परवल की खेती से रघुनाथ बागे कर रहे अच्छी आमदनी
पश्चिम सिंहभूम जिले में रघुनाथ बागे ने परवल की खेती शुरू की है और इसमें अच्छा मुनाफा कमाया है। आत्मा के सहयोग से, उन्होंने 2 एकड़ भूमि पर परवल और अन्य सब्जियाँ उगाने का कार्य किया है। उन्हें स्थानीय...
पश्चिम सिंहभूम जिले में परवल की भी खेती होती है और ऐसा कर दिखाया है कुमारडुंगी प्रखंड के टीयापोसी बायहातु गांव के कृषक रघुनाथ बागे ने। रघुनाथ बागे इस वर्ष आत्मा के सहयोग से परवल की खेती आरंभ किया है। पिछले वर्ष इस खेती में उन्हें अच्छा फायदा हुआ था उसको देखते हुए उन्होंने इस वर्ष विशेष रूप से दो एकड़ भूमि में परवल की खेती का कार्य कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। इस कार्य में आत्मा के प्रखंड तकनीक प्रबंधक का पूरा सहयोग है। कुमारडुंगी प्रखंड के प्रखंड तकनीक प्रबंधक शैलेश कुमार सिंकू तथा एटीएम राजीव कुमार महतो ने रघुनाथ बागे को समय-समय पर तकनीकी सहयोग किया जिसका नतीजा है कि आज रघुनाथ बागे 2 एकड़ से ज्यादा भूमि पर परवल के साथ-साथ कुंदरू, बरबटी करेला सहित अन्य सब्जियों के खेती का कार्य कर रहे हैं। लेकिन परवल की खेती में उन्हें अच्छा फायदा हुआ। उन्होंने बताया कि परवल के जो पौधे हैं फल के तोड़ लेने के बाद उन्हें फिर से लगाने की जरूरत नहीं है। पौधों पर अगर गोबर का छिड़काव कर दिया जाता है तो एक समय के बाद पुनः फल लगना शुरू हो जाता है। इससे बीज और श्रम की जो लागत होती है और उसके बाद बेचने से जो मुनाफा होता है वह शुद्ध मुनाफा होता है। उन्होंने बताया कि वे परवल सहित अन्य सब्जियों के उत्पाद को आसपास के स्थानीय बाजारों तथा अंधारी कुमारडुंगी तथा भरभरिया के बाजारों में जाकर बेचते हैं जिससे इन सब्जियों की अच्छी कीमत मिल जाती है और इसके खरीदार स्थानीय ग्रामीण ही हैं जो परवल के सब्जी को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। रघुनाथ बागे ने कृषकों को सुझाव दिया कि कभी भी वे अपने खेतों को खाली ना छोड़े इससे भूमि की उर्वरता खराब होती है उसकी गुणवत्ता खराब होने से बचने के लिए काम ही मात्रा में सही पर खेतों में कुछ खेती जरूर करें जिस की उर्वरता बनी रहेगी और सब्जी की खेती करने में कम समय में कृषक को अच्छे आए की प्राप्ति भी संभव है इसलिए कृषक ध्यान देकर बाजार की मांग को देखते हुए सब्जियों का उत्पादन करने से न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि लोगों को अच्छे मूल्य पर अच्छी सब्जियां भी प्राप्त हो सकेंगे। प्रखंड के तकनीक प्रबंधक इसे खरीदार भी वही होते हैंउसकी आय भी बढ़ जाती है के उत्पाद कोवह काम हो जाती है लगता है। ऐसे तो आत्मा के द्वारा कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सब्जियों की खेती पर जोर किया जा रहा है ताकि कृषक अधिक से अधिक सब्जियों का उत्पादन करें और आत्मनिर्भरता की दौड़ में आगे बढ़े उसी का प्रतिफल है कि आज कृषक परंपरागत रूप से उपजाई जाने वाले सब्जियों के साथ-साथ अन्य सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं और आर्थिक रूप से अपनी स्थिति को भी संभालने का कार्य कर रहे हैं।
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