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गंगदा में श्रमिकों को वेतन नहीं मिला तो जलमीनार में जड़ा ताला

गंगदा पंचायत में नक्सल प्रभावित क्षेत्र के श्रमिकों ने तीन महीनों से वेतन न मिलने के कारण कार्यस्थल पर ताला जड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप, गांवों में पानी की आपूर्ति ठप हो गई है, जिससे ग्रामीणों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, चाईबासाSun, 9 March 2025 04:09 AM
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गंगदा में श्रमिकों को वेतन नहीं मिला तो जलमीनार में जड़ा ताला

गुवा, संवाददाता।  नक्सल प्रभावित सारंडा क्षेत्र के गंगदा पंचायत में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना सह पानी फिल्टर प्लांट पर कार्यरत श्रमिकों ने बीते तीन महीनों से वेतन न मिलने के कारण शनिवार की सुबह कार्यस्थल पर ताला जड़ दिया। इसके चलते गंगदा पंचायत के विभिन्न गांवों में पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे भीषण गर्मी में ग्रामीणों को गंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के कारण क्षेत्र के प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं, जिससे ग्रामीणों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। कुछ जलस्रोत गांवों से काफी दूर हैं, जिससे पैदल जाकर पानी लाना सभी के लिए मुश्किल हो गया है। ग्रामीण महिलाओं ने पानी संकट को लेकर नाराजगी जाहिर की है। फिल्टर प्लांट के श्रमिक उदय दास, श्याम सोरेन और सुशील सिधु ने बताया कि वे 2018 से इस प्लांट में कार्यरत हैं और वर्तमान में संवेदक आनंद सिंह के अधीन काम कर रहे हैं। उन्हें क्रमशः 7000 और 6000 मासिक मजदूरी दी जाती है, लेकिन पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है।

श्रमिकों ने बताया कि वे जल आपूर्ति, पानी फिल्टरिंग, पाइपलाइन मरम्मत, नए कनेक्शन देना और 24 घंटे प्लांट की निगरानी जैसे सभी कार्य करते हैं। न तो उनका पीएफ काटा जाता है और न ही न्यूनतम मजदूरी मिलती है। आर्थिक तंगी के कारण घर-परिवार चलाना मुश्किल हो गया है, जिससे मजबूरन प्लांट को बंद करना पड़ा। गंगदा पंचायत के मुखिया राजू सांडिल और सारंडा ग्राम विकास महिला समिति की पदाधिकारी सुनीता देवी ने कहा कि पानी की आपूर्ति ठप होने से गांवों में हाहाकार मचा हुआ है। उन्होंने कहा जितना जरूरी पानी है, उतना ही जरूरी श्रमिकों को समय पर वेतन मिलना।अगर 24 घंटे के अंदर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीण सड़क पर उतरकर आवागमन ठप कर देंगे।पंचायत में कई चापाकल खराब हैं, लेकिन विभाग ने अब तक उनकी मरम्मत नहीं कराई। गंगदा पंचायत में 15 करोड़ रुपये की लागत से 2018 में पेयजल आपूर्ति योजना शुरू हुई थी। इस योजना के तहत दो जलमिनार बनाए गए। दोदारी (1.80 लाख लीटर) और काशिया-पेचा (1.15 लाख लीटर)। योजना के तहत 14 गांवों में पेयजल आपूर्ति होनी थी, लेकिन काशिया-पेचा समेत आधे से अधिक गांवों तक आज तक पानी नहीं पहुंचा। जलशोधन संयंत्र की क्षमता 1.20 एमएलडी है, लेकिन खराब प्रबंधन के कारण लाखों रुपये की यह योजना प्रभावी नहीं हो पाई। जलापूर्ति के लिए 56 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई गई, लेकिन रखरखाव की कमी से कई जगहों पर पानी लीक हो रहा है।गंगदा पंचायत के ग्रामीणों ने मांग की है कि श्रमिकों को जल्द से जल्द वेतन दिया जाए और पेयजल आपूर्ति सुचारू रूप से बहाल की जाए। साथ ही, पंचायत में खराब चापाकलों की मरम्मत और पाइपलाइन की समस्याओं का समाधान करने की भी मांग की गई है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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