बोले बोकारो: बीएसएल-बियाडा में काम मिले तो घटेगी बेरोजगारी
बोकारो में रोजगार की कमी ने युवाओं को परेशान कर दिया है। यहां के औद्योगिक क्षेत्र में कई कंपनियों के बंद होने से बेरोजगारी बढ़ गई है। युवा बेहतर अवसरों की तलाश में दूसरे प्रदेशों और देशों की ओर बढ़...
बोकारो में गिरता रोजगार का ग्राफ युवाओं के दिल और दिमाग को कचोट रहा है। यहां जितना रोजगार उपलब्ध है, उससे कई गुणा अधिक बेरोजगारों की कतार है। बोकारो औद्योगिक क्षेत्र के आसपास रहने वाले युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। कई युवा काम व सैलरी नहीं मिलने के बाद भी किसी दूसरे स्थान पर टिके हैं तो कई अपनी तदबीर से तकदीर चमकाने की चाह में घर से हजारों किलोमीटर दूर हैं। दूसरे देश व प्रदेश में कई तरह की परेशानियां झेलने कर अपनी काबिलियत सlबित कर रहे हैं। बीएसएल, रेलवे, इलेक्ट्रोस्टील, ओएनजीसी, डालमिया सहित बोकारो औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां भी युवा को बोकारो में रोकने में कामयाब नहीं हो रही हैं। उक्त बातें स्थानीय युवाओं ने बोले बोकारो के तहत हिन्दुस्तान संवाद में कहीं।
बोकारो औद्योगिक क्षेत्र के आसपास रहनेवाले युवाओं ने कहा कि 1970 के दशक में बोकारो स्टील प्लांट का निर्माण हुआ। एक ऐसी कंपनी जो आकार से लेकर प्रकार तक में एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। शहर में नए लोगों का भी आगमन हुआ और यहां नई-नई कॉलोनियों के बसने का सिलसिला शुरू हुआ। भरपूर नियोजन के साथ-साथ रोजगार भी मिला। इस दौर में रेलवे का भी विकास हुआ, कॉलोनी भी बनी। बोकारो औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर बियाडा भवन की देख-रेख में करीब 500 छोटी-बड़ी फैक्ट्रियां लगीं। 90 के दौर तक बोकारो की चमक-दमक ठीक रही। इसके बाद बोकारो जिले का निर्माण हुआ। झारखंड का निर्माण हुआ। 21वीं सदी आते-आते चमक-दमक मंद होने लगी। बोकारो औद्योगिक क्षेत्र की कंपनियां हांफने लगीं। युवाओं के हाथ से रोजगार निकलने लगा। बियाडा उद्यमियों को बीएसएल प्लांट से कार्यदेश कम मिलने लगा। शहर समेत आसपास की कंपनियां एक-एक कर धीरे-धीरे बंद होने लगीं। एक समय में बियाडा में बोकारो की सबसे चर्चित विश्वकर्मा पूजा की धूम होती थी। समय के साथ यह धूम एकदम से धड़ाम होती चली गई।
रेलवे कर्मचारियों की संख्या के साथ क्वार्टरों का बुरा हाल: बोकारो औद्योगिक क्षेत्र के युवाओं ने कहा कि एक समय में बोकारो रेलवे कॉलोनी सेक्टर की तरह बेहतरीन कॉलोनी हुआ करती थी। आज यहां के अधिकांश क्वार्टरों की स्थिति जर्जर है। कंडम क्वार्टरों की संख्या धीरे-धीरे अधिक होती जा रही है। पेयजल, सड़क और बिजली समेत अन्य व्यवस्थाएं भी दम तोड़ रही हैं। पानी से लेकर साज-सज्जा का काम भी पहले की भांति नहीं रही। इतना ही नहीं रेलवे में कर्मचारियों की भी संख्या हर दिन कम होती जा रही है। अधिकांश काम ठेका प्रथा के माध्यम से लिया जा रहा है। विकास योजनाओं के नाम पर रेलवे में नित्य नए काम हो रहे हैं, लेकिन युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। जो रोजगार मिल भी रहा है, उससे परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। रेलवे का हाल भी कुछ बोकारो औद्योगिक क्षेत्र की ही तरह हो गया है।
