कंगाल पाकिस्तान से बांग्लादेश को क्या मिलेगा? शेख हसीना के हटते ही दोस्ती को बेताब
- शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश एक दूसरे के करीब आ गए हैं। यह एक ऐसा समय है जब दोनों देशों की राजनीति में भारत विरोधी भावना आम है।
शेख हसीना के द्वारा देश छोड़ने के बाद से वह लगातार भारत में शरण ली हुई हैं। इसके बाद पाकिस्तान का बांग्लादेश को लेकर एक लगाव सामने निकलकर आया है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनिर ने हाल ही में बांगलादेश के सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एसएम कमरुल हसन से हाल ही में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मुलाकात की थी। इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताया जा रहा है। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के झंडे एक टेबल पर लगाए गए थे। मुनीर और हसन के बीच मंगलवार की बैठक पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ने दोनों देशों को “भाई राष्ट्र” बताया।
पाकिस्तान और बांगलादेश के रिश्तों में आई यह नजदीकी लोगों को चौंका रही है। 1971 में बांगलादेश के स्वतंत्रता संग्राम और पाकिस्तान से विभाजन के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बना रहा है। बांगलादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में बांगलादेश की सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बार कड़ी बयानबाजी की थी। शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद पाकिस्तान को मौका मिला और उसने बांग्लादेश के साथ दोस्ती को बढ़ाने के लिए पहल कर दी है।
बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के लगभग 16 साल के शासन के दौरान उनके संबंधों में तनाव और गहरा हो गया। उन्हें पड़ोसी भारत भागने पर मजबूर होना पड़ा। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश एक दूसरे के करीब आ गए हैं। यह एक ऐसा समय है जब दोनों देशों की राजनीति में भारत विरोधी भावना आम है।
इस्लामाबाद और ढाका के बीच ऐतिहासिक दुश्मनी की शुरुआत 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की मुक्ति के युद्ध में हुई थी। स्वतंत्र अनुमानों के अनुसार, पाकिस्तान की सेना और उसके सहयोगी मिलिशिया ने बंगाली विद्रोहियों से लड़ाई लड़ी और सैकड़ों हज़ार लोगों का नरसंहार किया। उन अनुमानों से पता चलता है कि कम से कम 200,000 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया।
भारतीय सेना के समर्थन से शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान और उनकी अवामी लीग पार्टी ने बांग्लादेश को आजादी दिलाई। वे इसके संस्थापक अध्यक्ष बने और खुद को “राष्ट्रपिता” की उपाधि दी।
पाकिस्तान और बांगलादेश के नेताओं ने इस मुलाकात में सैन्य संबंधों को मजबूत करने और बाहरी प्रभावों से इस साझेदारी को सुरक्षित रखने के महत्व को रेखांकित किया। पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने कहा कि यह मुलाकात दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय संवाद का हिस्सा थी, जिसमें पहले भी दोनों पक्षों ने कई बार मिलकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और बांगलादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मुहम्मद युनूस ने भी हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुलाकात की थी। इसके अलावा, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ईशाक डार अगले महीने बांगलादेश का दौरा करेंगे। 2012 के बाद दोनों देशों के बीच पहला उच्च-स्तरीय यात्रा होगा।
पाकिस्तान और बांगलादेश के बीच ऐतिहासिक दुश्मनी की जड़ें 1971 के बांगलादेश युद्ध में हैं। इस युद्ध में सैकड़ों हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग प्रभावित हुए। पाकिस्तान ने 1974 में बांगलादेश की स्वतंत्रता को स्वीकार किया, लेकिन दोनों देशों के बीच कई मुद्दे उलझे हुए हैं। पाकिस्तान के द्वारा औपचारिक माफी नहीं मांगने के कारण दोनों देशों के बीच 1971 से पूर्व की संपत्तियों का विभाजन नहीं हो पाया।
विशेषज्ञों का मानना है कि बांगलादेश और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में यह सुधार संभवतः क्षेत्रीय राजनीति के बदलते परिप्रेक्ष्य के कारण हो सकता है। इस समय दोनों देश भारत को अपना दुश्मन मानते हैं। पाकिस्तान और बांगलादेश दोनों देशों के बीच बढ़ते सैन्य और राजनीतिक संपर्क से यह प्रतीत होता है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार हो सकता है।
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