Hindi Newsविदेश न्यूज़court rejects Muslim student plea to offer namaz in school says School rules are above from your religious rights - International news in Hindi

आपके धार्मिक अधिकार से ऊपर स्कूल के नियम, कोर्ट ने ठुकराई मुस्लिम छात्रा की स्कूल में नमाज की फरियाद

मुस्लिमा छात्रा ने आरोप लगाया था कि स्कूल के प्रतिबंध उसके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन हैं और यह एक प्रकार का भेदभाव है जो धार्मिक अल्पसंख्यकों को समाज से अलग-थलग महसूस कराता है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 16 April 2024 01:55 PM
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इंगलैंड की राजधानी लंदन में एक मुस्लिम छात्रा को वहां की अदालत से करारा झटका लगा है। लंदन हाई कोर्ट ने कहा है कि स्कूल के नियमों से ऊपर किसी की धार्मिक स्वतंत्रता और रीति रिवाज नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने उस मुस्लिम छात्रा की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने स्कूल परिसर में अपने धर्म के अनुसार इबादत या नमाज अदा करने की गुहार लगाई थी।

लंदन के वेम्बली में स्थित मिशेला स्कूल के नियमों के खिलाफ मुस्लिम छात्रा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। छात्रा का तर्क था कि स्कूल में उसके धार्मिक इबादत पर प्रतिबंध उसके साथ भेदभावपूर्ण रवैया है। इसके जवाब में किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखने वाले उस सरकारी स्कूल ने हाई कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता मुस्लिम छात्रा को इबादत करने की इजाजत देने से विद्यार्थियों के बीच समावेशी नजरिए के कमजोर पड़ने का खतरा है।

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक,  छात्रा की याचिका खारिज करते हुए 83 पेज के लिखित फैसले में जज थॉमस लिंडेन ने कहा: "जब छात्रा ने स्कूल में दाखिला लिया था तभी उसने स्कूलों के नियमों को अंतर्निहित रूप से स्वीकार कर लिया था कि वह अपने धर्म को प्रकट करने के प्रतिबंधों के अधीन होगी और उसे धर्म के आधार पर किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी।"

छात्रा ने आरोप लगाया था कि स्कूल के प्रतिबंधों की वजह से उसके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और यह एक प्रकार का भेदभाव है, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों को समाज से अलग-थलग महसूस कराता है लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया। स्कूल ने अदालत को बताया कि धार्मिक अलगाव की समस्या और सांस्कृतिक विभेद से बच्चों को बचाने के लिए ही धार्मिक पूजा या रीति रिवाजों के अनुपालन पर प्रतिबंध लगाया गया है।

स्कूल के संस्थापक और मुख्य शिक्षक कैथरीन बीरबलसिंह ने कहा कि यह फैसला "सभी स्कूलों की जीत" है। इस स्कूल में आधी संख्या यानी करीब 700 बच्चे मुस्लिम हैं। कोर्ट ने कहा कि सभी छात्र-छात्राओं से अपेक्षा की जाती है कि वे स्कूलों के नियमों का पालन करें और पाठ के दौरान शिक्षकों पर अधिक ध्यान केंद्रित करें। स्कूल के नियमों में गलियारों में चुप रहना, साथ ही वर्दी पर प्रतिबंधों का पालन करना भी शामिल है।

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