रेलवे में ट्रेन की भारी कमी : बोकारो औद्योगिक क्षेत्र के युवाओं ने कहा कि एक ओर बोकारो में घटता रोजगार, दूसरी ओर उच्च शिक्षा व्यवस्था की कमी। दोनों कारणों से युवाओं को प्रदेश से पलयान करना पड़ता है। इन दोनों काम के लिए पलयान के समय ट्रेन ही एक मात्र ऐसे जरिया से जहां से दूसरे प्रदेश जाया जा सकता है, लेकिन यहां के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण बोकारो रेलवे स्टेशन के डेवलपमेंट के बाद भी आवश्यकता अनुसार विभिन्न प्रदेशों के लिए ट्रेनों की भारी कमी आज भी बनी हुई है। खासकर वैसे शहरों के लिए ट्रेनों की भारी कमी है, जहां पर रोजगार और उच्च शिक्षा के लिए आना-जाना पड़ता है। यहां तक कि बोकारो रेलवे स्टेशन से झारखंड के हर जिले में पहुंचने के लिए आज भी कोई ट्रेन नहीं है। पहले कई युवाओं को ट्रेनों के माध्यम से भी पेंटीकार आदि में कई तरह का रोजगार मिल जाया करता था। नए दौर में यह रोजगार भी सीमित होता चला गया।
बाजार भी हुआ कमजोर : बोकारो औद्योगिक क्षेत्र के युवाओं ने कहा कि बीएसएल, बियाडा, रेलवे आदि में नियोजन की कमी के कारण कुर्मीडीह, गोविंद मार्केंट आदि बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अब लोगों के हाथ में पैसे का अभाव है। बालीडीह क्षेत्र में नौकरी करने वाले अधिकांश लोग रिटायर हो चुके हैं। युवा खाली हाथ हैं। रोजगार की तलाश है।
सुझाव
1. बियाडा की बंद कंपनियों को रद्द कर नए सिरे से बड़े उद्योग स्थापित किए जाए। जो सिर्फ बीएसएल के कार्य आदेश पर ही निर्भर न रहे।
2. बीएसएल बियाडा के उद्योगों को कार्यादेश देना पुन: प्रारंभ करे।इससे रोजगार व बाजार को ग्राहक मिलेगा।
3. बियाडा की कंपनियों के प्रदूषण पर अंकुश लगना चाहिए। प्रदूषण विभाग को सक्रियता दिखानी चाहिए। ताकि यहां के लोगों को राहत मिल सके।
4. बालीडीह क्षेत्र में कम-से-कम 50 या 100 बेड का अस्पताल होना चाहिए। इससे यहां रह रहे मजदूर वर्ग और सामान्य लोगों को इलाज के लिए भटकना न पड़े।
5. बोकारो रेलवे स्टेशन से दक्षिण भारत के चेन्नई, कर्नाटक, विशाखापत्तनम, गुजरात, महाराष्ट्र और पंजाब समेत अन्य क्षेत्रों में आवागमन के लिए ट्रेनों की सुविधा बहाल हो।
शिकायतें
1. बियाडा में सैकड़ों कंपनियों में चहारदीवारी ही बची हुई हैं। कई बंद पड़ी कंपनियों में पेट्रोल व डीजल से लेकर लोहा चोरी का धंधा होता है।
2. बीएसएल बियाडा की कंपनियों को कार्यादेश नहीं दे रहा है। इससे कई कंपनियां अपनी आखिरी सांस गिन रही हैं। कभी भी वे धराशाई हो सकती हैं।
3. बालीडीह क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या गंभीर है। बियाडा के कल-कारखानों से निकलने वाला प्रदूषण लोगों को तरह-तरह की बीमारियों से पीड़ित कर रहा है।
4. भारी संख्या में मजदूर वर्ग के साथ घनी आबादी के बाद भी यहां सरकारी अस्पताल की व्यवस्था नहीं है। लोगों को इलाज के लिए परेशानी उठानी पड़ती है।
5. शिक्षा, रोजगार और इलाज कराने जाने वाले लोगों को दूसरे प्रदेशों के लिए पर्याप्त मात्रा में ट्रेनों की भारी कमी है। लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।
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