दुर्गोत्सव को लेकर नोवामुंडी में तैयारी पूरी
नोवामुंडी में बालीझरन, जोजोकेम्प, संग्रामसाई और अन्य स्थानों पर दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई जा रही है। इस वर्ष पूजा समितियों ने आकर्षक विद्युत सज्जा की है। 1945 में टिस्को के सहयोग से शुरू हुई यह पूजा...
नोवामुंडी में बालीझरन, जोजोकेम्प, संग्रामसाई, बाजार स्थित दुर्गा मंदिर, स्टेशन कॉलोनी, सेंट्रल केम्प समेत छह स्थानों में पूजा की जा रही है। इस वर्ष सभी पूजा कमेटियों की ओर से भव्यता के साथ पंडालों में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। इस बार दुर्गा पूजा को लेकर व्यापक रूप से उत्साह देखा जा रहा है। खासकर बच्चों में जो नई नई परिधन पहनकर पूजा का आनंद लेंगे। नोवामुंडी में दुर्गा पूजा की शुरूआत
नोवामुंडी में टाटा कंपनी आने के पश्चात 1945 में सर्वप्रथम टिस्को के मैनेजर एस.पी राय,मनोसा बनर्जी उर्फ लाईन बाबू,उपेन्द्र नाथ बोस ने मिलकर बाबूलाईन में दुर्गा पूजा की शुरूआत की थी।इसके पश्चात संग्रामसाई केम्प में प्रकाश भट्टाचार्य एंव नीतू बोस के सहयोग से पूजा का आयोजन किया गया जिसके बाद व्यवयायी वर्ग ने बाजार में पूजा करने का फैसला लिया जिसमें हिन्दु मुस्लिम एकता के परिचय दिखाते हुए नीतू बोस,मन्नान खान,पठानी पुष्टि आदि ने मिलकर इंस्पेक्टर कार्यालय के प्रागंण में दुर्गा पूजा आरंभ किया जो बाद में दुर्गा मंदिर मंडप में होने लगा।इसी तरह से 1966 से जोजोकेम्प पूजा किया जा रहा है।
छुआछुत के मतभेद के कारण बालीझरन में शुरू हुई दुर्गा पूजा
बालीझरन में स्वीपर लाईन थी जिसमें हरिजन जाति के मजदूर टिस्को कॉलोनी के नाली,ड्रेनेज सफाई में कार्यरत थे।1952में बाबूलाईन में दुर्गा पूजा की मिटिंग में हरिजन स्वीपर को पंडाल में घुसने नहीं देने की बात तय होने पर दुलु बोस,कालीचरण हेम्ब्रम,एल.सिंह,जार्ज केराई,श्रीपति गिरी आदि ने मिटिंग का बहिष्कार करते हुए दस दिनों के अंदर बालीझरन धर्मशाला(पार्क)में सफलतापूर्वक पूजा किया इसके बाद पंडाल बनाया गया जो आज तक दुर्गा मां की पूजा हो रही है।वर्तमान में नोवामुंडी बाबुलाइन को खनन क्षेत्र घोषित किये जाने के बाद कॉलोनी को खाली करा दिया गया है,जिससे 2023 से बाबुलाइन में दुर्गा पूजा बंद हो गया है।
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