क्या है कश्मीरी वाज़वान, जिसके किस्से सुना रहे राहुल गांधी; खड़गे ने क्यों नहीं खाया ये व्यंजन?
वाज़वान कश्मीरी व्यंजनों में एक मल्टी-कोर्स भोजन है। इसे कश्मीरी संस्कृति और पहचान का प्रतीक माना जाता है। वाजवान के लगभग सभी व्यंजन मांस पर आधारित होते हैं, जिसमें भेड़ या चिकन का उपयोग किया जाता है। हालांकि कुछ शाकाहारी व्यंजन भी इसमें शामिल होते हैं।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इन दिनों जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। बुधवार की देर शाम दोनों नेता डिनर करने श्रीनगर के प्रसिद्ध होटल अहदूस गए, जहां उन्होंने कश्मीरी व्यंजन वाज़वान का लुत्फ उठाया। राहुल गांधी ने गुरुवार को खुद इस बारे में बताया। उन्होंने श्रीनगर में लोगों को संबोधित करते हुए यह भी बताया कि डिनर पर उनके साथ मल्लिकार्जुन खरगे भी थे लेकिन खरगे साहब उस व्यंजन का मजा नहीं ले सके।
राहुल ने बताया कि खरगे जी नॉन ववेजिटेरियन हैं। पिछले दिनों खरगे जी भी केरल गए थे, जहां उनकी तबीयत खराब हो गई थी। इसलिए डॉक्टरों ने उन्हें 15 दिनों तक नॉन वेज नहीं खाने को कहा है। इसलिए वह सादा शाकाहारी व्यंजन ही खा सके, जबकि उन्होंने कस्मीरी वाज़वान का मजा लिया। जब राहुल यह किस्सा सुना रहे थे, तब लोगों ने उनके वाजवान खाने की बात पर खूब तालियां बजाईं। इस दौरान राहुल गांधी ने ये भी कहा कि उनका यहां आना सौभाग्य की बात है क्योंकि जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ उनका गहरा रिश्ता है। उन्होंने और जोर देकर कहा कि यहां से उनका खून का रिश्ता है।
क्या है कश्मीरी वाज़वान?
वाज़वान कश्मीरी व्यंजनों में एक मल्टी-कोर्स भोजन है। इसे कश्मीरी संस्कृति और पहचान का प्रतीक माना जाता है। वाजवान के लगभग सभी व्यंजन मांस पर आधारित होते हैं, जिसमें भेड़ या चिकन का उपयोग किया जाता है। हालांकि कुछ शाकाहारी व्यंजन भी इसमें शामिल होते हैं। यह पूरे कश्मीर में लोकप्रिय है। अतिथि सत्कार या खास उत्सवों या शादी जैसे समारोह में इसे मेहमानों के सामने परोसा जाता है।
बडगाम जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, कश्मीरी भाषा में वाज़ का अर्थ 'रसोइया' और वान का अर्थ है 'दुकान'। कश्मीर में सबसे बेहतरीन औपचारिक भोज शाही वाज़वान है। इसके 36 तरह के कोर्स होते हैं। उनमें से 15 से 30 के बीच कोर्स मांस से तैयार किया जाता है। इसे मास्टर शेफ की देखरेख में रात भर पकाया जाता है। व्यंजन को परोसने से पहले मेहमानों को चार-चार के समूहों में बैठाया जाता है और व्यंजन ट्रेम नामक एक बड़ी तांबे की थाली में परोसा जाता है।
भोजन की शुरुआत तश-त-नायर नामक एक बर्तन में हाथ धोने की रस्म से होती है, जिसे वेटर चारों ओर ले जाते हैं। फिर ट्रेम आता है, जिसमें चावल भरा होता है, चौथाई हिस्से में दो सीक कबाब होता है। इसमें चार टुकड़े मेथी कोरमा (सूखे मेथी के पत्तों से बने मसाले के मिश्रण से बना चिकन या मटन), दो तबक माज़ (दो बार पकाई गई भेड़ की पसलियाँ, जिन्हें पहले पिसे हुए मसालों और दूध के साथ पकाया जाता है, फिर मक्खन में फ्राई किया जाता है), एक सफ़ेद कोकुर (सफेद सॉस के साथ पकाया हुआ चिकन), एक ज़ाफ़रान कोकुर (केसर सॉस के साथ बना चिकन) और कुछ अन्य व्यंजन होते हैं। इसके साथ मिट्टी के छोटे बर्तनों में दही और चटनी अलग-अलग परोसा जाता है। उसके बाद लगभग 20 और आइटम परोसे जाते हैं। राहुल गांधी को ट्रामी में 'मीठी माज', 'तबक माज़', 'कबाब' और 'चिकन' जैसे पारंपरिक वाज़वान व्यंजन के साथ 'रिश्ता', 'रोगन जोश' और अंत में 'गोस्ताबा' भी परोसा गया।
आइस्क्रीम का भी लिया मजा
राहुल के आगमन की सूचना पर सुरक्षा अधिकारियों ने पहले ही होटल के आसपास सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी थी। जब राहुल वहां होटल में डिनर कर रहे थे, तब स्थानीय लोग बड़ी संख्या में वहां जमा हो गए थे। वे सभी राहुल की एक झलक पाना चाहते थे। डिनर के बाद राहुल गांधी ने पास के एरिना आइसक्रीम पार्लर पहुंचकर आइस्क्रीम भी खाई। माना जा रहा है कि राहुल गांधी और खरगे इस दौरे के दौरान राज्य में चुनाव गठबंधन पर नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से बातचीत करेंगे और गठबंधन को अंतिम रूप देने पर बात कर सकते हैं। राज्य में अगले महीने 18 सितंबर से 1 अक्तूबर के बीच तीन चरणों में विधान सभा चुनाव होने हैं। 4 अक्तूबर को मतों की गिनती होगी।
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