रिकॉर्डधारी स्टंटमैन एसके चौधरी के शव को परिजनों का इंतजार
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में चार बार नाम दर्ज करानेवाले त्रिपुरा निवासी स्टंटमैन एसके चौधरी के परिजन गुरुवार को बोकारो थर्मल पहुंचेंगे। बोकारो थर्मल थाना प्रभारी उमेश कुमार ठाकुर ने कहा कि उनके...
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में चार बार नाम दर्ज करानेवाले त्रिपुरा निवासी स्टंटमैन एसके चौधरी के परिजन गुरुवार को बोकारो थर्मल पहुंचेंगे। बोकारो थर्मल थाना प्रभारी उमेश कुमार ठाकुर ने कहा कि उनके परिजनों से स्थानीय पुलिस लगातार संपर्क में है। उनके आने के बाद शव को पोस्टमार्टम कराकर सौंप दिया जाएगा। इससे पहले एसके चौधरी का शव का श्रीराम गेस्ट हाउस से उठाकर स्थानीय डीवीसी अस्पताल की मर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया गया है।
मंगलवार की शाम एसके चौधरी बोकारो थर्मल जीएम कॉलोनी स्थित श्रीराम गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 101 में वे मृत पाए गए थे। वे बीते 26 फरवरी को यहां आए हुए थे व अपना अंतिम शो यहीं सीआईएसएफ यूनिट में 28 फरवरी को किया था। 29 फरवरी को भी सीसीएल करगली स्थित सीआईएसएफ यूनिट में शो करना था परंतु तबियत खराब रहने की वजह से नहीं किया। फिर यहीं रुककर इलाज करवा रहे थे। बताया गया कि चार मार्च को उनका टिकट त्रिपुरा के लिए करवाया हुआ था, परंतु उससे एक दिन पहले ही दुनिया छोड़ गए।
700 बच्चों का पिता वे कहलाते थे : वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में इनके परिवार के 22 लोग मारे जा चुके चुके थे। अपने कारनामों की बदौलत विश्व में पहचान बनाने वाले एसके चौधरी ने 13 वर्ष की उम्र में जीवन से निराश होकर आत्महत्या का मन बना लिया था, परंतु रोबर्ट पीटो किताब से प्रेरणा लेकर कुछ कर गुजरने की मन मे ठानकर आगे की और बढ़ते चले गए। मॉरीशस के राष्ट्रपति से पुरस्कृत एसके चौधरी अविवाहित रहकर त्रिपुरा में खुद का संचालित 700 अनाथ बच्चे को अपना नाम दिया, सभी बच्चे अपने पिता की नाम की जगह एसके चौधरी का नाम लिखते हैं। अपने पेंशन के मिलने वाली तीन लाख रुपए ये बच्चों की परवरिश में लगाते थे। बोकारो थर्मल में शो के बाद हिन्दुस्तान प्रतिनिधि से बातचीत में कहा था कि मरने से पहले ही मैंने अपनी शरीर को मेडिकल कॉलेज के लिए दान दे चुका हूं।
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