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बलिदान स्तंभ की कहानी, पाक की घिनौनी करतूत से गईं 30000 जान, 15 अगस्त को जनता के लिए खुलेगा

  • बलिदान स्तंभ 1947 में पाकिस्तान की घिनौनी करतूत की याद दिलाता है, जब सीमा पार से घुसे कबायलियों ने जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने की नापाक कोशिश की। उन्होंने महिलाओं की अस्मत लूटी और 30 हजार लोगों की जान ले ली।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, राजौरीTue, 13 Aug 2024 03:43 PM
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देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की याद में कश्मीर के राजौरी में बना स्मारक बलिदान स्तंभ बनकर तैयार हो चुका है। 15 अगस्त को इसे जनता के लिए खोल दिया जाएगा। यह बात श्रीनगर नगर निगम के आयुक्त डॉ. ओवैस अहमद ने मंगलवार को कही। बलिदान स्तंभ 1947 में पाकिस्तान की घिनौनी करतूत की याद दिलाता है, जब सीमा पार से घुसे कबायलियों ने जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने की नापाक कोशिश की। उन्होंने महिलाओं की अस्मत लूटी और 30 हजार लोगों की जान ले ली।

मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए श्रीनगर नगर निगम के आय़ुक्त ओवैस अहमद ने कहा, "हमने 15 अगस्त तक बलिदान स्तंभ तैयार रखने की प्रतिबद्धता जताई थी। यह अब तैयार है और लोगों से अनुरोध है कि वे इस स्थान पर आएं और महान नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।" समाचार एजेंसी कश्मीर न्यूज कॉर्नर (केएनसी) के अनुसार, एसएमसी आयुक्त ने कहा कि इस स्थान पर आने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा। इस परियोजना की कुल लागत 4.8 करोड़ रुपये है।

बलिदान स्तंभ की कहानी

बलिदान स्तंभ की कहानी हमें आजादी के बाद पाकिस्तान के नापाक इरादें और दुस्साहस की याद दिलाता है। जब अंग्रेजों ने देश छोड़ने से पहले भारत और पाकिस्तान दो मुल्कों की घोषणा की तो पाकिस्तान की नजर भारत के शहरों, राज्यों पर अवैध कब्जे की शुरू हो गई थी। उसने हैदराबाद, जूनागढ़ (अब गुजरात) और कश्मीर पर अपनी नजरें गड़ाई। 26 अक्तूबर 1947 को जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजा हरि सिंह पशोपेश में थे लेकिन, जब पाकिस्तान ने सैनिकों के वेश में कबायलियों को कश्मीर में चढ़ाई के लिए भेज दिया तो राजा हरि सिंह ने तुरंत भारत में विलय की घोषणा कर दी। राजा हरि सिंह की घोषणा के अगले ही दिन 27 अक्तूबर को पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया। कबायलियों ने राजौरी में घुसते ही लोगों को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया, उन्हें जो दिखा वो मारते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे।

पाकिस्तानियों का जुल्म इतना भयावह और वीभत्स था कि महिलाओं की इज्जत लूटी गई। जब पूरा देश आजादी के बाद पहली दीपावली मना रहा था, राजौरी में पाकिस्तानी कश्मीरियों पर जुल्म ढा रहे थे। महिलाओं ने अपनी इज्जत बचाने के लिए जहर खा लिया, कई महिलाएं कुएं में कूद गई। ऐसा अनुमान है कि इस कत्लेआम में 30 हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इस स्थान पर अब बलिदान स्तंभ बनकर तैयार हुआ है। इसका पहली बार निर्माण 1969 में हुआ था।

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