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बोले बोकारो: जलसंकट,गंदगी और जाम से पुराना बाजार को मिले मुक्ति

चास का पुराना बाजार, जहां 60 हजार से अधिक बंगाली लोग निवास करते हैं, जल संकट, गंदगी और जाम से परेशान हैं। प्रशासन की अनदेखी के कारण लोग पानी की व्यवस्था में समय बर्बाद करते हैं। यहां खेल मैदान,...

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSun, 16 Feb 2025 03:48 AM
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बोले बोकारो: जलसंकट,गंदगी और जाम से पुराना बाजार को मिले मुक्ति

चास पुराना बाजार, यहां लगभग बंगाली समाज से जुड़े 60 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं। इतनी बड़ी आबादी रहने के बावजूद यहां नगर निगम एवं जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण लोगों को पानी संकट, गंदगी और जाम से के कारण भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान की ओर से बोले बोकारो संवाद के दौरान बंगाली समाज के लोगों ने अपनी पीड़ा बताई। उन्होंने प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि सुबह उठने के बाद लोग अपने कारोबार के बारे में नहीं सोचते, बल्कि जल की व्यवस्था करने में लग जाते है। वहीं जाम के कारण घर से निकलने के लिए भी एक बार सोचना पड़ता है। उन्होंने बताया कि सफाई की बात ही छोड़ दिजिए, यहां जहां घुमिएगा वहां नाक पर हाथ रखने की मजबूरी रहेगी।

झारखंड निर्माण के बाद चास के बंगाली समाज को जो उम्मीदें थीं, आज तक अधूरी है। बांग्ला भाषा को राज्य सरकार ने राजकीय भाषा में स्थान तो दिया। लेकिन, चास मध्य विद्यालय में बंगाल भाषा एक सब्जेक्ट है। जबकि शिक्षक की बहाली लंबे समय से लंबित है। हाई स्कूल में बंगला भाषा का कोई स्कोप ही नहीं है। ऐसे में बंगला भाषा सब्जेक्ट लेकर पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अपने माता-पिता व ट्यूशन पर निर्भर रहते है। समाज के लोग चाहते हैं कि सरकार मवि में शिक्षक बहाल करे। साथ ही हाई स्कूल आदि में भी बंगला भाषा की पढ़ाई आरंभ हो।

जल के लिए त्राहिमाम: चास बंगाली समाज के लोगों ने बताया कि पानी की कमी यहां की सबसे बड़ी समस्या है। नल जल के तहत पेयजल आपूर्ति प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होती। हरि मंदिर प्रांगण में समरेश दादा के जमाने का एक डीप बोरिंग है। जहां से लोग पानी ढो कर किसी तरह जीवनयापन करते है। इससे अलावा दूर में एक और ऐसी व्यवस्था है। पानी के लिए बंगाली समाज के लोगों को पानी पानी होना पड़ता है। इतनी बड़ी आबादी के लिए पेयजलापूर्ति की समुचित व्यवस्था होनी ही चाहिए।

अस्तित्व खो चुका भोलूर बांध: बंगाली समाज के लोगों ने कहा कि पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक परंपराओं के निर्वाहन के लिए यहां एक तालाब था। भालूर बांध, जो अब अपना अस्तित्व खो चुका है। नगर निगम ने इस तालाब को बचाने के नाम पर दो करोड़ का टेंडर किया। पार्क के तर्ज पर डेवल करने के नाम पर घेराबंदी हुईं। डीप बोरिंग की गई। आज तालाब अपना अस्तित्व खो चुका है। डेवलपमेंट के नाम सिर्फ लूट हुई है। कहा कि दूसरा एक तालाब में महतो बांध। इस तालाब के आसपास भी अतिक्रमण हो चुका है, आज भी हो रहा है। ये तालाब भी खत्म हो गया तो यहां पारंपरिक रीति रिवाजों के लिए कोई तालाब नहीं बचेगा। यह तालाब अब नशेड़ियों का अड्डा बन गया है।

