Tribute to Marang Gomke Jaypal Singh Munda Workshop Highlights Indigenous Rights मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा को दिया गया श्रद्धांजलि, कार्यशाला आयोजित, Chaibasa Hindi News - Hindustan
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मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा को दिया गया श्रद्धांजलि, कार्यशाला आयोजित

चाईबासा में आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास द्वारा मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यशाला में वक्ताओं ने बताया कि उन्होंने संविधान सभा में आदिवासियों के भूमि...

Newswrap हिन्दुस्तान, चाईबासाThu, 20 March 2025 03:13 PM
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मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा को दिया गया श्रद्धांजलि, कार्यशाला आयोजित

चाईबासा। आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास टाटा कॉलेज चाईबासा के अध्यक्ष विवेक मुंडरी की संयोजन में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के पुन्य तिथि को उनके चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित कार और मौन धारण करने के उपरांत कार्यशाला आयोजित किया गया था। कार्यशाला को वरिष्ठ छात्र अलविन एक्का, आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास के सचिव अनिल मांझी, विशाल गुड़िया, असीम जुरिया सिंकु, रामराई गुड़िया, जयपाल कांडेयांग ने भी संबोधित किया। कार्यशाला में झारखण्ड पुनरुत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास टाटा कॉलेज चाईबासा में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने संविधान सभा में 30 अप्रैल 1948 को मौलिक अधिकारों पर चर्चा के दौरान आदिवासियों के जमीन पर अधिकार को मौलिक अधिकार अनुच्छेद 13 में शामिल करने की मांग मजबूती से उठाया था, ताकि भविष्य में आदिवासियों की बेदखली और शोषण को रोका जा सके। लेकिन अब तक हम संपूर्ण आदिवासी समाज मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की उस मूल भावना को आत्मसात नहीं कर सके। परिणामस्वरूप आजाद देश में सबसे अधिक अपने जमीन से बेदखली और शोषण आदिवासियों का हुआ है और हो रहा है।श्री सिंकु ने कहा जिस बृहत अलग झारखण्ड राज्य की सपना मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने देखा था, झारखण्ड तो मिला लेकिन छोटा स्वरूप में। अब इसी झारखण्ड में दोषपूर्ण विकास मॉडल के नाम पर सबसे अधिक असंवैधानिक रूप से आदिवासियों का भूमि हस्तांतरण किया जा रहा है। जबकि झारखण्ड में CNT/ SPT ACT प्रभावी है, विल्किंसन रूल्स प्रवृत्त हैं। बावजूद इसके सरकार और नौकरशाह आदिवासियों की असंवैधानिक भूमि हस्तांतरण को रोकने में विफल है। इसलिए आदिवासियों को अपना अस्तित्व बचाना है तो मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर जन आंदोलन करने के लिए आगे आना होगा। आदिवासी बाल कल्याण छात्रावास के प्रोफेक्ट मोटाय कोंडलकेल ने कहा हम छात्रों के लिए मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा निश्चित ही प्रेरणाश्रोत है। जिन्होंने एक गांव के साधारण परिवार में जन्म लेने के बाद भी उच्च शिक्षा ग्रहण कर देश के लिए उल्लेखनीय कार्य किया।कार्यशाला में लालसिंह मारला, जसवंत बिरुली, अंकित सुरीन, जितराय कोया, राज कालुंडिया, घनश्याम केराई, विश्वकर्मा, विष्णु टोपनो, नीलक्स पुरती, साहेब होरो, मानसिंह लोमगा, मनमोहन देवगम, नूडाय टुडू, आशीष बागे, सोनाराम तिरिया, दीपक सुंडी, अनिल मुंडू, मार्शल मुर्मू, रूपचंद बास्के, सागदा मुर्मू, कुशल सोय, लवकुश सरदार, सूनाराम मार्डी, सेलाए हेंब्रम, सूरज पुरती, सतारी सामाड, अविन पचाय सिंकु और अन्य छात्र उपस्थित थे।

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