सऊदी अरब में भी धूम मचा रहा भारत का योग, पद्म श्री विजेता ने बताई प्रसिद्धि की वजह
- भारत ने योग और योगासन को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। इस कड़ी में सऊदी अरब का भी नाम शामिल है जहां योग की वजह से यहां की महिलाओं की जिंदगी में सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं।
भारत ने दुनिया भर में योग की प्रसिद्धि में बड़ा योगदान दिया है। अब यही योग दुनियाभर में धूम मचा रहा है। सऊदी अरब में भी योग लोगों की, खासकर महिलाओं की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने में कामयाब रहा है। सऊदी अरब की पहली प्रमाणित योग प्रशिक्षक और पद्म श्री से नवाजी गई अरब की पहली नागरिक नोऊ मरवाई ने कहा है कि देश के लोगों ने सात साल पहले बिना किसी संकोच के योग को अपना लिया था और अब यह प्राचीन भारतीय विधा इस देश में काफी लोकप्रिय है और इसमें महिलाओं का प्रभुत्व है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के लोगों ने कभी योग का विरोध नहीं किया।
मरवाई ने 2017 में सऊदी अरब में योग की शुरुआत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्हें 2018 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 2021 में सऊदी योग समिति की स्थापना की थी और वह अरब योग फाउंडेशन की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। मरवाई ने कहा है कि अल वहला क्लब और सऊदी योग समिति द्वारा मक्का में आयोजित दूसरी सऊदी ओपन योगासन चैंपियनशिप में 56 लड़कियों और 10 लड़कों ने भाग लिया।
मरवाई जब 17 साल की थीं तभी उन्हें ऑटोइम्यून रोग ‘ल्यूपस एरिथेमाटोसस’ होने का पता चला था। उन्होंने योग के प्रति अपनी रुचि को याद करते हुए कहा, डॉक्टरों ने मेरे माता-पिता से कहा कि मैं ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह पाऊंगी। मुझे स्कूल न जाने के लिए कहा गया और तभी मैंने रियाद में घर पर ही योग सीखा। मेरी सेहत में आश्चर्यजनक रूप से सुधार होने लगा। आखिरकार मैंने योग के बारे में और और ज्यादा जानने के लिए भारत जाने का फैसला किया।’’
मरवाई ने कहा, ‘‘मैं 2008 में योग और आयुर्वेद का अध्ययन करने के लिए भारत गई और यह मेरे जीवन में हुआ बड़ा बदलाव था।’’ सऊदी अरब में योग की शुरुआत में आने वाली कठिनाइयों के सवाल पर मरवाई ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सऊदी लोगों को यह जानने की जरूरत है कि वे योग करते हुए ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं जो उनके धर्म के विरुद्ध हो।’’ मरवाई ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अपने जीवन को उन्नत बनाने के लिए किसी दर्शन का अध्ययन करने और सीखने में कोई नुकसान नहीं है। बेशक, वैदिक दर्शन और योग वेदों जैसी पृष्ठभूमि से आते हैं। वेद सच में बहुत प्राचीन हैं और मानवता के लिए हजारों वर्षों से अस्तित्व में हैं।’’
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