नई सरकार के गठन के बाद होगा केयू शिक्षकों की समस्या का समाधान
कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने राज्यपाल से मुलाकात कर शिक्षकों की समस्याओं पर चर्चा की। प्रमुख समस्याएं: 2008 के शिक्षकों का लंबित प्रमोशन, अवकाश में कटौती और नियमित कुलपति की नियुक्ति का अभाव।...
चाईबासा, संवाददाता। कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में राजभवन में बुधवार को राज्यपाल सह कुलाधिपति से मुलाकात किया। प्रतिनिधिमंडल ने कोल्हान विश्वविद्यालय के शिक्षकों सहित पूरे झारखंड के विश्वविद्यालयों से संबंधित समस्याओं से अवगत कराया। इसमें से मुख्य रूप से सरकार द्वारा अवकाश में हुई कटौती, 2008 के शिक्षकों का लंबित प्रमोशन और स्थान कुलपति की नियुक्ति पर विशेष रूप से जानकारी दी। राजयपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। ज्ञापन में बताया गया है कि कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा में लगभग दो वर्षों से नियमित कुलपति की नियुक्ति नहीं हुई है। कोल्हान प्रमण्डल के आयुक्त को ही विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार दिया जा रहा है। नियमित कुलपति के अभाव में विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण एवं नीतिगत कार्य नहीं हो पा रहे हैं। कई बार तो सामान्य दैनिक कार्य भी समय पर नहीं हो रहे हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति की नियुक्ति करने का अनुरोध किया गया है कि ताकि विश्वविद्यालय का कार्य सुचारू रूप से चल सके और शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के कार्य समय पर हो सकें। प्रतिनिधिमंडल के मुताबिक कुलाधिपति ने आश्वासन दिया कि नए सरकार के गठन के बाद इन समस्याओं पर विचार कर समाधान का प्रयास किया जाएगा। प्रतिनिधि मंडल में अध्यक्ष के साथ महासचिव इंदल पासवान, डॉ. रंजीत कर्ण और प्रो. सुभाष चंद्र दास शामिल थे।
इसमें बताया गया कि झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए वर्ष 2024 का एक सामान अवकाश कैलेंडर जारी किया है, जिसमें पूर्व के वर्षों में शिक्षकों को मिलने वाले वार्षिक छुट्टियों एवं अवकाश में कटौती कर दी गई है। वर्ष 2024 से पूर्व झारखण्ड के सभी राजकीय विश्वविद्यालयों द्वारा अपने नियंत्राधीन महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के शिक्षक तथा कर्मचारियों के लिए वार्षिक अवकाश की सूची जारी किया जाता था। लेकिन वर्ष 2024 में राजभवन सचिवालय, झारखण्ड ने राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए एकरूप अवकाश तालिका जारी किया गया है, जिसमें पहले से शिक्षकों को मिलने वाले ग्रीष्मावकाश, शीतकालीन अवकाश, क्रिसमस छुट्टी आदि में कटौती कर दिया गया है। शिक्षकों के शोधकार्य आदि के लिए 30 दिनों का ग्रीष्मावकाश पूर्व से ही दिया जाता रहा है, लेकिन वर्तमान वर्ष में उसमें भी कटौती कर दिया गया है। पहले एक सप्ताह का शीतकालीन अवकाश या क्रिसमस त्योहार की छुट्टी रहती थी, जो की वर्तमान में कटौती कर मात्र एक दिन का कर दिया गया है। प्रतिनिधिमण्डल नें ज्ञापन वर्तमान अवकाश तालिका में आवश्यक संशोधन करते हुए झारखण्ड के समस्त विश्वविद्यालयी शिक्षकों के लिए तीस दिनों का ग्रीष्मावकाश एवं एक सप्ताह का शीतकालीन अवकाश पुनर्बहाल करने का अनुरोध किया है। इसी तरह ज्ञापन मे बताया गया है कि वर्ष 2008 में नियक्त शिक्षकों की सेवा के 16 वर्ष व्यतीत होने के बाद एक भी पदोन्नति नहीं मिली है। वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षक आज सहायक प्राध्यापक पद (लेवल 10) पर ही सेवा दें रहें हैं। पदोन्नति की प्रतीक्षा में कई शिक्षक सेवानिवृत हो गए हैं। जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार शिक्षकों को योगदान की तिथि से 4/5/6 वर्ष के बाद पदोन्नति हो जानी चाहिए थी। पदोन्नति के अभाव में कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, वित्त पदाधिकारी आदि पदों पर झारखण्ड राज्य के शिक्षक सेवा देने के लिए योग्य नहीं बन पा रहें हैं। बिहार राज्य के विश्वविद्यालयों में हमारे साथ योगदान देने वाले शिक्षक आज प्रोफेसर के पद पर प्रौन्नत हो गए हैं। जबकि झारखण्ड के शिक्षक पदोन्नति की आस लगाए हुए है। इस संबंध मे झारखण्ड राज्य के शिक्षकों की पदोन्नति हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश देने का अनरोध किया है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।