What is Jamaat-e-Islami who wants to contest Jammu Kashmir Assembly elections after 37 years of boycott Why Center banned क्या है जमात-ए-इस्लामी, जो 37 साल के बहिष्कार के बाद लड़ना चाह रहा चुनाव; केंद्र ने क्यों लगा रखा है बैन?, Jammu-and-kashmir Hindi News - Hindustan
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क्या है जमात-ए-इस्लामी, जो 37 साल के बहिष्कार के बाद लड़ना चाह रहा चुनाव; केंद्र ने क्यों लगा रखा है बैन?

Jammu Kashmir News: 27 फरवरी, 2024 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर पर लगे प्रतिबंध को 5 साल के लिए आगे बढ़ा दिया है। UAPA के तहत इस संगठन को गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, श्रीनगरWed, 15 May 2024 09:42 PM
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क्या है जमात-ए-इस्लामी, जो 37 साल के बहिष्कार के बाद लड़ना चाह रहा चुनाव; केंद्र ने क्यों लगा रखा है बैन?

जम्मू कश्मीर में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर ने अपने बदले रुख का परिचय देते हुए कहा है कि अगर केंद्र सरकार ने उस पर से प्रतिबंध हटाया तो वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकता है। जमात-ए-इस्लामी पिछले 37 सालों से चुनावों का बहिष्कार करता आया है। उसके इस ऐलान से कश्मीर घाटी में राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है। फरवरी 2019 में केंद्र सरकार ने इस संगठन पर UAPA  के तहत पांच साल का बैन लगा दिया था। 

जमात ए इस्लामी (JEL) जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने बुधवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार संगठन पर से प्रतिबंध हटाती है तो उनका संगठन विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगा। वानी ने श्रीनगर से 32 किलोमीटर दूर पुलवामा में संवाददाताओं से कहा, "हम केंद्र के साथ बातचीत कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि संगठन पर से प्रतिबंध हट जाए। हम समाज में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। अगर प्रतिबंध हट जाता है, तो हम चुनावों में हिस्सा ले सकते हैं।"

श्रीनगर लोकसभा सीट पर सोमवार को मतदान के दौरान वोट डालने वाले वानी ने कहा कि उनका संगठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखता है और अतीत में भी चुनावों में हिस्सा ले चुका है। वानी ने कहा, "हम हिस्सा लेंगे (विधानसभा चुनावों में) क्योंकि हम लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखते हैं। हम हिस्सा लेंगे क्योंकि हम पूर्व में भी ऐसा कर चुके हैं।" बता दें कि इस संगठन ने 1987 से लगातार किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है।

पूर्व अमीर ए जमात (पार्टी प्रमुख) सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे उस पत्र पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि जमात के मजलिस ए शूरा ने चुनावों में हिस्सा लेने को मंजूरी नहीं दी थी। उन्होंने कहा, "हमने चुनावों (लोकसभा) में हिस्सा लिया और हमारे कार्यकर्ताओं को लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए स्वतंत्र रूप से मतदान करने को कहा क्योंकि लोकतंत्र ही समस्या का समाधान है। हमारे (पार्टी के) संविधान के मुताबिक, यह बहुत जरूरी है। कुछ बदमाशों ने कहीं लिख दिया कि (मजलिस) शूरा (सलाहकार परिषद) ने हमें मंजूरी नहीं दी। सिर्फ वही जानते हैं कि इस पत्र के पीछे क्या मकसद है। हम फिर दोहरा रहे हैं और अपना रुख स्पष्ट कर रहे हैं। शूरा हमारे साथ है।"

लोकसभा चुनावों के बाकी के चरणों में चुनावों के लिए इलाके के जमात कार्यकर्ताओं को अपने संदेश में वानी ने कहा कि मतदान के जरिये ही बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ''हम मतदान के जरिये बदलाव ला सकते हैं। अगर अच्छे लोग आगे आएंगे तो हमारा समाज विकसित होगा और मुद्दे हल होंगे। मादक पदार्थ माफिया जैसे माफियाओं को जड़ से उखाड़ फेंकना होगा। मैं कार्यकर्ताओं से बिना डरे मतदान करने की अपील करता हूं।''

क्या है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी कश्मीर या जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर जम्मू और कश्मीर में एक कैडर-आधारित सामाजिक-धार्मिक-राजनीतिक संगठन है, जो जमात-ए-इस्लामी हिंद से अलग है। इसका मुख्यालय श्रीनगर में है। यह संगठन कश्मीर को एक विवादित क्षेत्र मानता रहा है और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से  भारत, पाकिस्तान और कश्मीर के प्रतिनिधियों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता के जरिए हल कराने का पक्षधर रहा है।

27 फरवरी, 2024 को, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर पर लगे प्रतिबंध को पांच साल के लिए आगे बढ़ा दिया है। गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 के तहत इस संगठन को "गैरकानूनी संगठन" घोषित किया गया था।

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