा सकते हैं।
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