केयू शिक्षक संघ ने परीक्षा विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा
कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने कुलपति को पत्र भेजकर परीक्षा विभाग में शिक्षक विरोधी कार्य-संस्कृति और उत्तर पुस्तिका वितरण में अनियमितता का आरोप लगाया है। संघ ने परीक्षा संचालन में कठिनाई का...
चाईबासा, संवाददाता। कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग में शिक्षक विरोधी कार्य-संस्कृति एवं मूल्यांकन के लिए उत्तर पुस्तिका वितरण में अनियमितता का आरोप लगाते हुए कुलपति सह आयुक्त को एक पत्र भेज कर कार्रवाई करने की मांग की है। कोल्हान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार सिंह एवं महासचिव इंदल पासवान ने अपने पत्र में बताया है कि विश्वविद्यालय का परीक्षा विभाग साल में दो सेमेस्टर की लिखित, प्रायोगिक एवं मौखिक परीक्षा लेने के लिए विभिन्न महाविद्यालयों को परीक्षा केन्द्र बनाती है, लेकिन विगत तीन वर्षों से परीक्षा संचालन के लिए केंद्र व्यय, प्रश्न पत्र लाने एवं उत्तर पुस्तिका विश्वविद्यालय भेजने के लिए गाड़ी का भाड़ा, वीक्षकों का पारिश्रमिक, प्रायोगिक तथा मौखिक परीक्षा के लिए बाह्य या आंतरिक परीक्षक का पारिश्रमिक महाविद्यालयों को नहीं भेज रही है। फलतः परीक्षा कोष के अभाव में महाविद्यालयों को परीक्षा संचालित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, जबकि विद्यार्थियों से परीक्षा शुल्क लिया जाता है। रांची विश्वविद्यालय के समय से ही एवं कोल्हान विश्वविद्यालय के स्थापना के बाद भी विभिन्न परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन केंद्रीयकृत मूल्यांकन केंद्र के माध्यम से किया जाता था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से विश्वविद्यालय ने यह व्यवस्था समाप्त कर दी है और अब शिक्षकों को विश्वविद्यालय मुख्यालय स्वयं जाकर उत्तर पुस्तिका लेने एवं घर पर जांचकर पुनः उसे मुख्यालय में जमा करने का आदेश दिया जा रहा है। परीक्षा नियंत्रक नें परीक्षा विभाग ने सूची जारी करने की तिथि से पूर्व ही उत्तर पुस्तिकाओं का वितरण करना प्रारम्भ कर दिया है, जो एक प्रकार से अपने ही आदेश के विपरित कार्य करना है।
परीक्षा विभाग, विश्वविद्यालय विभागाध्यक्षों से सम्पर्क किए बिना ही उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के लिए परीक्षकों की सूची जारी कर देती है। प्रायः यह भी देखा जाता है कि परीक्षक सूची बनाते समय विषय विशेषज्ञता को ध्यान में नहीं रखा जाता है। उत्तर पुस्तिका वितरण के लिए कोई सामान्य नियम नहीं अपनाया जाता है। किसी शिक्षक को कम तो किसी शिक्षक को ज्यादा उत्तर पुस्तिकाएं आवंटित की जाती है। संघ का आरोप है कि विषय विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए सभी नियमित शिक्षकों को प्रश्न-पत्र तैयार करने का बराबर अवसर दिया जाना चाहिए। ऐसा न हो कि किसी विशेष शिक्षक को लगातार प्रश्न-पत्र तैयार करने के लिए दिया जाए और बाकी लोगो को वंचित रखा जाए। संघ नें मांग किया है कि है कि यदि विश्वविद्यालय केंद्रीयकृत मूल्यांकन केंद्र की व्यवस्था नहीं कर पाती है तो विषयवार प्रति शिक्षक आवंटित उत्तर पुस्तिका का पैकेट तैयार कर उनके पदस्थापित महाविद्यालय में भेज दिया जाए एवं एक निश्चित समय अवधि के बाद पुनः उनसे प्राप्त कर लिया जाए। कोरोना काल में स्थानीय स्तर पर बाह्य परीक्षक नियुयक्त कर परीक्षा संपादित करने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी और तब से पारिश्रमिक आदि का भुगतान भी बंद हो गया है। चूंकि कोरोना काल में यह एक वैकल्पिक व्यवस्था थी, परन्तु विश्वविद्यालय परीक्षा विभाग उसे एक नियम बनाकर आज भी स्थानीय स्तर पर ही बाह्य परीक्षक के माध्यम से प्रायोगिक एवं मौखिक परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देती आ रही है। संघ ने इस पर कार्रवाई की मांग की है।
इस संबंध में डॉ. राजेंद्र भारती, कुलसचिव, कोल्हान विवि ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए परीक्षा नियंत्रक से विचार-विमर्श कर जल्द ही इसे सुलझा लिया जाएगा।Ü
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