खदानों की सुरक्षा के बिना स्टील उद्योग को बचाना संभव नहीं:- ललित मोहन मिश्रा
सीटू के महासचिव ललित मोहन मिश्रा और एसडब्लूएफआई के नेताओं ने किरीबुरु में श्रमिकों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार सार्वजनिक खदानों और स्टील उद्योगों को निजी कंपनियों को बेचने की कोशिश कर रही...
गुवा । सीटू के अखिल भारतीय महासचिव ललित मोहन मिश्रा, स्टील वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसडब्लूएफआई) के उपाध्यक्ष जी.बी. बनर्जी और एसडब्लूएफआई के पदाधिकारी दीपक घोष 3 जनवरी को किरीबुरु पहुंचे। टीआर गेट पर इन केंद्रीय मजदूर नेताओं का स्वागत सीटू, झारखंड खदान समूह के उपाध्यक्ष रामबिलाप पासवान, मेघाहातुबुरु के अध्यक्ष निरंजन कुमार साह, सचिव अर्जुन सिंह पूर्ति, उपाध्यक्ष दुल्लू हेस्सा, उपेंद्र साह, मनीष पासवान आदि ने किया। केंद्रीय मजदूर नेता ललित मोहन मिश्रा ने कहा कि भारत सरकार सेल समेत सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और खदानों को निजी कंपनियों के हाथों बेचने की कोशिश कर रही है। इस साजिश के खिलाफ देशभर और स्टील उद्योगों में आंदोलन जारी है। विशाखापत्तनम (वाईजेक) की स्थिति इसका उदाहरण है, जहां पिछले दो वर्षों से संघर्ष जारी है। केन्द्र सरकार की गलत नीति से कई स्टील प्लांट और खदानें खतरे में हैं। आरएमडी (रॉ मैटेरियल डिवीजन) के भंग होने को इन समस्याओं की शुरुआत माना जा रहा है। आरएमडी के तहत किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुवा, चिड़िया, बोलानी, काल्टा, बर्सुआं आदि खदानें आती थीं। आरएमडी के रहते खदानों, श्रमिकों, टाउनशिप, गांवों और चिकित्सा सुविधाओं की स्थिति बेहतर थी, जो अब लगातार गिर रही है। तालडीह खदान का लीज 25 वर्षों के लिए अडानी को दिए जाने का भी विरोध हो रहा है। यह सिलसिला जारी रहा तो सभी खदानें और स्टील प्लांट निजी हाथों में चले जाएंगे। मजदूर नेताओं ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा के लिए संगठन को मजबूत करना जरूरी है। खदानों की सुरक्षा के बिना स्टील उद्योग बचाना संभव नहीं। इस गंभीर मुद्दे पर संसद में भी चर्चा नहीं हो रही, जो चिंताजनक है। नेताओं ने स्थानीय श्रमिकों से बातचीत कर संगठन को मजबूत करने और खदानों की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।
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