Challenges Faced by Potters in Bokaro Demand for Modern Facilities and Training बोले बोकारो-प्रशिक्षिण, बाजार, आधुनिक उपकरण, वर्कशॉप, शेड उपलब्ध कराये सरकार तो जी उठेगा कुंभकार, Bokaro Hindi News - Hindustan
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बोले बोकारो-प्रशिक्षिण, बाजार, आधुनिक उपकरण, वर्कशॉप, शेड उपलब्ध कराये सरकार तो जी उठेगा कुंभकार

बोले बोकारो-प्रशिक्षिण, बाजार, आधुनिक उपकरण, वर्कशॉप, शेड उपलब्ध कराये सरकार तो जी उठेगा कुंभकारबोले बोकारो-प्रशिक्षिण, बाजार, आधुनिक उपकरण, वर्कशॉप,

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSun, 30 March 2025 03:11 AM
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बोले बोकारो-प्रशिक्षिण, बाजार, आधुनिक उपकरण, वर्कशॉप, शेड उपलब्ध कराये सरकार तो जी उठेगा कुंभकार

बोकारो जिला के चास प्रखंड स्थित जाला एक ऐसा गांव है, जहां करीब 250 घर कुंभकारों की है। लगभग सभी घरों में कुटीर उद्योग के तौर पर मिट्टी का बर्तन आदि बनाया जाता है। इसी पेशा से अपना और परिवार का भरण-पोषण करते है। इन कुटीर उद्योगों को संवारने के लिए जो सुविधाएं चाहिए, उन सुविधाओं का घोर अभाव है। यहां वर्कशॉप, शेड आदि नहीं है। इस कारण यहां के लोग 4-5 माह ही अपना काम बेहतर ढंग से कर पाते है। बाकी समय गुजर बसर के लिए यहां के अधिकांश कुंभकार मजदूरी या कोई छोटा-मोटी व्यवसाय करने को विवश है। उक्त बातें बोले बोकारो के तहत हिन्दुस्तान संवाद में कुंभकारों ने कही। कहा आर्थिक सबलता के अभाव में लोग कई ऐसे आवश्यक कदम नहीं उठा पाते है, जो उठाना चाहिए। जैस पारंपरिक चाक के स्थान पर मोटर वाला चाक, आधुनिक मशीन, सस्ते दरों पर लोन व पर्याप्त मात्रा में पानी, बिजली व प्रशिक्षण के साथ बाजार की चाह रखते है।

चित्र परिचय- 1 से 12 तक व्यक्तिगत, 13 कुंभकार समाज के कारीगार, 14 सामग्री तैयार करने के लिए मिट्टी का तैयार करते हुए, 15 भट्टी जिसमें पकाया जाता है कच्ची मिट्टी से बना सामग्री, 16 सुराही बनाते हुए, 17 पारंपरिक चाक पर काम करते हुए, 18 इलेक्ट्रॉनिक चाक पर काम करते हुए।

बोकारो। कृपा शंकर पांडेय,सुशील कुमार

गर्मी का मौसम पांव पसारने लगा है। इसके साथ हीं देशी फ्रिज मटका, हंडी, सुराही आदि की मांग बाजार में बढ़ जाती है। मिट्टी के ये सारे सामग्री जाला के कुंभकार घर-घर में बनता है। जो बोकारो सहित झारखंड के कई राज्यों के लोगों को गर्मी में ठंढ़क का एहसास कराता है। लेकिन, यहां के कुंभकारों को जो सुविधाएं चाहिए, वो गांव में उपलब्ध नहीं कराई जाती है। इससे यहां के लोगों का हुनर खुलकर दुनिया के सामने नहीं आ पा रहा है। कुंभकारों ने कहा कि सरकार को शिविर लगा कर गांव में ही प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग प्रशिक्षिण पा सके। साथ हीं सस्ते दर पर लोन भी उपलब्ध कराया जाय। इससे यह कुटिर उद्योग अपनी शिखर तक पहुंच सकेगा। हुनर झारखंड से लेकर देश के कोने-कोने तक पहुंच सकेगा। लोगों के हाथ में रोजगार होगा और सरकार पर रोजगार का दबाव भी कम होगा।

