खौफ में क्यों H-1B वीजा धारक, गूगल-अमेजन जैसी दिग्गज कंपनियां क्यों दे रहीं US न छोड़ने की चेतावनी
इन मशहूर और दिग्गज कंपनियों को डर है कि शायद ट्रंप प्रशासन अमेरिका छोड़ने के बाद हजारों प्रवासी H-1B वीजा धारकों को दोबारा लौटने की इजाजत ना दे।

डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद पूरी दुनिया में कोलाहल है। वह एक तरफ कुछ देशों पर टैरिफ अटैक कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सख्ती दिखाते हुए अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट कर रहे हैं। अब उनके सख्त इमिग्रेशन कानून से वहां रह रहे हजारों H-1B वीजा धारक आईटी पेशेवरों में हड़कंप मचा हुआ है। उन्हें अमेरिका छोड़ने का खौफ सता रहा है। इसी खौफ के बीच गूगल औरअमेजन जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों ने अपने H-1B वीजा धारक कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वो संयुक्त राज्य अमेरिका ना छोड़ें।
इन मशहूर कंपनियों को डर है कि शायद ट्रंप प्रशासन अमेरिका छोड़ने के बाद हजारों प्रवासी H-1B वीजा धारकों को दोबारा लौटने की इजाजत ना दे। ऐसे में हजारों भारतीय समेत कई देशों के H-1B वीजा धारक पेशेवर अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता के दौर में जी रहे हैं।
बच्चों के भविष्य की भी चिंता
वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी आशंका है कि आने वाले दिनों में ट्रंप प्रशासन में हाई स्किल्ड पेशेवरों के वीजा अस्वीकृति की दर बढ़ सकती है, जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में पैदा हुए लोगों के जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने के ट्रंप प्रशासन की कोशिशों से भी H-1B वीजा धारकों में डर है। उन्हें लग रहा है कि उनके भविष्य में अपनी अमेरिकी नागरिकता खो सकते हैं।
हर साल लॉटरी सिस्टम से 65,000 H-1B वीजा
बता दें कि एच1बी वीजा कार्यक्रम कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पदों पर अस्थायी रूप से विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति की अनुमति देता है। भारत की विशेषरूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां इस कार्यक्रम से काफी लाभान्वित हुई हैं। हर साल लॉटरी सिस्टम के जरिए 65,000 H-1B वीजा जारी किए जाते हैं। हाल के वर्षों में, भारतीयों को सबसे अधिक H-1B वीजा मिले हैं, उसके बाद चीनी और कनाडाई नागरिकों का स्थान है। ऐसे में सबसे ज्यादा हड़कंप भारतीयों में है।
क्या कहते हैं आंकड़े
अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर, 2024 की अवधि में विभिन्न नियोक्ताओं को जारी किए गए कुल 1.3 लाख एच1बी वीजा में से लगभग 24,766 वीजा भारतीय मूल की कंपनियों को जारी किए गए। इनमें से इन्फोसिस ने 8,140 लाभार्थियों के साथ अग्रणी स्थान हासिल किया। उसके बाद टीसीएस (5,274) और एचसीएल अमेरिका (2,953) का स्थान रहा।
अमेजन कॉम सर्विसेज एलएलसी के बाद इन्फोसिस यह वीजा हासिल करने में दूसरे स्थान पर रही। अमेजन कॉम सर्विसेज ने 9,265 एच1बी वीजा हासिल किए। कॉग्निजेंट इस सूची में 6,321 वीजा के साथ तीसरे स्थान पर रही। कॉग्निजेंट की स्थापना चेन्नई में हुई थी, लेकिन अब इसका मुख्यालय न्यू जर्सी में है।
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