विस्थापन आदिवासियों के लिए अभिशाप,ईचा डैम का मुद्दा संसद में गूंजेगा: राजकुमार
चाईबासा में ईचा खरकई बांध विरोधी संघ ने सांसद राजकुमार रोत से मिलकर डैम रद्द करने की मांग की। प्रतिनिधिमंडल ने कोल्हान और उड़ीसा के प्रभावित गांवों की स्थिति पर चर्चा की, और आदिवासी समुदाय के मौलिक...
चाईबासा। ईचा खरकई बांध विरोधी संघ, कोल्हान का प्रतिनिधि मंडल अध्यक्ष बिर सिंह बुड़ीउली के नेतृत्व में भारतीय आदिवासी पार्टी के सांसद सह संस्थापक राजकुमार रोत से मिल कर ईचा डैम को रद्द करने हेतु ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मंडल ने संसद से मिल कर स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना से कोल्हान के 87 गांव और उड़ीसा के 36 गांव विस्थापित और प्रभावितों पर चर्चा की और इसका प्रतिकूल प्रभाव आदिवासी मूलवासियों पर पड़ने पर अस्मिता, अस्त्तिव और पहचान समाप्त होने की बात कही। विस्थापितों का मौलिक अधिकारी, जीने, रहने, बसने और जीविकापार्जन का अधिकार खत्म हो जाएगा। संघ ने इस माह विनाशकारी डैम को रद्द कराने की गुहार लगाई। ज्ञापन स्वीकार करते व इस मामले की गंभीरता से लेते हुए संसद राजकुमार रोत ने संघ के प्रतिनिधिमंडल को आश्वत किया कि विस्थापन आदिवासियों के लिए अभिशाप है। संसद के आगामी सत्र में ईचा डैम का मुद्दा उठाएंगे और दबे, कुचले, पिछड़े और विस्थापितों को न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे। एक दिवसीय कोल्हान दौरे पर संसद राजकुमार रोत चाईबासा पहुंचे थे। प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष बिर सिंह बुड़ीउली, उपाध्यक्ष रेयांस सामड,सचिव सुरेश सोय, सह संयोजक योगेश कालुंडिया, सलाहकार हरीश चंद्र अल्डा, मुकेश कालुंडिया, कोषाध्यक्ष गुलिया कालुंडिया,मीडिया सचिव गणेश बारी, रविंद्र अल्डा और आंदोलनकारी उपस्थित थे।
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