Hindi Newsविदेश न्यूज़Taliban arrives to participate in this special meeting of the United Nations demands talks with America

संयुक्त राष्ट्र की इस खास मीटिंग में भाग लेने पहुंचा तालिबान, अमेरिका से बातचीत की मांग

  • तीन साल पहले 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद यह पहली बार है जब तालिबान का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र की मीटिंग में भाग लेने के लिए पहुंचा हो। संयुक्त राष्ट्र की यह मीटिंग अजरबैजान में हो रही है।

Upendra Thapak हिन्दुस्तान टाइम्सTue, 12 Nov 2024 01:51 AM
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अफगानिस्तान में सत्ता पर बैठे तालिबान ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित जलवायु वार्ता में भाग लिया। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए तालिबान ने अजरबैजान की राजधानी बोकारो में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा हुआ है। न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस वार्ता में शामिल होने के लिए पहुंचे तालिबान के प्रतिनिधिमंडल को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है क्योंकि तालिबान के पास अफगानिस्तान सरकार के रूप में आधिकारिक मान्यता नहीं है।

तीन साल पहले 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान की वापसी के बाद यह पहली बार है जब तालिबान का प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र की मीटिंग में भाग लेने के लिए पहुंचा हो। संयुक्त राष्ट्र की यह मीटिंग अजरबैजान में हो रही है।

अफगानिस्ता के मौसम के बारे में बात करते हुए तालिबान के मंत्री ने माटुइल हक ने इस बात पर जोर दिया अफगानिस्तान की जलावायु क्लाइमेट चेंज से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि हमारे देश अफगानिस्तान नियमित वर्षा, लंबे समय तक सूखे और विनाशकारी अचानक बाढ़ जैसी चरम मौसम चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक सहायता की सख्त जरूरत है।

अचानक आई बाढ़

हक ने बताया कि इसी साल की शुरुआत में ही उत्तरी अफगानिस्तान में भारी बारिश के कारण विनाशकारी बाढ़ आई थी, जिसके परिणामस्वरूप 350 से ज्यादा लोग ने अपनी जान गंवा दी। जलवायु वैज्ञानिकों ने भी इस क्षेत्र में पिछले चार दशकों में अत्याधिक वर्षा में लगभग 25 फीसदी वृद्धि दर्ज की है।

अमेरिका के साथ द्विपक्षीय बातचीत की मांग

वैश्विक स्तर पर अफगानिस्तान में अपनी सरकार को मान्यता दिलवाने की कोशिश कर रहे तालिबान ने बाकू में अमेरिका समेत विभिन्न देशों से दोपक्षीण बातचीत की मांग रखी है। हक ने कहा मैं चाहता हू्ं अमेरिका जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हमारी मदद करे। हक ने कहा कि अगर अमेरिका या कोई अन्य देश हमारी मदद करता है तो हम सहयोग को बढ़ाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के जवाब में कहा गया कि महिलाओं को जलवायु परिवर्तन से असंगत जोखिमों का सामना करना पड़ता है। हालांकि हक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जाति, धर्म और लिंग से निर्धारित नहीं हैं। यह सभी को समान रूप से प्रभावित कर रही है।

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