अमेरिका से दोस्ताना या यूक्रेन को ठिकाने लगाना? रूस चल रहा कौन सी नई चाल
- पुतिन ने यूक्रेन को दरकिनार करने के लिए अमेरिका से हाथ मिलाने की पेशकश की है। उनकी योजना है कि दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में अमेरिका और रूस साथ मिलकर काम करें।
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अमेरिका को एक ऐसा प्रस्ताव दिया है, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। पुतिन ने यूक्रेन को दरकिनार करने के लिए अमेरिका से हाथ मिलाने की पेशकश की है। उनकी योजना है कि दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में अमेरिका और रूस साथ मिलकर काम करें। ऐसे वक्त में जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका की विदेश नीति में बड़ा बदलाव ला रहे हैं और यूक्रेन को दिए गए अरबों डॉलर पर सवाल उठा रहे हैं, पुतिन की यह चाल कई राज खोल सकती है। क्या यह अमेरिका से आर्थिक साझेदारी की ईमानदार कोशिश है या फिर यूक्रेन को अलग-थलग करने की रणनीति? आइए समझते हैं...
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दुर्लभ खनिजों के वैश्विक बाजार में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए रूस ने अमेरिका को साझेदारी का प्रस्ताव दिया है। राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा कि रूस में यूक्रेन के मुकाबले दुर्लभ खनिजों का बहुत बड़ा भंडार मौजूद है, जिसका संयुक्त रूप से उपयोग किया जा सकता है। यह पेशकश ऐसे वक्त में आई है जब अमेरिका, यूक्रेन के साथ एक नई खनिज संधि करने की तैयारी में है।
किसके पास ज्यादा खनिज?
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक, दुर्लभ खनिजों के भंडार के मामले में चीन पहले स्थान पर है, जबकि ब्राजील, भारत और ऑस्ट्रेलिया इसके बाद आते हैं। रूस इस सूची में पांचवें स्थान पर है। यूएसजीएस का अनुमान है कि रूस के पास करीब 3.8 मिलियन मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज हैं। हालांकि, रूस के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय का दावा इससे कहीं ज्यादा है। उनके अनुसार, 2023 तक रूस के पास 28.7 मिलियन टन का भंडार है, जिसमें से 3.8 मिलियन टन का उत्पादन शुरू करने की स्थिति में है।
क्या है रूस की रणनीति
रूस की सरकार चाहती है कि 2030 तक देश दुनिया के शीर्ष पांच दुर्लभ खनिज उत्पादकों में शामिल हो और वैश्विक बाजार में 12% की हिस्सेदारी हासिल करे। लेकिन इस क्षेत्र में चीन की मजबूत पकड़ और घरेलू मांग में कमी रूस के लिए चुनौती बनी हुई है। रूस में इस वक्त दुर्लभ खनिज उत्पादन का जिम्मा रोसाटम के पास है, जो देश की परमाणु ऊर्जा एजेंसी भी है। रूस का सोलिकामस्क मैग्नीशियम प्लांट दुर्लभ खनिजों का अकेला प्रमुख उत्पादक है, जो हर साल लगभग 4,000 टन खनिज संसाधित करता है।
पुतिन ने हाल ही में इस सेक्टर में सुस्ती पर नाराजगी जताई थी और टमटर नामक सबसे बड़े दुर्लभ खनिज भंडार के ऑपरेटर को चेतावनी दी थी कि विकास में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने रूस की खनिज नीति में नए निवेश और तकनीकी विकास की वकालत की है।
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यूक्रेन नीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अब तक यूक्रेन को 30 से 35 हजार करोड़ डॉलर की सहायता दे चुका है, जिसे वह वापस लेना चाहते हैं। इसके लिए अमेरिका, यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण पाने की योजना बना रहा है। लेकिन इसी बीच पुतिन ने अमेरिका को रूस के साथ काम करने का ऑफर दिया है।
चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश
मौजूदा वक्त में दुर्लभ खनिजों का 95% उत्पादन चीन के हाथ में है, जिससे बाकी देशों को इन संसाधनों के लिए बीजिंग पर निर्भर रहना पड़ता है। अमेरिका, रूस और अन्य देश अब इस निर्भरता को खत्म करने के लिए अपने स्वयं के उत्पादन को बढ़ावा देने में लगे हैं। अब देखना यह होगा कि अमेरिका यूक्रेन के साथ खनिज संधि को अंतिम रूप देता है या पुतिन के प्रस्ताव पर विचार करता है। यदि अमेरिका रूस से खनिज खरीदने का फैसला करता है, तो यह यूक्रेन युद्ध की दिशा और वैश्विक भू-राजनीति को पूरी तरह से बदल सकता है।
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