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अपने पहले दौरे पर तीन सबसे अमीर देशों की यात्रा पर जा रहे ट्रंप, क्या है खास?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह यात्रा खाड़ी देशों और अमेरिका के बीच आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक संबंधों को नई दिशा दे सकती है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनTue, 13 May 2025 06:54 AM
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अपने पहले दौरे पर तीन सबसे अमीर देशों की यात्रा पर जा रहे ट्रंप, क्या है खास?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरी कार्यकाल की पहली राजकीय यात्रा के लिए तीन ऊर्जा-समृद्ध खाड़ी देशों का दौरा कर रहे हैं। ट्रंप आज से सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जा रहे हैं। यह यात्रा 13 मई से 16 मई तक चलेगी और इसके दौरान कई आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। ये तीनों देश ट्रंप के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने और ठोस लाभ प्राप्त करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह दौरा दोनों पक्षों के लिए बड़े समझौतों का अवसर लेकर आया है।

सऊदी अरब: सुरक्षा और परमाणु कार्यक्रम

सऊदी अरब के लिए इस यात्रा का प्रमुख एजेंडा "सुरक्षा, सुरक्षा और सुरक्षा" है। सऊदी लेखक और टिप्पणीकार अली शिहाबी ने सीएनएन को बताया कि खाड़ी देश अमेरिका से क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं। सऊदी अरब एक ऐतिहासिक रक्षा और व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के करीब था, लेकिन यह समझौता पिछले साल इजरायल द्वारा फिलिस्तीनी की दिशा में प्रतिबद्धता की कमी के कारण रुक गया था। विश्लेषक फिरास मकसद के अनुसार, ट्रंप इस बार सामान्यीकरण की शर्त के बिना बड़े समझौतों को आगे बढ़ा सकते हैं।

इसके अलावा, सऊदी अरब एक नागरिक परमाणु कार्यक्रम विकसित करने में रुचि रखता है। हालांकि, यूरेनियम संवर्धन को लेकर चिंताओं ने इस प्रक्रिया को धीमा कर दिया है। ट्रंप की यात्रा से इस क्षेत्र में प्रगति हो सकती है, जो अमेरिकी कंपनियों के लिए आकर्षक अवसर खोल सकती है।

कतर: सैन्य सहयोग और सीरिया पर प्रतिबंध

कतर का अमेरिका के साथ सबसे औपचारिक सैन्य संबंध है। यह मध्य पूर्व में अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य अड्डे की मेजबानी करता है, जिसे अमेरिकी विदेश विभाग ने क्षेत्र में सैन्य अभियानों के लिए "अनिवार्य" बताया है। पिछले साल, अमेरिका ने कतर में अपनी सैन्य उपस्थिति को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ाने का समझौता किया था। 2022 में, बाइडेन प्रशासन ने कतर को प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा भी दिया था।

कतर की एक प्रमुख मांग सीरिया पर लगे कैसर एक्ट के तहत आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने की है। कतर सीरिया को समर्थन देने में सावधानी बरत रहा है और इसके लिए अमेरिकी स्वीकृति चाहता है। कतर ने गाजा से लेकर अफगानिस्तान तक कई संघर्षों में मध्यस्थ की भूमिका निभाई है और इस यात्रा में अपनी कूटनीतिक स्थिति को और मजबूत करना चाहता है।

संयुक्त अरब अमीरात: टेक्नोलॉजी और निवेश

यूएई अपनी संपत्ति का उपयोग अमेरिका के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए कर रहा है, खासकर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। यूएई ने अगले दशक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सेमीकंडक्टर और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में 1.4 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। एमिरेट्स पॉलिसी सेंटर की प्रमुख एब्तेसम अलकेतबी ने कहा कि व्यापार और निवेश का विस्तार यूएई-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने के लिए आवश्यक है।

हालांकि, यूएई को अमेरिका से एआई निर्यात पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, जिसे ट्रंप की यात्रा के दौरान कम किया जा सकता है। हाल ही में, ट्रंप संगठन ने दुबई में 80 मंजिला ट्रंप इंटरनेशनल होटल एंड टावर की घोषणा की, जो इस यात्रा के दौरान व्यापारिक हितों को भी उजागर करता है।

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ट्रंप का नजरिया: आर्थिक लाभ और व्यक्तिगत हित

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की यह यात्रा मुख्य रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था और उनके निजी हितों को लाभ पहुंचाने के बारे में है। फिरास मकसद ने कहा, "वह यहां इसलिए आ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सऊदी अरब, यूएई और कतर के साथ समझौते अमेरिकी अर्थव्यवस्था और शायद उनके और उनके आसपास के लोगों के हित में हैं।" ट्रंप के व्यापारिक दृष्टिकोण को देखते हुए, बड़े घोषणाओं की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, कुछ नैतिकता विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि ट्रंप परिवार के कारोबारी हित, जैसे सऊदी समर्थित LIV गोल्फ टूर्नामेंट और यूएई में नए प्रोजेक्ट्स, इस यात्रा के दौरान हितों के टकराव का कारण बन सकते हैं। ट्रंप और व्हाइट हाउस ने इन आरोपों को खारिज किया है।

क्षेत्रीय और वैश्विक असर

ये तीनों देश खुद को गाजा, यूक्रेन और ईरान जैसे संघर्षों में मध्यस्थ के रूप में पेश कर रहे हैं। ट्रंप की यात्रा से न केवल द्विपक्षीय संबंधों को बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक कूटनीति को भी प्रभावित करने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का "लेन-देन" आधारित दृष्टिकोण इन देशों को अमेरिका के अपरिहार्य साझेदार के रूप में स्थापित करने में मदद कर सकता है।

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