How did Maldives become a Muslim nation from Hindu Nation What is connection with Bihar and Gujarat - International news in Hindi मालदीव कैसे बना हिन्दू से मुस्लिम राष्ट्र, बिहार और गुजरात का क्या कनेक्शन?, International Hindi News - Hindustan
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मालदीव कैसे बना हिन्दू से मुस्लिम राष्ट्र, बिहार और गुजरात का क्या कनेक्शन?

Maldives journey towards Islamic Nation: पुरातत्वविदों और इतिहासकारों में एकराय है कि मालदीव में बसने वाले पहले निवासी मुस्लिम नहीं थे। उनके मुताबिक, सबसे पहले यहां बसने वालों में संभवतः गुजराती थे।

Pramod Praveen प्रमोद प्रवीण, लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 9 Jan 2024 12:59 PM
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मालदीव कैसे बना हिन्दू से मुस्लिम राष्ट्र, बिहार और गुजरात का क्या कनेक्शन?

चीन के इशारे पर भारत के खिलाफ इन दिनों जहर उगल रहा मालदीव अपने इतिहास और अपने बुरे दिनों को भूल रहा है। जब भी मदद की दरकार हुई है, भारत ने सबसे पहले इस छोटे से द्वीपीय देश की मदद की है। मालदीव हिन्द महासागर में बसा एशिया का सबसे छोटा (क्षेत्रफल और जनसंख्या के अनुसार) देश है। यह मिनिकॉय  द्वीप और चागोस द्वीपसमूह के बीच 26 प्रवाल द्वीपों में एक डबल चेन की तरह फैला हुआ है। इसके तहत करीब 1200 द्वीप (टापू) हैं, जो अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहां की संस्कृति दक्षिण भारत और श्रीलंका से निकटता के कारण प्रभावित है।

कब बसी पहली बस्ती?
मालदीव की पहली बस्ती संभवतः ईसा पूर्व पांचवीं शताब्दी से पहले बसी थी। यह ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ-साथ किंवदंतियों पर आधारित है। मालदीव के ऐतिहासिक युगों का वर्णन विभिन्न पुरातत्व साक्ष्यों और ग्रंथों में किया गया है। हालांकि, यह भी व्यापक रूप से समझा और स्वीकार किया जाता रहा है कि मालदीव के इतिहास ना सिर्फ खंड-खंड में बंटे हैं बल्कि आज तक मायावी बने हुए हैं।

क्या है गुजरात कनेक्शन?
हालांकि, इस बात पर पुरातत्वविदों और इतिहासकारों में एकराय है कि मालदीव में बसने वाले पहले निवासी मुस्लिम नहीं थे। उनके मुताबिक, मालदीव में सबसे पहले आकर बसने वालों में संभवतः गुजराती भारतीय थे, जो लगभग 500 ईसा पूर्व पहले श्रीलंका पहुंचे और फिर वहां से मालदीव आकर बस गए।

महावंश अभिलेख, जो अनुराधापुरा के महासेना के काल तक श्रीलंका का एक ऐतिहासिक इतिहास है, में श्रीलंका से मालदीव में प्रवास करने वाले लोगों का विवरण दिया गया है। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का तर्क है कि मालदीव इससे भी पहले सिंधु घाटी सभ्यता काल के दौरान बसा हो सकता है लेकिन पुरातात्विक खुदाई में मालदीव में मिली कलाकृतियाँ इस्लामी काल से पहले देश में हिंदू धर्म की उपस्थिति का ठोस प्रमाण देती हैं।

कालीबंगा से आए थे शुरुआती निवासी
17वीं शताब्दी में अल्लामा अहमद शिहाबुद्दीन द्वारा लिखित किताब फाई अथार मिधु अल-कादिमा (मीधू के प्राचीन खंडहरों पर) में कहा गया है कि मालदीव के पहले निवासियों को धेविस के नाम से जाना जाता था और वे भारत के कालीबंगा (राजस्थान) से आए थे।

बिहार और बौद्ध धर्म से कनेक्शन
किताब में ये भी कहा गया है कि इस द्वीपसमूह में इस्लाम धर्म के फैलने से पहले, यहां बौद्ध धर्म ही प्रचलित था, जो ईसापूर्व तीसरी शताब्दी के दौरान सम्राट अशोक के विस्तार अभियान का हिस्सा रहा हो सकता है। बता दें कि सम्राट अशोक विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली पाटलिपुत्र के मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। अशोक बौद्ध धर्म के सबसे प्रतापी राजा थे। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक था। उनका राजकाल ईसा पूर्व 304 से ईसा पूर्व 232 के बीच था। पाटलीपुत्र ही आज का पटना है।

इतिहासकारों के मुताबिक, मालदीव में खोजे गए अधिकांश पुरातात्विक अवशेष बौद्ध स्तूपों हैं, जिनकी संरचनाएं अर्धगोलाकार हैं और जिनका उपयोग बौद्ध भिक्षुओं और ननों द्वारा ध्यान और मठों के लिए किया जाता था।

मालदीव में इस्लाम युग का उदय
मालदीव के मशहूर न्यूज पोर्टल 'द एडिशन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव में इस्लाम का उदय कोई अचानक घटित घटना नहीं थी। बल्कि 12वी शताब्दी के दौरान अरब व्यापारियों के यहां आने से शुरू हुईं। अरब व्यापारी तब के बौद्ध राजाओं से मेलजोल बढ़ाने लगे। बाद में खोजी गई तांबे की प्लेटों के अनुसार,मालदीव के बौद्ध राजा धोवेमी कलामिंजा सिरी थिरिबुवाना-आदित्था महा रादुन ने 1153 या 1193 में इस्लाम अपना लिया। उसके बाद से यहां इस्लाम का प्रसार होने लगा।

इतिहासकारों के मुताबिक, परंपरागत रूप से मालदीव हिन्दू से बौद्ध राष्ट्र में बदला फिर 12वीं शताब्दी के आसपास इसकी रूपांतरण इस्लाम में हो गया। इतिहासकारों ने इसका श्रेय अबू अल-बराकत यूसुफ अल-बारबारी को दिया है। हालांकि यह सर्वस्वीकार्य नहीं है। कुछ लोग मालदीव के इस्लामीकरण का श्रेय मोरक्को से आए बारबरी को देते हैं। 

उत्तरी अफ़्रीकी यात्री इबन बतूता द्वारा सुनाई गई कहानियों के मुताबिक बारबरी, मालदीव के द्वीपों में इस्लाम फैलाने के लिए जिम्मेदार था, जिसने स्थानीय राजा रन्ना मारी को अपने अधीन कर लिया था। मालदीव की लोककथाओं में राजा रन्ना को एक राक्षस बताया गया है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह समुद्र से आया था। ऐतिहासिक विवरण अस्पष्ट होने के बावजूद, यह तथ्य प्रमाणित है कि मालदीव 12वीं शताब्दी के बाद से एक मुस्लिम राष्ट्र रहा है।

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