देवोत्थान एकादशी व्रत-तुलसी विवाह मनाया गया
कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को बेरमो क्षेत्र में देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह धूमधाम से मनाया गया। महिलाएं व्रत रखकर तुलसी विवाह को विधि से करती हैं। भगवान विष्णु की पूजा के साथ इस धार्मिक अनुष्ठान...
तेनुघाट/भंडारीदह, प्रतिनिधि। कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान एकादशी व्रत व तुलसी विवाह बेरमो क्षेत्र में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान महिलाओं ने व्रत रखकर तुलसी विवाह को पूरे विधि विधान के साथ किया। भगवान विष्णु की पूजा व आरती की गई। बेरमो कोयलांचल व विद्युत नगरी सहित फुसरो शहर तथा नावाडीह, गोमिया व पेटरवार प्रखंड के गांवों में यह धार्मिक अनुष्ठान किया गया।
चंद्रपुरा के भंडारीदह में पुजारी हरिप्रसाद पाण्डेय ने कथा में महिलाओं को बताया कि हिन्दू धर्म में तुलसी को बड़ा पवित्र स्थान दिया गया है। यह लक्ष्मी व नारायण दोनों को समान रूप से प्रिय है। देवोत्थान एकादशी तिथि के साथ ही तुलसी विवाह को भी जोड़ा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु को शालिग्राम भी कहा जाता है। उन्होंने इसी रूप में तुलसी का वरण किया था, इसलिए शालिग्राम के रूप में ही श्रीहरि विष्णु का विवाह तुलसी से करवाया जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में तुलसी को अवश्य रखना चाहिए, इससे उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। जो लोग तुलसी विवाह करवाते हैं या उनके विवाह में शामिल होते हैं उनको वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
बेरमो अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट सहित आस-पास के इलाकों में घर के आंगन में पवित्र तुलसी पौधा के समक्ष विधिवत पूजा-अर्चना की। यहां पुजारी राजीव कुमार पाण्डेय और सुरेन्द्र कुमार पांडेय ने व्रतियों को जालंधर की छल से मौत देने के उपरांत अपनी अनन्य भक्त विंदा से श्राप पाने एवं बाद में उससे भगवान विष्णु ने शालिग्राम से विवाह रचाकर किस प्रकार उसे जग में पूजनीय कहलाए जाने वाली यह कथा श्रवण कराया। इसलिए हर साल कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी का भगवान शालिग्राम से विवाह करवाया जाता है। पूजा के उपरांत फल, मिष्ठान आदि से व्रत तोड़ने का विधान पूरी कराया।
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