भगवान बनने की बजाय प्रभु का बनें दास : आचार्य अनुपानंदजी महाराज
गम्हरिया में आयोजित सात दिनी श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ संपन्न हुआ। कथावाचक आचार्य अनुपानंदजी महाराज ने भक्तिभाव और मित्रता का महत्व बताया। उन्होंने श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा सुनाकर...
गम्हरिया, संवाददाता। बड़ा गम्हरिया स्थित शिव बांध के समीप आयोजित सात दिनी श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ संपन्न हो गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। यज्ञ से पूर्व कथा के अंतिम दिन वृंदावन से पधारे कथावाचक आचार्य अनुपानंदजी महाराज ने कहा कि मनुष्य स्वयं को भगवान बनाने की बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करे। क्योंकि भक्ति भाव देखकर जब प्रभु में वात्सल्य जगता है तो वे सबकुछ छोड़कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौड़े चले आते हैं। कथा के सातवें व अंतिम दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं उनके बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया। श्री कृष्ण एवं सुदामा की मित्रता पर कहा कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार मुरली मनोहर दौड़ते हुए दरवाजे तक उनसे मिलने गए थे। श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए कि द्वारिका के नाथ हाथ जोड़कर और जल भरे नेत्र लिए सुदामा का हालचाल पूछने लगे। पं. अनुपानंदजी ने बताया कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन दौलत आड़े नहीं आती। उन्होंने सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा में सुदामा चरित्र के दौरान श्रद्धालुओं की आंखों से अश्रु बहने लगे। इसके आयोजन में रूबी देवी, निशा कौंडिल, माला देवी, अनिता देवी, लक्ष्मी, नीलम पांडेय, कुमार संजय, भारती कुमारी आदि का प्रमुख योगदान रहा।
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