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सेल प्रबंधन ने सारंडा के दूरस्थ गांवों में स्कूली बच्चों को खेल सामग्री और ट्रैकसूट किया वितरण

गुवा के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के स्कूल के बच्चों को सेल की ओर से खेल सामग्री और ट्रैकसूट मिले। यह कार्यक्रम सीजीएम आरपी. सेलबम के नेतृत्व में आयोजित किया गया। बच्चों को फुटबॉल, बैडमिंटन, और क्रिकेट...

Newswrap हिन्दुस्तान, चाईबासाTue, 6 May 2025 11:35 AM
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सेल प्रबंधन ने सारंडा के दूरस्थ गांवों में स्कूली बच्चों को खेल सामग्री और ट्रैकसूट किया वितरण

गुवा । नक्सल प्रभावित सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों कुमडीह, बराईबुरु और टाटीबा के स्कूली बच्चों के चेहरों पर उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब सेल की मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन की ओर से उन्हें खेल सामग्री और ट्रैकसूट प्रदान किया गया। यह कार्यक्रम खदान के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) आरपी. सेलबम के नेतृत्व में कंपनी की कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) योजना के तहत आयोजित किया गया। इस अवसर पर स्कूली बच्चों के बीच फुटबॉल, बैडमिंटन, कैरम बोर्ड, वॉलीबॉल, क्रिकेट किट जैसे खेल सामग्री के साथ-साथ ट्रैकसूट भी वितरित किए गए। इसका उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेल की ओर भी प्रोत्साहित करना था ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।

इस दौरान सीजीएम आरपी. सेलबम ने अपने संबोधन में कहा कि हमारा प्रयास है कि हम इन दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ें। शिक्षा और खेल दोनों बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं। कार्यक्रम में उपस्थित स्थानीय ग्रामीणों, मुंडाओं और अभिभावकों ने सेल के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पहल से बच्चों को प्रेरणा मिलती है और गांवों में सकारात्मक माहौल बनता है। टाटीबा गांव के मुंडा ने कहा, पहली बार गांव के बच्चों को इस स्तर पर खेल सामग्री मिली है। इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे नई दिशा में सोच सकेंगे। कार्यक्रम में सहायक महाप्रबंधक मृत्युंजय कुमार, सामाजिक समन्वयक सरगेया अंगारिया समेत कई अन्य अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही। स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं और गांवों के गणमान्य लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। शिक्षक ने कहा बच्चों को जब ट्रैकसूट और खेल सामग्री मिली तो उनकी आंखों में चमक थी। यह सिर्फ एक उपहार नहीं बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव है। कुमडीह, बराईबुरु और टाटीबा जैसे गांव वर्षों से नक्सल प्रभाव की छाया में रहे हैं, जिससे यहां विकास की गति धीमी रही है। ऐसे में सेल की यह पहल सिर्फ एक सीएसआर कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है।

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