अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का भारत पर क्या असर? जानिए ट्रंप और कमला हैरिस की नीतियों में अंतर
- अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस बीच यह समझना जरूरी है कि दोनों उम्मीदवारों की नीतियों में क्या अंतर है और इसका भारत पर क्या असर होने वाला है।
अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं। एक तरफ डेमोक्रेटिक कमला हैरिस अपने देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने की दावेदारी पेश कर रही हैं वहीं दूसरी ओर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए जी-जान लगा रहे हैं। चुनाव के नतीजे वैश्विक स्तर पर कई बदलाव ले कर आएंगे। चाहे वह मुहाने पर खड़ा मिडिल ईस्ट हो या रूस संग उलझे यूरोपीय देश, सभी इन चुनाव के नतीजों पर टकटकी लगाए हुए हैं। भारत के लिए भी इस चुनाव में कई चीजें दांव पर हैं। इनमें सबसे अहम मुद्दा प्रवासी भारतीयों का हैं जिसे लेकर दोनों उम्मीदवारों की नीतियां एक दूसरे के बिल्कुल अलग है।
प्रवासियों पर दृष्टिकोण
कमला हैरिस इस क्षेत्र में संतुलित नीति की बात करती हैं। उन्होंने मध्य अमेरिका से पलायन के मूल कारणों से निपटने और सीमा सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की बात की है। वह बिना दस्तावेज वाले शरणार्थियों, खास कर बच्चों को अमेरिका की नागरिकता देने की वकालत करती हैं। कमला हैरिस कुशल श्रमिक वीजा जैसे कि H-1B का विस्तार करने का समर्थन करती हैं। वहीं डोनाल्ड ट्रम्प सख्त सीमा नियंत्रण पर जोर देते हैं। अब सवाल यह है कि इसका भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ेगा? नागरिकता देने के तरीके ढूंढने सहित हैरिस का संतुलित दृष्टिकोण अमेरिका में रहने वाले भारतीय परिवारों को स्थिरता और सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसके विपरीत ट्रम्प की सख्त सीमा नीतियां अधिक चुनौतीपूर्ण वातावरण बना सकती हैं जिससे भारतीय कंपनियों और लोगों के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। सख्त शिक्षा आधारित मानदंडों के लागू होने से अकुशल श्रमिकों पर प्रभाव पड़ सकता है हालांकि आईटी सेवाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
व्यापार नीति
कमला हैरिस बहुपक्षीय व्यापार समझौतों और क्षेत्रीय सहयोग (जैसे, इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचा) पर जोर देती हैं। वहीं ट्रम्प व्यापार सौदों पर फिर से बातचीत करने और भारी शुल्क लगाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए संरक्षणवाद का पुरजोर समर्थन करते हैं। कमला हैरिस की नीतियों से भारत के व्यापार हितों के लिए स्थिर और सहायक वर्तमान नीति में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है। वहीं ट्रम्प की नीतियां वैश्विक व्यापार में रुकावटें पैदा कर सकते हैं लेकिन यह भारत के लिए अमेरिकी बाजार में चीनी आयात को बदलने के अवसर खोल सकता है।
रक्षा
कमला हैरिस और बाइडेन के कार्यकाल के दौरान INDUS X जैसी पहलों के माध्यम से दक्षिण एशिया में चीन को संतुलित करने के लिए इंडो-पैसिफिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया। बाइडेन और हैरिस ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, सह-उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं के एकीकरण और तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमानों के लिए जीई इंजनों के सह-उत्पादन पर ज़ोर दिया। 2024 में भारत का निर्यात 4,400 करोड़ रुपये के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया था। वहीं ट्रंप को 2017 में क्वाड साझेदारी को पुनर्जीवित करने के निर्णय का श्रेय दिया जाता है। 2020 तक भारत के रक्षा आयात में 30% की वृद्धि हुई। कमला हैरिस की उभरती हुई प्रौद्योगिकियों पर पहल और जी7 के माध्यम से रणनीतिक पुनर्गठन से भारत इंडो-पैसिफिक में अमेरिकी रणनीति का आधार बन जाएगा। वहीं क्वाड को मजबूत करने और दक्षिण पूर्व एशिया में भारत को सशक्त बनाने के ट्रंप रुख से रक्षा/अंतरिक्ष के लिए हार्डवेयर और प्रौद्योगिकी की बेहतर सोर्सिंग हो सकती है।
मेडिकल और फार्मा
कमला हैरिस मेडिकेयर का निजीकरण, दवा की कीमतों में सरकारी हस्तक्षेप को कम करने और स्वास्थ्य बीमा बाजारों को नियंत्रण मुक्त करने का समर्थन करती हैं। इससे भारतीय जेनेरिक फर्मों के लिए कीमतों में सुधार हो सकता है। वहीं ट्रम्प के कार्यकाल में भारतीय कंपनियों को 2017 से 2019 के बीच FDA मुद्दों का सामना करना पड़ा। कोविड महामारी में HCQ की आपूर्ति में भारत की प्रमुख भूमिका के बाद स्थिति बेहतर हुई। विनियमन मुक्त होने से अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की पहुंच बढ़ सकती है।
जानकारों का कहना है कि चूंकि चुनाव परिणाम रक्षा, इमिग्रेशन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को आकार देंगे इसलिए भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अमेरिकी नीतिगत बदलावों का आकलन करे और उनमें से किसी भी परिणाम को स्पष्ट रूप से अनुकूल या प्रतिकूल माने बिना उसके अनुसार खुद को ढाल ले।
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