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बोले रामगढः पुरोहितों का चाहिए सम्मान और मानदेय

  • निश्चित मानदेय नहीं होने से पुजारी व पुरोहित सदैव खुद के साथ अपने परिजनों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। साथ ही सामाजिक स्तर पर भी लगातार मिल रही उपेक्षा के कारण उनका अपने पुश्तैनी पेशे से भी मोहभंग होता जा रहा है।

Hindustan हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Feb 2025 08:05 PM
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बोले रामगढः पुरोहितों का चाहिए सम्मान और मानदेय

रामगढ़, निज प्रतिनिधि ।

शादी-विवाह, अन्नप्राशन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य हों या श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि कर्मकांड, बगैर धार्मिक अनुष्ठान के पूर्ण नहीं होते। किंतु सामाजिक सुरक्षा के अभाव व शासन स्तर पर मानदेय अथवा कोई भी आर्थिक लाभ नहीं मिलने से खुद के साथ परिवार के भविष्य की चिंता की वजह से धीरे-धीरे पूजा-पाठ के पुश्तैनी पेशा वाले भीे पुरोहित के कार्य से विमुख होने लगे हैं। निश्चित मानदेय नहीं होने से पुजारी व पुरोहित सदैव खुद के साथ अपने परिजनों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। साथ ही सामाजिक स्तर पर भी लगातार मिल रही उपेक्षा के कारण उनका अपने पुश्तैनी पेशे से भी मोहभंग होता जा रहा है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ कार्यक्रम के तहत जिले के विभिन्न देव स्थलों में पूजन कार्य संपन्न कराने वाले पुजारियों ने कार्य के दौरान उत्पन्न दिक्कतों को लेकर अपने अनुभव साझा किए और समाधान के लिए सुझाव भी दिए।

मंदिर पुजारी और पंडित शब्द आते ही लोगों के ह्दय में प्रेम, करुणा का भाव सहज ही उदय हो जाता है। कहते है कि भगवान से भक्त को मिलाने में पंडित या पुजारी की भूमिका सबसे अहम होती है। हमारा सनातन समाज ने पुजारियों और पंडितों को सर्वोच्च स्थान दिया हुआ है। जब से पृथ्वी बनी है, तब से पुजारी एवं पंडित भी है।

पुजारी पवित्र मंत्रों का जाप करके, प्रार्थना की घंटी बजाकर और कभी-कभी स्थल पुराण (एक क्षेत्रीय हिंदू किंवदंती जो मंदिर के महत्व को समझाती है) का पाठ करके पूजा करने के बाद, पुजारी भक्तों को प्रसादम ( भोजन का पवित्र प्रसाद), चरणामृतम या तीर्थम (जल जो पहले मूर्ति के पैरों को धोने के लिए इस्तेमाल किया गया था), सतारी (एक सुनहरा या चांदी का मुकुट जो भक्तों के सिर पर रखा जाता है, जिसमें मूर्ति के पैरों की छाप होती है) और तिलकम (चंदन का पेस्ट, कुमकुम , विभूति जो भक्तों के माथे पर पहना जाता है) देकर आशीर्वाद देते हैं। पुजारी, भगवद गीता और रामायण जैसे धार्मिक साहित्य के अपने विस्तारित ज्ञान के माध्यम से , हिंदू समुदाय के देवताओं के प्रति भक्ति को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। हिंदू त्योहारों के दौरान, साथ ही पारंपरिक आयोजनों जैसे शादियों , जनेऊ समारोह , कुंभाभिषेक , अंत्येष्टि और विशेष देवता-विशिष्ट समारोहों के दौरान, पुजारियों को पूजा करने के लिए बुलाया जाता है। लेकिन आज के दिनों में पुजारी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन पुजारियों के लिए पंजाब, तेलगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों की तर्ज पर ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन नहीं किया गया। इससे उन्हें मिलने वाली कई सुविधाएं नहीं मिल पाती है। वे पूजा-पाठ के बाद मिले दान-दक्षिणा पर निर्भर हैं। इससे उन्हें अपने परिवार को चलाने में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

