खेतको में स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद
खेतको पंचायत में स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद होने से 10 हजार की आबादी को प्राथमिक इलाज के संकट का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग चांपी पंचायत में बनायी गई है, जिससे ग्रामीणों को अब...
खेतको। एक ओर सरकार व विभाग खासकर गरीबों-जरूरतमंदों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दम भरती है, तो वहीं दूसरी ओर बेरमो अनुमंडल अंतर्गत पेटरवार प्रखंड अंतर्गत तेनु-बोकारो नहर किनारे बसे खेतको पंचायत को मानो स्वास्थ्य सुविधा से ही वंचित कर दिया गया है। वर्षों से संचालित स्वास्थ्य उपकेंद्र बंद हो गया है। ऐसे में करीब 10 हजार आबादी के समक्ष प्राथमिक इलाज का संकट खड़ा हो गया है। अचानक यह सब होने से ग्रामीणों-मरीजों को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है। पेटरवार केंद्र प्रभारी डॉ कुंदन राज ने बताया कि खेतको के नाम से स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग चांपी पंचायत में बनायी गई है। ऐसे में खेतको से केंद्र को चांपी बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया है। पता चला कि खेतको पंचायत के नाम पर ही स्वास्थ्य उपकेंद्र की बिल्डिंग चांपी पंचायत में बना दिया गया। ऐसे में खेतको में कार्यरत सभी कर्मचारी चांपी स्वास्थ्य उपकेंद्र की बिल्डिंग में शिफ्ट कर गए। उल्लेखनीय है कि खेतको पंचायत में स्वास्थ्य उपकेंद्र की कोई बिल्डिंग नहीं थी। बंद सरकारी विद्यालय के कमरे में स्वास्थ्य उपकेंद्र संचालित था। खेतको में स्वास्थ्य उपकेंद्र वर्षों से राज्य सरकार द्वारा संचालित था। यहां एक एएनएम मरीजों का इलाज करती थी। वहीं डॉक्टर भी सप्ताह में दो दिन आया करते थे। करीब एक सप्ताह से इसे बिल्कुल बंद कर दिया गया है। एएनएम ने बताया कि अब चांपी पंचायत आकर इलाज कराना होगा। अब चांपी में एक स्वास्थ्य केंद्र की जगह दो स्वास्थ्य केंद्र, चार एएनएम, दो सीएचओ व तीन हेल्थ वर्कर हो गए हैं। ग्रामीणों ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से मांग किया था कि खेतको पंचायत में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन बनाया जाय। और जबतक भवन नहीं बन जाता है, तबतक बंद सरकारी विद्यालय के कमरे में ही स्वास्थ्य सेवा पहले की तरह शुरू कर दी जाय। झारखंड बनने के करीब 25 साल बाद भी यहां स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन नहीं होना दुर्भाग्य की बात है। हालांकि ग्रामीणों की मांग पर स्वास्थ्य उपकेंद्र भवन तो बना लेकिन खेतको पंचायत के नाम पर चांपी में इसे बना दिया गया। अब यह तो प्रशासन में बैठे अधिकारी बता सकते हैं कि यह प्रशासनिक चूक है या लापरवाही।
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