कचरे का अंबार: यहां के निवासियों ने बताया कि डस्टबीन के अभाव में जहां-तहां कचरे का अंबार देखने को मिल जाएगा। साफ-सफाई ना के बराबर होती है। पुराने बाजार से लेकर हर गली मोहल्ले के लोग इस परेशानी से रूबरू होते है। जबकि जिले का सबसे बड़े बाजार के रूप में यह इलाका चर्चित है। यहां बोकारो ही नहीं बल्कि आसपास के जिले के लोग खरीदारी करने के लिए पहुंचते है। इस इलाके में खाने पीने की वस्तूओं के अलावा कपड़े का बड़ा बाजार है। जिस कारण चास व शहर के लोग इस स्थान पर भी खरीदारी करने आते है। ऐसे में लोगों की सुविधा के नाम पर कोई खास उपाए नहीं किए गए है। जिस कारण लोगों के साथ साथ बाहर से आनेवाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

खेल मैदान और धर्मशाला का अभाव

उन्होंने बताया कि यह घनी आबादी का क्षेत्र है। एक भी धर्मशाला नहीं है। जहां आप पारिवारिक व सामाजिक आयोजनों कर सके। शादी व अन्य समारोह में धर्मशाला व सामुदायिक भवन की कमी खलती है। खेल मैदान के नाम पर एक छटाक जमीन नहीं है। घर से निकलते ही संकीर्ण गली, फिर बाजार मिलता है। नये जनरेशन के बच्चों को शायद खेल मैदान होता है, यह भी पता नहीं। मामले पर अबतक न तो नगर निगम में ध्यान दिया और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि ने गंभीरता दिखाई है। जिस कारण स्थिति अत्यंत ही गंभीर बनी हुईहै।

पार्किंग की व्यवस्था का अभाव

बोकारो का सबसे पुराना बाजार चास है। नगर-निगम बना लेकिन इस बाजार में आने-जाने वाले लोगों के लिए वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं हो सकी। हर पल जाम रहता है। 20 फीट का सड़क है। लेकिन, ठेकेदार 10-12 फीट बनाकर चला गया। यह सब कोई देखने सुनने वाला नहीं है। पार्किंग के लिए चास नगर निगम और जिला प्रशासन की ओर से अबतक कोई काम नहीं किया गया। जिस कारण जाम व गंदगी के कारण अब बाहर के लोग इन इलाकों में आने से कतराते है। बोकारो की अर्थव्यवस्था इस बाजार पर व्यापक रूप से निर्भर करती है। लेकिन इसके विकास और सुविधा को लेकर अबतक कोई विस्तृत कार्य नहीं किया गया है।

सुझाव

- सम्पूर्ण रूप में पेयजलापूर्ति हो। डीप बोरिंग की भी व्यवस्था हो।

- भोलूर बांध व महतो बांध को बचाने व जल की प्रयाप्त व्यवस्था के लिए काम हो।

- बच्चों के लिए खेल मैदान की व समारोह के लिए धर्मशाला की व्यवस्था की जाय।

- साफ-सफाई व कचरा उठाव की समुचित व्यवस्था हो।

- बंगाल सब्जेक्ट पढ़ने की अनुमति है, शिक्षक भी बहाल हो।

शिकायतें

- पानी की कमी सबसे विकराल समस्या है। लोगों ने कई बार शिकायत की।

- तालाब हो रहा अस्तित्व, पारंपरिक रीति रिवाजों में होती है परेशानी।

- खेल मैदान और धर्मशाला का अभाव है। झेलनी पड़ती है भारी परेशानी

- कचरा उठाव व साफ-सफाई नग्नय है। डस्टबीन नहीं है।

- वर्षों से बंगाल शिक्षक का अभाव झेल रहा है मध्य विद्यालय।

चास के विकास को लेकर जिला प्रशासन और नगर निगम से बात की जाएगी। चास को बेहतर बनाने को लिए जो भी करने होंगे वो किए जाएंगे। पुराना बाजार की समस्या से अवगत हूं। - श्वेता सिंह(विधायक बोकारो)

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