4-5 माह की हो पाता है काम, बाजार मिले तो अन्य सामग्री करेंगे तैयार - कुंभकारों ने कहा कि एक वर्ष में बमुश्किल 4-5 माह ही काम हो पाता है। खास कर गर्मी के मौसम में बाजार में गुलजार रहता है। थोड़ी सी चूक से कई बार आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है। कम पूंजी के अभाव में कारीगारों की कमर टूट जाता है। बारिश के मौसम की शुरूआत होते ही यह काम पूरी तरह ठप पड़ जाता है। बारिश को छोड़ अन्य मौसम में गमला, कलश सहित कई तरह की सामग्री बनाई जाती है। बाजार में इन चीजों का डिमांड कम होने से, उतनी कमाई नहीं होती है, जितनी होनी चाहिए। इस कारण अधिकांश लोग मजदूरी व छोटे-मोटे व्यवसाय कर गुजारा करते है। सभी मौसम में अलग-अलग तरह के सामग्रियों के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाय तो इस कुटीर उद्योग को संजीवनी मिल जायेगी।

वर्कशॉप, स्टोर का निर्माण कराये सरकार, तो 12 महीना होगा काम - लोगों ने कहा कि यहां के कुंभकार मिट्टी के कई तरह की चीजें बनाना जानते है, बनाते भी है। घर में स्थान की कमी के कारण कई तरह की सामग्री बनाना पसंद नहीं करते। सामग्री को रखने के लिए स्थल कम पड़ जाता है। सरकार इस गांव में सभी के लिए एक स्थान पर वर्कशॉप शेड बना कर दे। स्टोर का भी निर्माण कराये। इससे स्थान की कमी व मौसम की मार दोनों समस्या का निदान हो जायेगा। लोग एक वर्कशॉप के तले अपना-अपना काम कर सकेंगे। साथ बाजार भी उपलब्ध कराया जाय तो यहां के लोग 12 महीना काम कर सकते है। इसके लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। स्थानीय विधायक व सांसद गांव का दौरा कर कुंभकारों की परेशानियों का निदान निकालने के लिए पहल करे। सरकार तक हमारी बात पहुंचाने का काम करे।

प्रशिक्षण व अत्याधुनिक मशीन मिले - लोगों ने कहा कि यहां अधिकांश कुंभकार पारंपरिक रूप से प्रशिक्षित है। पारंपरिक चाक को हाथ से घुमा-घुमा कर मिट्टी के बर्तन सहित अन्य सामग्री बनाते है। सरकार वर्कशॉप में मोटर वाला चाक, मिट्टी पीसने, चालने व मिलने वाले मशीन सहित अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध हो। यह काम हो जाय तो यहां के कारीगारों का जीवन स्तर बदल जायेगा। कहा कि सरकार द्वारा मोटर वाला चाक उपलब्ध कराया जाता है। शिक्षा व जानकारी के अभाव में यहां के अधिकांश लोग इससे वंचित है। सरकार द्वारा जो मोटर वाला चाक उपलब्ध कराया जाता है, उस पर हंडी, सुराही आदि बड़े बर्तन बनाना संभव नहीं है। इसके लिए हेवी मोटर वाला चाक मिलना चाहिए। दीया, प्याली आदि का सांचा भी उपलब्ध कराया जाय। चाईनिज मिट्टी के बर्तन आदि के लिए भी गांव में प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था हो।

जाला की मिट्टी से नहीं बनता तवा, कुकर, कढ़ाई - कहा कि जाला क्षेत्र में जो मिट्टी है, उससे तवा, कुकर, कढ़ाई आदि बनाना संभव नहीं है। यह फट जायेगा। इसके लिए अलग क्षेत्र से मिट्टी लाना होगा। ये सारे बर्तन अन्य प्रदेशों से झारखंड में लाकर बेचा जाता है। यहां के लोगों को थोड़ा प्रशिक्षिण देकर इसका प्रोडक्शन यहां भी कराया जा सकता है। इसके लिए आसपास क्षेत्र से उस लायक की मिट्टी भी उपलब्ध करानी होगी, जिससे ये सामग्री बनाया जा सके। कहा कि मिट्टी के काम में पानी का खपत भी अधिक होता है। यहां बिजली व पानी की थोड़ी समस्या है। उसे ठीक कराये। सरकार इन आवश्यक चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।