वहीं झारखंड सरकार की ओर से पुजारियों के लिए कोई निश्चित वेतन मान भी तय नहीं किया गया। साथ ही उन्हें मंदिरों से बहुत ही कम वेतनमान मिलता है। इससे उन्हें अपनी जिदंगी की गाड़ी चलाने में काफी परेशानी होती है। पैसे के अभाव में वे अपने परिवार को सही से लालन-पालन भी नहीं कर पा रहे हैं। साथ ही अपने बच्चों को उचित शिक्षा भी नहीं दे पा रहे हैं। इससे उनके बच्चों का भी समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। वे अपना घर गांव से गेहूं और चावल लाकर चला रहे हैं।

वहीं उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार की ओर से भी पहल नहीं की जा रही है। साथ ही रामगढ़ में ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र भी नहीं बन पा रहा है। इससे उच्च वर्ग के गरीब परिवार को 10 प्रतिशत मिलने वाला आरक्षण का लाभ इनके बच्चों को नहीं मिल पा रहा है। वहीं गरीब पुजारियों को सरकार की ओर से मकान बनाने में भी सहयोग नहीं मिलता है। इससे वे झुग्गी-झोपड़ी में रहने को विवश हैं।

पुजारियों को सरकार की ओर से मिले वेतनमान

जिले के पुजारियों का कहना है कि जिले के विभिन्न मंदिरों के पुजारी और पंडितों को सरकार की ओर से निश्चित वेतनमान देना चाहिए। इससे पहले केंद्र सरकार को सनातन बोर्ड बनाकर सभी मठ एवं मंदिरों को अपने संरक्षण में लेकर उसका विकास करें। वेतनमान मिलने से पुजारियों की आर्थिक स्थिति काफी हद तक सही हो जाएगी। जिले में ऐसे कई मंदिर हंै, जहां पुजारियों को एक रुपया वेतनमान नहीं मिलता है। वे विभिन्न लोगों के घर और दुकान में पूजा पाठ कर अपना और अपने परिवार का लालन-पालन करते है। गरीबी के कारण वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं दे पाते हंै। अपने गांव से गेहूं और चावल लाकर अपनी जीविका चलाते हैं। इससे उन्हें काफी परेशानी होती है।

ईडब्लूएस प्रमाण पत्र नहीं बनने से परेशानी

शहर के कई ब्राह्मणों ने बताया कि केंद्र सरकार ने सामान्य जाति के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के प्रोत्साहित करने के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण विभिन्न नौकरियों में लागू किया है, लेकिन रामगढ़ जिला में ईडब्लूएस प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है। प्रतिदिन सैकडों सामान्य जाति के लोग अनुमंडल कार्यालय चक्कर लगा कर थक गए है। हालांकि झारखंड सरकार की ओर से ईडब्लूएस प्रमाण पत्र बनाने का कोई पत्र नहीं है। साथ ही कोई पदाधिकारी स्पष्ट रूप से कहने के लिए तैयार नहीं है।

कमाई कम होने से युवा नहीं आना चाहते हैं इस पेशे में

बढ़ती महंगाई का असर मंदिर के पुजारियों एवं पंडितों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। इस कारण मंदिर के पुजारियों एवं पंडितों की आर्थिक स्थिति दिनों दिन खराब होते जा रही है। एक पुजारी का कहना है कि क्योंकि महंगाई के हिसाब से उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है।

सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि मंदिर के पुजारी एवं पंडित के बच्चे अपने पिता की स्थिति को देखते हुए पुजा पाठ कर्म से विमुख होते जा रहे है। समाज के युवाओं का कहना है कि इस पेशे में आजकल परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। इस कारण और पढ़ाई-लिखाई कर दूसरे पेशे में जाएंगे, जिससे अपने परिवार की गाड़ी बेहतर ढंग से खींच सके।

