तसर कृषकों का होगा आर्थिक उन्नयन
चाईबासा में तसर कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें तसर की खेती के लाभों के प्रति जागरूक करने के लिए बीजागार तैयार किए जा रहे हैं। यह कार्य केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से समग्र सिल्क योजना के तहत...

चाईबासा। तसर कृषक आत्म निर्भरता की दौड़ में आगे बढ़े बल्कि अपने आसपास के रहने वाले इच्छुक किसानों को भी तसर की खेती और इससे होने वाले फायदे को लेकर जागरूक करें। इस उद्देश्य को लेकर अग्र परियोजना केंद्र चाईबासा के द्वारा जिले के विभिन्न प्रखंडों में तसर कृषकों के आर्थिक रूप से उन्नयन के लिए बीजागार तैयार कराई जा रहे हैं। इस भवन का निर्माण समग्र सिल्क योजना के तहत किया जा रहा है। यह कार्य के केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आरंभ किया गया है। योजना के उद्देश्यों के अनुरूप कृषकों के लिए निजी इस योजना के तहत तसर कृषकों के लिए भवन का निर्माण कराया जा रहा है जहां पर कृषक कोकुन अंडे को तैयार करेंगे और इसका वितरण अपने गांव के और आसपास के गांव के तसर कृषकों के बीच वितरण करेंगे। इसके लिए उन्हें आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी जिससे कि हुए इस दिशा में आगे बढ़े और अपने आर्थिक उन्नयन के रास्ते को और सशक्त बना सके। विभागीय जानकारी के अनुसार इस वर्ष मार्च महीने के अंत तक जिले में बनने वाले सभी बीजागार तैयार हो जाएंगे और सितंबर और अक्टूबर माह में इन बीजागिरो से निजी बीज उत्पादक कृषक इस योजना से लाभान्वित होकर तसर बीज डीएफएल का उत्पादन कर सकेंगे। और इन बीजों का वितरण आसपास के इच्छुक तसर उत्पादक कृषकों के बीच वितरण कर सकेंगे। जिससे उनकी तो आय में वृद्धि होगी ही तसर उत्पादन के क्षेत्र में बढ़ोतरी हो सकेगी। और आने वाले समय में उनके भी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।
अग्र परियोजना केंद्र चाईबासा के प्रभारी प्रदीप कुमार महतो ने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों ही तसर की खेती के लिए विकास के साथ साथ ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। ताकि न केवल तसर का उत्पादन बढ़ाए साथ ही साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि हो।
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