फिर से सोच लीजिए; वैष्णो देवी रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर महबूबा मुफ्ती की LG सिन्हा को सलाह; क्या मामला
- Vaishno Devi Ropeway Project: पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल नहीं बनाना चाहिए। वैष्णो देवी माता मंदिर रोपवे प्रोजेक्ट पर काम करने के पहले यहां के लोगों की आजीविका के बारे में भी सोच लेना चाहिए।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने उपराज्यपाल सिन्हा से वैष्णो देवी मंदिर रोपवे प्रोजेक्ट पर एक बार फिर से विचार करने की सलाह दी है। मुफ्ती ने कहा कि हमें मंदिर, मस्जिदों और अन्य धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल नहीं बनने देना चाहिए। रोपवे का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन को इनके खिलाफ, जो प्राथमिकी दर्ज की गई है उसे भी रद्द कर देना चाहिए।
कटरा में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुफ्ती ने कहा कि रोप वे का निर्माण हो जाने से यहां पर मौजूद लोगों की आजीविका का संकट खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा, "दुकानदारों, मजदूरों और अन्य लोगों की आजीविका तीर्थयात्रा से जुड़ी हुई है और उन्हें (रोपवे के निर्माण के बाद) कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। सरकार को समझना चाहिए कि यह एक धार्मिक स्थल है।इसे पर्यटन स्थल के रूप में बदलने के बजाय इसके साथ वैसा (धार्मिक स्थल जैसा) ही व्यवहार किया जाना चाहिए।"
लोगों की आजीविका छिन जाएगी- मुफ्ती
महबूबा ने कहा कि यह एक बेहद ही पवित्र स्थान है। लोग यहां पर सच्चे दिल से आते हैं। यहां पर रोपवे के निर्माण से मंदिर की यात्रा के तीन महत्वपूर्ण स्थान बाईपास हो जाएंगे। इससे हजारों लोगों की आजीविका पर प्रभाव पड़ेगा। मुफ्ती ने दावा कि जम्मू-कश्मीर पहले से ही उच्च बेरोजगारी दर से जूझ रहा है। क्योंकि न तो यहां पर सरकारी नौकरियां हैं और न ही कहीं से निवेश आ रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग यहां पर माता के आशीर्वाद से अपनी मेहनत से कमाते खाते हैं। रोपवे के निर्माण से उनकी जिंदगी पर असर पड़ेगा।
पर्यटन ही बढ़ाना है तो और भी जगहें- मुफ्ती
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार को अगर पर्यटन ही बढ़ाना है तो जम्मू-कश्मीर में और जगहें देखनी चाहिए। कश्मीर में ऐसी कई जगहें जहां पर पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मुफ्ती ने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के गठन से पहले मंदिर के मामलों का प्रबंधन करने वाले बारीदार समुदाय के लोग अपने निष्कासन से खुश नहीं थे और लगातार विरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल(श्राइन बोर्ड अध्यक्ष) को फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और रोपवे पर काम शुरू करने से पहले स्थानीय लोगों की आजीविका को ध्यान में रखना चाहिए, जिसे कहीं और स्थानांतरित किया जा सकता है।’’
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