कोयला व लकड़ी के बजाय सरकार बनाये गैस व बिजली की भट्टी- कहा कि यहां के हर घर में मिट्टी की सामग्री को फाइनल टच देने के लिए पारंपरिक भट्टी है। भट्टी में आग लगाने के लिए कोयला व लकड़ी की व्यवस्था करनी पड़ती है। इस भट्टी के लिए में एक बार में दो से ढ़ाई सौ सुराही एक बार में डाला जाता है। कई बार तो कुछ सुराही, घड़ा आदि टूट भी जाता है। जिससे कारीगारों को आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। सरकार गांव में एक बड़ा भट्टी का निर्माण कराये, जो गैस व बिजली से संचालित हो। तो घर-घर में भट्टी की जरूरत नहीं होगी।

समस्या और सुझाव

1. बारिश के मौसम के बाद नहीं हो पाता प्रोडक्शन, वैकल्पिक व्यवस्था बनता है जीवन यापन का जरिया।

2. पूंजी की कमी के कारण व्यापक पैमाने में नहीं कर पाते है प्रोडक्शन, सरकार से नहीं मिलता अपेक्षित सहयोग।

3. प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ता है, सौ किलोमीटर दूर। जानकारी के अभाव में लोगों को नहीं मिलता प्रशिक्षण।

4. आधुनिक मशीन नहीं होने के कारण नहीं हो पाता अधिक उत्पादन, मेहनतकश काम से दूर भाग रहा युवा पीढ़ी।

5. बाजार की अनुपलब्धता के कारण कई तरह की सामग्री बनने से कतराते है यहां के कारीगर।

सुझाव

1. इस गांव में वर्कशॉप का निर्माण कराये सरकार। बारिश में काम करने में होगी सहुलियत, बढ़ेगा करोबार।

2. सरकार इस कुटीर उद्योग से जुड़े लोगों को सस्ते दर पर उपलब्ध कराये लोन, तो बनेगी बात।

3. गांव में शिविर लगाकर प्रशिक्षण कराये। इससे गांव के अधिकांश लोगों को लाभ मिल सकेगा।

4. सरकार को चाहिए की प्रशिक्षण के साथ-साथ सभी तरह के आधुनिक मशीन भी उपलब्ध कराये। युवाओं का बढ़ेगा मनोबल।

5. यहां के कारीगारों के लिए हर तरह का बाजार सरकार उपलब्ध कराये तो अधिक 12 महीना होगा काम।

क्या चाहते है कुंभकार समाज के लोग-

01. मिट्टी के साथ बचपना गुजरा है। पहले के दौर में गांव-गांव बेचने जाते थे। अब बाजार व व्यापारी को सामग्री बेचते है। कल भी लाभ कमाने के लिए समाज की जरूरत समझ कर बेचते थे, आज भी हम इसे समाज की जरूरत के हिसाब से बेचते है। - बुधु कुंभकार

02. सरकार द्वारा प्रशिक्षिण की व्यवस्था की गई है, जो यहां से करीब सौ किलोमीटर दूर पर है। सरकार को चाहिए कि शिविर लगाकर गांव में ही प्रशिक्षिण की व्यवस्था करे। इससे अधिक से अधिक कामगार लाभांवित होंगे। रोजगार बढ़ेगा। - नेपाल कुंभकार

03. पूंजी की कमी के कारण इस कुटीर उद्योग का विकास नहीं हो पा रहा है। सरकार पूंजी उपलब्ध कराने में सहयोग करे। गांव में प्रशिक्षिण के साथ कैंप लगाकर सस्ते दरों पर लोन भी उपलब्ध कराए। ताकि गांव के कम पढ़े लिखे लोगों को भी लाभ मिले। - निरंजन कुंभकार

