कौन है तुर्किये की नाक में दम करने वाला PKK समूह, अंकारा में हुए हमले का लग रहा है आरोप
- Turkey attack : तुर्किये की राजधानी अंकारा में हुए आतंकवादी हमले का आरोप सालों से तुर्किये की नाक में दम करने वाले कुर्द समूह PKK पर लगाया जा रहा है। यह समूह लगातार तुर्कीये को अपना निशाना बनाता रहता है। इस संगठन का मुख्य लक्ष्य एक स्वतंत्र कुर्द देश की स्थापना करना है।
तुर्किये की राजधानी अंकारा कल बुधवार को हुए आतंकवादी हमलों से दहल गई। तुर्किये एयरोेस्पेस इंडस्ट्रीज के बाहर कार से उतरे आतंकिवादियो ने लगातार गोलियां बरसानी शुरू कर दी जिसमें करीब 5 लोगों की जान चली गई जबकि 22 लोग घायल हो गए। हमला करने आए दो आतंकियों में एक महिला भी शामिल थी। इस हमले में कई दशकों से तुर्कीये के लिए सिरदर्द बने कुर्द विद्रोही समूह पीकेके का हाथ बताया जा रहा है। हालांकि किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
हमले के बाद तुर्कीये के गृहमंत्री येर्लिकाया ने कहा कि हमारे सुरक्षाबलों ने दोनों आतंकियों को मार गिराया है और फिलहाल हमले वाली जगह के आसपास ड्रोन्स के जरिए निगरानी की जा रही है। पीकेके समूह का इतिहास तुर्किये की आजादी के समय से ही शुरू हो जाता है। पीकेके समूह का मुख्य लक्ष्य तुर्कीये, इराक, सीरिया और ईरान के कुछ हिस्सों को अलग करके कुर्दों के लिए एक अलग देश बनाना है। आजाद कुर्द देश की मांग करने वाला यह संगठन आजादी के समय से ही तुर्किये के लिए सिर दर्द बना हुआ है।
क्या है पीकेके का इतिहास
तुर्कीये से कटकर एक अलग देश कुर्दिस्तान की मांग करने वाले पीकेके संगठन को 1978 में कुर्द नेता अब्दुल्ला ओकलान ने बनाया था। यह संगठन खुद को तुर्कीये की जमीन पर हाशिए पर धकेल दिए गए कुर्द लोगों की राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा करने वाला बताता है। अपने शुरुआती दौर में संगठन मार्क्स और लेनिन की विचारधारा से प्रेरित था। लेकिन 1984 से इस संगठन ने कुर्द लोगों के लिए एक अलग देश की मांग करते हुए तुर्कीये के खिलाफ खूनी संघर्ष छेड़ दिया। इस संगठन के लड़ाके लगातार तुर्किये की सेना और सरकार को निशाना बनाने लगे। दशकों तक चली इस लड़ाई में हजारों लोग मारे गए। लेकिन इस संघर्ष ने अपनी लड़ाई जारी रखी। यह लगातार तुर्कीये सरकार और सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध करके अपनी लड़ाई को जारी रखे हुए हैं।
कुर्द संगठनों से तुर्कीये का संघर्ष
कुर्द लोग एक जातीय अल्पसंख्यक के रूप में इराक, सीरिया और तुर्कीये में फैले हुए हैं। इनके जातीय दमन का इतिहास 20वीं सदी से शुरू हो जाता है जब तुर्कीये की तत्कालीन सरकार ने जातीय आधार पर इनका दमन करना शुरू कर दिया। सरकार ने कुर्द भाषा और उनकी सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया, जिसके परिणामस्वरूप कुर्द लोगों के बीच में विद्रोह फूट पड़ा। शुरुआती तौर पर शांतिपूर्वक आंदोलन चलाने वाले कुर्दों ने 1984 से सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया। वह अपने लिए एक अलग स्वतंत्र राज्य की मांग करने लगे और उनका यह संघर्ष आज तक जारी है।
वर्तमान में तुर्कीये की एर्दोगन सरकार के सख्त रवैए के कारण तुर्कीये में कुर्द संगठनों और सरकार के बीच में संघर्ष और भी ज्यादा तेज हुआ है। बुधवार को हुए हमले के बाद तुर्किये ने उत्तरी इराक और सीरिया में पीकेके के ठिकानों पर बम भी बरसाए हैं। यह संगठन मुख्य रूप से इराक और सीरिया की धरती से ही तुर्कीये पर हमला करने की योजना बनाता है।
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