पाक पीएम शहबाज शरीफ ने चीन को दी रिश्तों की दुहाई, थोड़ी सी और मोहलत के लिए लगाई गुहार
पाक PM शहबाज शरीफ ने कहा कि उन्होंने खुद चीनी सरकार को खत लिखकर लोन की रिप्रोफाइलिंग करने के लिए गुहार लगाई है। चीन ने अगर मोहलत नहीं दी तो पाकिस्तान को अगले महीने IMF से फंड नहीं मिलेंगे।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने खुद चीनी सरकार को खत लिखकर लोन की रिप्रोफाइलिंग करने की गुहार लगाई है। चीन अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की गुहार को सुन लेता है तो पाकिस्तान को अगले महीने अंत्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज मिल सकता है। पाकिस्तान के अखबार डॉन में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि पाकिस्तान को अगर आईएमएफ से 37 महीने का बेलआउट पैकेज चाहिए तो उसे अपने मित्र देशों से लिए गए लोन्स की रिप्रोफाइलिंग करानी होगी। चीन, सऊदी अरब और यूएई के साथ पाकिस्तान को करीब 27 अरब अमेरिकी डॉलर की देनदारी की रिप्रोफाइलिंग की जरूरत है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अब सबकी जानकारी में हैं कि उन्होंने चीन की सरकार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लोन की रिप्रोफाइलिंग के लिए गुहार लगाई है।
क्या होती है लोन की रिप्रोफाइलिंग
विश्व बैंक के अनुसार, रिप्रोफाइलिंग का मतलब लिए गए लोन पर जो समय सीमा पहले से तय की गई थी या जो नियम पहले से तय किए गए थे उनको एक बार फिर से बातचीत के जरिए तय किया जाए। इसमें समय सीमा को आगे बढ़ाने और नियमों थोड़ी और ढिलाई की उम्मीद की जाती है। यदि किसी देश को एक साथ कई लोन्स के भुगतान का सामना करना पड़ रहा है तो यह प्रक्रिया उसकी मदद कर सकती है। यह प्रक्रिया किसी भी देश की वित्तीय जोखिम की स्थिति को कम करके उसे दिवालिया होने से बचा सकती है।
पीएम शरीफ ने बैठक के दौरान अपने मंत्रियों से कहा कि वित्तमंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने अपनी यात्रा के दौरान चीन में बहुत अच्छी बैठकें की। वहां पर उनके द्वारा किए गए प्रयास पाकिस्तान और चीन के रिश्तों में भरोसे को बढ़ाएंगे। हम पाकिस्तान में संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के प्रयास में लगे हुए हैं उपभोक्ता चाहे घरेलू हों या फिर व्यापारी हम सभी को राहत देने के लिए दिन रात पूरी तरह से मेहनत कर रहे हैं। इससे पहले पीएम ने चीन के साथ दोस्ताना संबंधों की भी सराहना की थी।
उन्होंने चीन से लिए कर्ज पर बात करते हुए कहा कि उस समय जब चीन ने हमारे ऊर्जा क्षेत्र में निवेश किया तो कोई भी हमारे देश में निवेश करने के लिए तैयार नहीं था लेकिन चीन ने न केवल ऊर्जा क्षेत्र में निवेश किया बल्कि सीपीईसी भी शुरू किया, चीन एकमात्र ऐसा देश था जो कि हमारी मदद करने के लिए आगे आया था।
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