पाकिस्तान सहित 43 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगा सकते हैं ट्रंप, भारत के पड़ोसियों की बढ़ेगी टेंशन
- सूची अभी अंतिम रूप से तैयार नहीं हुई है और इसमें बदलाव संभव हैं, लेकिन इसे विदेश मंत्री मार्को रुबियो की सहमति के अलावा, प्रशासन की मंजूरी की आवश्यकता होगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 41 देशों पर व्यापक यात्रा प्रतिबंध लगाने की योजना पर विचार कर रहे हैं। इस प्रस्तावित नीति का असर खास तौर पर उन देशों पर पड़ सकता है, जिनमें भारत के पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार शामिल हैं। यह नीति 20 जनवरी को ट्रंप द्वारा जारी एक कार्यकारी आदेश का हिस्सा है, जिसमें विदेशी नागरिकों के लिए कड़ी सुरक्षा जांच अनिवार्य की गई थी। इस आदेश में कई कैबिनेट अधिकारियों को 21 मार्च तक उन देशों की सूची पेश करने का निर्देश दिया गया था, जहां अपर्याप्त जांच और स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं के कारण यात्रा को पूरी तरह या आंशिक रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उठाया जा सकता है। हालांकि सूची अभी अंतिम रूप से तैयार नहीं हुई है और इसमें बदलाव संभव हैं, लेकिन इसे विदेश मंत्री मार्को रुबियो की सहमति के अलावा, प्रशासन की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
प्रस्तावित प्रतिबंध में शामिल देशों को तीन समूहों में बांटा गया है।
पहला समूह (रेड लिस्ट): प्रस्तावित योजना में 11 देशों की एक “रेड” सूची है, जिनके नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, इस सूची में अफगानिस्तान, भूटान, क्यूबा, ईरान, लीबिया, उत्तर कोरिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया, वेनेजुएला और यमन शामिल हैं।
दूसरा समूह (ऑरेंज लिस्ट): पूर्ण प्रतिबंधों के अलावा, प्रस्ताव में 10 देशों की “ऑरेंज” सूची भी दी गई है, जिनके लिए यात्रा प्रतिबंधित होगी, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होगी। बेलारूस, इरिट्रिया, हैती, लाओस, म्यांमार, पाकिस्तान, रूस, सिएरा लियोन, दक्षिण सूडान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों के नागरिकों को सख्त जांच प्रक्रियाओं और अनिवार्य व्यक्तिगत वीजा इंटरव्यू का सामना करना पड़ेगा। इन देशों के धनी व्यवसायिक यात्रियों को अभी भी प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन अप्रवासी और पर्यटक वीजा धारकों को कड़ी जांच के अधीन होना होगा।
तीसरा समूह (येलो लिस्ट): मसौदा प्रस्ताव में 22 देशों की एक “येलो” सूची भी शामिल है, जिन्हें प्रतिबंधों से बचने के लिए कथित सुरक्षा कमियों को दूर करने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। इन देशों में - मुख्य रूप से अफ्रीका और कैरिबियन देश शामिल हैं। इनमें - अंगोला, एंटीगुआ और बारबुडा, बेनिन, बुर्किना फासो, कैमरून, केप वर्डे, चाड, कांगो गणराज्य, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, डोमिनिका, इक्वेटोरियल गिनी, गाम्बिया, लाइबेरिया, मलावी, माली, मॉरिटानिया, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, साओ टोमे और प्रिंसिपे, वानुअतु और जिम्बाब्वे शामिल हैं।
भारत के पड़ोस पर असर
इस प्रस्तावित प्रतिबंध का सबसे बड़ा असर भारत के पड़ोसी देशों, खासकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार और भूटान पर पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, अफगानिस्तान को पूर्ण यात्रा प्रतिबंध वाली सूची में शामिल किया जा सकता है, जबकि पाकिस्तान को भी इस सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है। इससे इन देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका में प्रवेश करना मुश्किल हो सकता है। विशेष रूप से अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां से शरणार्थियों और विशेष अप्रवासी वीजा (SIV) धारकों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग इन SIV धारकों को प्रतिबंध से छूट देने की कोशिश कर रहा है।
ट्रंप की पिछली नीति से समानता
यह प्रस्तावित प्रतिबंध ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017) में लागू किए गए यात्रा प्रतिबंध से मिलता-जुलता है, जिसे "मुस्लिम बैन" के नाम से भी जाना गया था। उस समय सात मुख्य रूप से मुस्लिम देशों के यात्रियों पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे बाद में कई संशोधनों के बाद 2018 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। हालांकि, जो बाइडन ने 2021 में अपने कार्यकाल की शुरुआत में इसे रद्द कर दिया था। अब ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में यह नीति फिर से सख्त रूप में सामने आ रही है, जिसका उद्देश्य उनकी चुनावी घोषणाओं को पूरा करना भी बताया जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों और समुदायों की चिंता
इस खबर के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों और प्रवासी समुदायों में चिंता बढ़ गई है। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान "वैचारिक जांच" लागू करने और "खतरनाक कट्टरपंथियों" को अमेरिका में प्रवेश से रोकने का वादा किया था। इससे पहले ही कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने अपने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को सतर्क रहने की सलाह दी थी। विशेष रूप से पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आने वाले छात्रों और श्रमिकों पर इसका असर पड़ सकता है।
हालांकि यह सूची अभी अंतिम नहीं है और इसमें बदलाव संभव हैं, लेकिन अगर यह लागू होता है, तो यह ट्रंप प्रशासन की व्यापक आव्रजन नीति का हिस्सा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल प्रभावित देशों के साथ अमेरिका के संबंध प्रभावित हो सकते हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर मानवीय संकट भी गहरा सकता है।
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