साथ ही पंडित एवं पुजारी अब अपने बच्चों को भी अपने क्षेत्र में आने के लिए मना कर रहे है। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर ख्याति प्राप्त कंपनी और सरकारी नौकरी करें। रामगढ़ जिला के देखा जाए तो बहुत ही कम पुजारी और पंडित अपने बच्चे को पूजा पाठ की शिक्षा दे रहे हैं। उनके बाद पूजा पाठ करनेवाले पंडित या पुजारी समाप्त हो जाएंगे। फलत: लोगों को काफी परेशानी होगी।

इनकी भी सुनिए

प्रदेश में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड और ब्राह्मण कल्याण कॉरपोरेशन बनाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरने का आवेदन सौंपा है। उन्होंने कहा कि गरीब ब्राह्मणों की उन्नति के लिए पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र आदि ने ब्राह्मण कल्याण बोर्ड बनाया है। इसलिए झारखंड में बोर्ड या कॉरपोरेशन बने। -प्रदीप कु शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष विश्व ब्राह्मण संघ

झारखंड में सरकार की ओर से ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन जल्द हो। इससे मठ मंदिर के पुजारियों और पंडितों को वेतनमान मिल सके। पूजा पाठ करने वालों की आर्थिक स्थिति एकदम खराब है। 8-9 राज्यों में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का गठन किया गया है। सरकार की ओर से सारी सुविधाएं उपलब्ध कराए।

झारखंड सरकार मंदिर के पुजारियों को सरकारी योजनाओं में आरक्षण दे। इससे उनका आर्थिक उत्थान हो सके। पुजारी और पंडित कई समस्याओं से जूझ रहे हैं-राजेश पाठक

मंदिर के पुजारी और पंडितों की धर्मपत्नी को स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाए। साथ ही पढ़ी-लिखी महिलाओं को शिक्षा के साथ जोड़कर उन्हें रोजगार दें। -सुरेंद्र पांडेय

आर्थिक रूप से कमजोर पुजारी और पंडितों के लिए सरकार योजनाएं शुरू करें। इससे उनका समुचित विकास हो। साथ ही उनके बच्चों को शिक्षा में आरक्षण देकर उन्हें आगे बढ़ने में सहयोग करें। -बृजेश पाठक

राज्य सरकार पुजारी और पंडितों को भूमि उपलब्ध कराए और उन्हें मकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करें, ताकि समस्या का समाधान हो सके।

-अनुज पाठक

मंदिर के पुजारी और पंडितों को विभिन्न रोजगार परख योजनाओं में जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करें, ताकि वे अपने परिवार का सही तरीके से लालन-पालन कर सके। -राजेश पांडेय

सरकार कर्मकांड एवं वेद शास्त्र सीखने के लिए गुरुकुल खोले, जिससे गरीब ब्राह्मण के बच्चे अध्ययन कर सके। आनेवाले समय में पुजारी और पंडितों की घोर कमी हो जाएगी। -संजय पाठक

सनातन बोर्ड बनाकर सरकार मंदिरों और मठों का उत्थान करें। साथ ही मंदिर एवं मठ में कार्यरत पुजारी-पंडित को वेतनमान देकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें।

-सीताराम पाठक

झारखंड में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड बनाकर मंदिर के पुजारियों और पंडितों को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए। मंदिर के पुजारियों और पंडितों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है।-गोविंद बल्लभ शर्मा

मंदिर के पुजारी और पंडितों को सरकार अपने स्तर से मकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करें। साथ ही मंदिरों के विकास में भी आर्थिक सहायता प्रदान करें। -रासबिहारी पांडेय

मंदिर के पुजारी और पंडितों के लिए स्थायी रूप से वेतन, भोजन-पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि कई पुजारी और पंडित आकाश वृत्ति के तहत अपना जीवन यापन करते है। -मदन पाठक

पुजारियों के लिए भी शुरू हो सरकारी योजनाएं

-जय प्रकाश शर्मा, विप्र फाउंडेशन झारखंड प्रदेश अध्यक्ष

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