04. सरकार को यहां पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। इस कार्य में पानी की जरूरत अधिक पड़ती है। इस कुटीर उद्योग को बचाने के लिए सरकार को पहल करनी चाहिए। स्थानीय विधायक हमारी सूध ले तो कई ऐसे छोटे-छोटे कार्य है, जिसे पूरा किया जा सकता है। - गोपाल कुंभकार

05. यहां के हर घर में भट्टी है। सरकार को चाहिए यहां के कुंभकारों के लिए गैस व बिजली का एक भट्टी का निर्माण कराए। ताकि यहां के लोगों को पारंपरिक भट्टी से होने वाले नुकसान का आर्थिक परेशानी से निजात मिले। एक बार में अधिक सामग्री पकाया जा सके। - गुणाराम कुंभकार

06. गांव में कई लोग ऐसे है, जिन्होंने ट्रेनिंग ली है। लेकिन ट्रेनिंग लेने वालों की संख्या सीमित है। अधिकांश लोग आज भी परंपरागत कार्य हीं करते है। सरकार चाहे तो सभी लोगों को प्रशिक्षिण देकर सरकार आवश्यक सुविधाएं बहाल कराने में सहयोग करे। - प्रभाष कुंभकार

07. बाजार के अभाव में कई सारी सामग्री बनाना बंद होता जा रहा है। इस कला को युवा पीढ़ी अपनाये इसके लिए सरकार का सहयोग जरूरी है। बिना सरकारी सहयोग के इस कुटीर उद्योग को बचाना संभव नहीं दिखाता है। सरकार बाजार उपलब्ध कराये तो बेहतर होगा। - विष्णु कुंभकार

08. गांव में कुछ एक लोगों के पास मोटर चाक है। लेकिन यह सभी को अभी तक उपलब्ध नहीं हो सका है। इस चाक से मिट्टी के बड़े बर्तन व सामग्री बनना संभव नहीं है। बड़े सामग्री जैसे घड़ा, सुराही आदि के निर्माण के लिए मोटर चाक के पावर को बढ़ाना होगा। - सुरेश कुंभकार

09. बारिश के मौसम से कई माह तक यहां पर काम नहीं हो पाता है। सरकार यहां पर एक वर्कशॉप का निर्माण कराये। जहां अधिक से अधिक कारीगरों को काम करने का अवसर मिले। शेड बनने से बारिश, धूप या किसी भी मौसम की मार नहीं पड़ेगी। - करमचंद कुंभकार

10. सामग्री बना कर घर में रखने का स्थान नहीं होता है। इसके लिए सरकार एक स्टोर रूम बनाये। जहां गांव के लोग अपने द्वारा बनाये गये साम्रगी को सुरक्षित रख सके। इससे स्टोर की समस्या दूर होगी। लोगों को अधिक माल बनने का अवसर मिलेगा। - लक्खी राम कुंभकार

11. व्यापारी हमारे द्वारा बनाये सामग्री को बेच कर भरपूर मुनाफा कमाता है। लेकिन हमें न्यूनतम दर पर बेचने को मजबूर है। खुद बेचने बैठ जाएंगे तो उत्पादन कम होगा। उत्पादन कम होगा तो व्यापारी इसका भरपूर लाभ उठा कर महंगा बेचेगा। - लोधू कुंभकार

12. सरकार बाजार उपलब्ध करा दे तो चास बोकारो जिला का मिट्टी से सामग्री बनाने वाला गांव सबसे सुखी-संपन्न होगा। बाजार के अभाव में आज कई ऐसी चीजें है, जिसका प्रोडक्शन कम होता जा रहा है। डिमांड के अनुसार हीं उत्पादन किया जाता है।- धर्मेंद्र कुंभकार

फोटो-19-श्वेता सिंह

वर्जन-कुंभकारों के लिए काम किया जाएगा। इसके लिए जो भी करने होंगे किए जाएंगे। योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा--श्वेता सिंह,विधायक बोकारो

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