सरकारी उदासीनता के कारण 16 वर्षों से मृत पड़ा है पेटरवार का मातृ शिशु स्वास्थ्य केंद्र
पेटरवार में मातृ-शिशु केंद्र का उद्घाटन 2008 में हुआ था, लेकिन आज तक यह चालू नहीं हो सका है। विभागीय लापरवाही के कारण केंद्र की स्थिति खराब हो चुकी है और स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव...
पेटरवार, प्रतिनिधि। स्वास्थ्य झारखंड, समृद्ध झारखंड के नारो को पेटरवार में नव निर्मित मातृ- शिशु केंद्र भवन सरकार को मुंह चिढ़ा रही है। विभागीय मंत्री ओर अधिकारियो की लापरवाही के कारण पेटरवार का नव निर्मित मातृ- शिशु केंद्र आज तक चालू नही किया जा सका है जिसके कारण केंद्र की स्थिति मरणासन्न हो चुकी है। इस केंद्र के चालू नही होने के कारण मातृ शिशु को ईलाज कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। 2008 में रखी गयी थी आधार शिला: झारखण्ड सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोडा के मंत्रालय मे स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने 26 नवम्बर 2008 मातृ शिशु केंद्र की आधारशिला रखी थी। इस मातृ शिशु केंद्र का निर्माण 3 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से की गयी है लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण मातृ शिशु केंद्र मात्र अस्पताल का एक ढांचा बन कर रह गया है ।इस केंद्र में रखे सारे उपस्करों में जंग लग चूका है तथा भवन भी जर्जर हो चूका है। इसके खिड़की दरवाजे अब नेस्तनाबूद हो चुके है। उस समय गिरिडीह के सांसद टेकलाल महतो व गोमिया के विधायक छत्रुराम महतो उपस्थित थे। 3 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से 50 शैय्या वाले इस मातृ शिशु केंद्र का उद्देश्य पेटरवार, कसमार और गोमिया प्रखण्ड के ग्रामीणो को दूर न जाकर इसी केंद्र मे जच्चा बच्चा को समुचित स्वास्थ्य सेवा मिले। यह बोकारो जिले का एक मात्र मातृ शिशु केंद्र है जो आज अपने उद्देश्य से भटक गया है। जिसके कारण आज पेटरवार, कसमार और गोमिया प्रखंडों के लिए बना एक मात्र मातृ शिशु केंद्र अपने ही सरकार की उपेक्षा का दंश झेलने को विवश हो गया है। आलम यह है की यह मातृ शिशु स्वास्थ्य केंद्र अब अपनी ही स्वास्थ्य को लेकर सरकार के सामने आंसू बहाने को विवश है। करोड़ो रुपयो की लागत से बना यह शिशु केंद्र प्रारम्भ होने के पूर्व ही दम तोड़ चूका है। सरकार का उपेक्षित नज़रिया को इस केंद्र की स्थिति से महज जाना जा सकता है। स्थानीय पूर्व विधायक योगेन्द्र प्रसाद ने इस बाबत बताया कि हमने अनुश्रवण कमेटी तथा सदन मे भी इस केंद्र की स्थिति के प्रति सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाया था। परंतु परिणाम अभी तक ढाक के तीन पात ही रहा है। एक ओर अनुश्रवण समिति ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ा की वजटीय स्थिति से उत्पन्न संकट के कारण विलंब हो रहा है तो दूसरी ओर सदन ने यह कहकर खानापूर्ति की गई की जल्द ही इस ओर कारगार प्रयास किया जाएगा।
पूर्व के रघुवर सरकार की नजर में चालू था केंद्र: पेटरवार, कसमार और गोमिया की जनता को स्वास्थ्य सुबिधा प्रदान करने के लिए गोमिया के पूर्व विधायक योगेन्द्र प्रसाद ने 20 जनवरी 2017 को विधान सभा के सत्र में इस मामले को गंभीरता से उठाया था और इसे चालू कराने की मांग स्वास्थ्य मंत्री से की थी तब स्वास्थ्य मंत्री ने इस तारांकित प्रश्न के जवाब में कहा था कि पेटरवार का मातृ शिशु केंद्र में 5 जनवरी 2017 से स्वास्थ्य सेवा बहाल कर दी गयी थी जो हकीकत से कोसो दूर है। तब से लेकर आज तक इस मातृ शिशु केंद्र में स्वास्थ्य सेवा बहाल नही की जा सकी है। जिसके कारण आज यह मातृ शिशु केंद्र अपनी बेनूरी पर आंसू बहा रही है सरकार के सारे दावे खोखला साबित हो रहा है।
चालू होने से मिलता लाभ: इस मातृ शिशु केंद्र के चालू हो जाने से पेटरवार,कसमार और गोमिया के जच्चा बच्चा को स्वास्थ्य सुबिधा मुहैया हो पाता। जच्चा बच्चा को स्वास्थ्य सुबिधा मुहैया कराने के उद्देश्य से इस केंद्र का निर्माण तो किया गया लेकिन इसके लिए चिकित्सक सहित स्वास्थ्य कर्मियो की बहाली नही की गयी। अगर चिकित्सको और स्वास्थ्य कर्मियो की बहाली सरकार के द्वारा की जाती तो जच्चा बच्चा को ईलाज के लिए कही भी बाहर जाने की आवश्यकता नही पड़ती। इस केंद्र में सिजेरियन से लेकर सारी सुबिधा के लिए उपस्कर की ब्यवस्था तो की गयी है लेकिन इस केंद्र के लिए किसी स्टॉफ की ब्यवस्था सरकार के द्वारा नही की गयी जिसके कारण आज तक यह केंद्र बंद पड़ा हुआ है जबकि सरकार की नजरो में ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जा रही है।
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